भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनें इंदौर का मास्टर प्लान, अभ्यास मंडल की परिचर्चा में बोले वक्ता

  
Last Updated:  January 18, 2021 " 12:59 am"

इंदौर : शहर के नागरिकों ने विकास को लेकर हमेशा सकारात्मक सोच रखी है। इसके कारण यह शहर तेजी से प्रगति और विकास की नई इबारत लिखते हुए देश और दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान बना रहा है। हमें भविष्य को ध्यान में रखकर इंदौर का मास्टर प्लान बनाना चाहिए। हैदराबाद की तर्ज पर इंदौर को एजुकेशन और आईटी हब बनाया जाए। शहर में इंटरनेशनल लाजिस्टिक हब की जरूरत है, क्योंकि इंदौर एयरपोर्ट अब अंतर्राष्ट्रीय कार्गो हब भी बन गया है। एयरपोर्ट का विस्तार समय की जरूरत है। इंदौर का ट्रैफिक मास्टर प्लान भी जल्द आकार ले लेगा और इसके लिए नागरिकों से सुझाव मांगे जाने का सिलसिला प्रारंभ होने वाला है। शहर में भोपाल के भारत भवन की तर्ज पर गोपाल मंदिर, मराठी स्कूल और गांधी हाल में ऐसे कला के केंद्र बनाए जाएंगे, ताकि हम अपनी संस्कृति को बचाए रख सकें। शहर के 20 किलोमीटर के दायरे में रेडीमेड, फार्मास्युटिकल, नमकीन जैसे पांच क्लस्टर बनाए जाएंगे। इनकी आवश्यकता वर्षों से महसूस की जा रही थी। शहर में शासन-प्रशासन से कहीं चूक हो रही है तो यहां के नागरिकों का कर्तव्य बनता है कि वे इस पर शासन का ध्यान आकर्षित करें।
ये विचार सांसद शंकर लालवानी ने व्यक्त किए। वे अभ्यास मंडल और इंदौर प्रेस क्लब के संयुक्त आयोजन में नगर निगम इंदौर की नई परिषद से अपेक्षाएं विषय पर प्रेस क्लब के सभागार में रखी गई परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
पूर्व मंत्री एवं विधायक जीतू पटवारी ने कहा कि अभ्यास मंडल और इंदौर प्रेस क्लब का यह आयोजन सराहनीय है और इससे सार्थक निष्कर्ष निकलेगा। जहां तक निगम प्रशासन द्वारा शहर के विकास की बात है तो निगम का बड़ा बजट अपने कर्मचारियों के वेतन, बिजली एवं अन्य खर्चों पर चला जाता है। शेष जो राशि बचती है उसमें कुछ लीकेज हो जाता है। अत: इस पर नियंत्रण की जरूरत है। निगम प्रशासन पहले सड़क बनाता है, उसके बाद उस सड़क को ड्रेनेज, स्ट्रार्म वाटर लाइन, गैस पाइप लाइन के नाम पर पुन: खोद दिया जाता है। जिसके चलते एक ही मद में पैसों की बर्बादी के साथ श्रम भी लगता है। इस तरह के कार्य वर्षों से हो रहे हैं। नगर निगम में इंदौर शहर की आबादी 35 लाख के करीब है, जबकि पूरे शहर में कुल पेड़ों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक नहीं हैं। इस पर चिंतन होना चाहिए और प्रत्येक व्यक्ति को एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। शहर को जितना पानी नर्मदा से आज मिल रहा है, करीब उतना ही पानी यहां के नागरिक स्थानीय जल स्रोतों और खासकर बोरिंग से ले रहे हैं। वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य हो और उसके बाद भी वह कायम रहे, इसका समय-समय पर सोशल आडिट होना चाहिए।
