डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर घर- परिवार की खुशहाली की कामना करेंगे छठ व्रतधारी

  
Last Updated:  November 20, 2020 " 02:36 am"

इंदौर : छठ महापर्व के तीसरे दिन शहर एवं इसके आसपास के क्षेत्रों – महू, राऊ, पीथमपुर, देवास, उज्जैन में बसे पूर्वांचल के हज़ारों छठ व्रतधारी कोरोना काल में सामाजिक दूरी एवं कोरोना से बचने के सभी उपायों का निर्वहन करते हुए जलकुण्डों में खड़े होकर गोधूलि बेला में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। कोरोना को देखते हुए शहर की बड़ी छठ पूजा आयोजन समितियों तथा पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान जो पूर्वोत्तर समाज के लोगों की शहर में सबसे बड़ी संस्था है, के आग्रह पर इस वर्ष सार्वजनिक जलाशयों की अपेक्षा लोगों ने अपने अपने घर की छतों एवं प्रांगणों में कृत्रिम जलकुण्डों का निर्माण किया है। उन्हीं में खड़े रहकर वे सूर्यदेव को अर्घ्य देंगे तथा अपने परिवार के सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य, उनके दीर्घायु होने एवं सुख समृद्धि की कामना करने के साथ कोरोना महामारी का देश से यथाशीघ्र निर्मूलन की छठी मैया से कामना करेंगे।
पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के महासचिव के के झा ने कहा कि
छठ महापर्व के दूसरे दिन गुरुवार को छठ व्रतियों के घरों में खरना का आयोजन हुआ। दिन भर व्रत रखने के बाद व्रतियों ने शाम को गंगाजल मिश्रित जल से स्नान किया और भगवान सूर्य का ध्यान कर छठ मइया का पूर्ण विधि विधान से पूजा किया। उसके बाद मिटटी के बने चूल्हे पर अरवा चावल, दूध व गुड़ की खीर और गेहूं की रोटी का प्रसाद बनाकर कर भगवान सूर्य और छठ मइया को समर्पित किया व खुद भी ग्रहण किया। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया। व्रति अपने निर्जला उपवास का पारण शनिवार (21 नवंबर) को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद करेंगे।

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