डॉ. भरत साबू के डायबिटिक पेशंट में कोरोना पर केंद्रित शोध पत्र को मिला पहला पुरस्कार

  
Last Updated:  December 1, 2020 " 03:14 pm"

इंदौर : किसी भी नई बीमारी के बारे में जितनी अधिक जानकारी होती है, मरीजों की जान बचाने में उतनी ही मदद मिलती है। कई शोधों से साबित हो चुका है कि डायबिटीज़ के मरीजों को कोविड-19 का संक्रमण होने पर सामान्य से अधिक खतरा होता है। ऐसे मरीजों की जान बचाने के लिए इंदौर के युवा डायबेटोलोजिस्ट डॉक्टर भरत साबू ने खास रिसर्च की, जिसे रिसर्च सॉसायटी फ़ॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज़ इन इंडिया RSSDI की सालाना कॉन्फ़्रेन्स में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह डायबिटीज़ पर होने वाली एशिया की सबसे बड़ी कॉन्फ़्रेन्स है। 26 नवंबर से 29 नवंबर तक ऑनलाइन आयोजित की गई इस कॉन्फ्रेंस में 19000 डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया। कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर भरत साबू के रिसर्च पेपर को ओरल रिसर्च श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। दुनियाभर में उनके शोध कार्य को सराहना मिली।
डॉक्टर भरत साबू ने शोलापुर के डॉक्टर अनिकेत इनामदार के साथ मिलकर डायबिटीज़ के रोगियों के कोरोना रोग में ऑक्सीजन के स्तर पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया था। शोध में उन्होंने पाया कि डाइबिटीज़ के रोगियों में ऑक्सीजन की कमीं की समस्या का पता समय रहते लगा लिया जाए तो कोरोना रोगी को गंभीर स्थिति से बचाया जा सकता है। विशेष परिस्थितियों में इस मरीज की जान भी बचाई जा सकती है। इस शोध के परिणामों से यह भी ज्ञात हुआ कि डायबिटीज़ के कोरोना रोगियों में ऑक्सीजन की मात्रा सामान्य रोगियों से कम होती है और सीटी स्कोर ज्यादा रहता है , जिससे उनमें गंभीर जटिलताएं होने की आशंका अधिक होती है। शोध के अनुसार
डायबिटीज़ रोगियों में निमोनिया का प्रभाव ज्यादा होता है। यदि समय रहते सिर्फ ऑक्सीजन की कमीं का पता लगा लिया जाए तो इन रोगियों की जान बचाई जा सकती है और स्वास्थ्य सेवाओं पर अनावश्यक दबाव को कम किया जा सकता है।
इस शोध को डायबिटीज़ जर्नल में प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया है। इंदौर के डॉ. भरत साबू का यह शोधपत्र इस विषय पर आगे शोध करने वालों के लिए एक रेफ़्रेन्स का काम करेगा।

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