श्री पटवारी ने आगे कहा कि शहर के विकास में यहां के रहवासी संघों का बहुत बड़ा योगदान है। घनत्व के हिसाब से शहर में सर्वाधिक चार पहिया वाहन हैं, जो बगीचे हैं उनका दुरुपयोग और अतिक्रमण हो रहा है। इंदौर में फ्लाय ओवर तो बन रहे हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण अभियान की सराहना करते हुए कहा कि यहां के सांसद भी वैक्सीन लगवाए और उसके बाद विधायक भी लगवाएं।
पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष डॉ. गौतम कोठारी ने कहा कि इस शहर की समस्या पर्यावरण, यातायात, शिक्षा, आवास, आदि है, लेकिन मास्टर प्लान पर हमारे यहां कम काम हुआ है। एक हजार की आबादी पर 10 हेक्टेयर जमीन होना चाहिए। हमने शहर को कांक्रीट का जंगल तो बना दिया है, लेकिन समग्र विकास पर ध्यान नहीं दिया है। आज कई औद्योगिक इकाइयां शहर के बीच में आ गई हैं। इससे प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। शासन प्रशासन ऐसी इकाइयों को आप्शन दे कि वे अपनी औद्योगिक इकाइयों को शहर के बाहर स्थापित करें। श्री कोठारी ने आगे कहा कि जिस तरह से इंदौर की आबादी दिनों दिन बढ़ती जा रही है, उस हिसाब से शहर की अधोसंरचना नहीं बन रही है।
सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने कहा कि आबादी के हिसाब से इंदौर को महानगर बनाने के बजाय राऊ और मांगलिया की निकाय को इंदौर नगर निगम में शामिल किया जाना चाहिए। आज शहर के 45 से अधिक वार्ड ऐसे हैं जिनकी प्रत्येक की आबादी 1 लाख से अधिक है, जो कि राऊ और मांगलिया से कहीं अधिक है। इन क्षेत्रों में रहवासी कालोनियों का बहुत विस्तार हो गया है, जो कि इंदौर नगर निगम के क्षेत्र में ही शामिल हैं। श्री कोडवानी ने कहा कि शहर की पुलिस प्रशासन व मिलों की खुली भूमि का इंदौर के सारभूत अधोसंरचना के लिए उपयोग किया जाए।
पर्यावरणविद डॉ. ओ.पी. जोशी ने कहा कि कान्ह, सरस्वती आदि नदियां शहरी सीमा में 25-30 किलोमीटर में बहती हैं। जिनके किनारे 10-15 मीटर चौड़े और उनकी गहराई 2 से 3 मीटर हैं। इन नदियों को बारहमासी स्वच्छ बहाव वाली बनाने के लिए कार्य होना चाहिए और चुने हुए पार्षदों को चाहिए कि इसमें गंदगी न हो उसका पूरा ध्यान रखें। नदी के किनारे नाला टैपिंग और घाट पर जो पक्के निर्माण किए हैं, उसके बजाय वहां पर घने पौधारोपण किया जाए, ताकि ये नदियां सतत बहती रहें। श्री जोशी ने कहा कि गत दिसंबर 2020 में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने कान्ह नदी पुनरुद्धार एवं शुद्धिकरण को लेकर जो विजन डाक्यूमेंट दिया था, उसके तहत कार्य करने की आवश्यकता है। पेड़-पौधों से सुंदरता बढ़ेगी, धूल का प्रदूषण कम होगा और तापमान भी नियंत्रित होगा।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में इंदौर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि अभ्यास मंडल इस शहर के विकास के लिए हमेशा जागरूक रहा है। आज इसी विषय पर विद्वानों को आमंत्रित कर परिचर्चा का आयोजन किया है। विकास के लिए संवाद का होना बहुत जरूरी है। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि शहर के लोग शहर के प्रति समर्पित हैं और अपनी उपस्थिति देकर उसको गौरवमयी बनाते हैं।
विषय प्रवर्तन करते हुए अभ्यास मंडल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक कोठारी ने कहा कि 62 वर्षों से वैचारिक विचारधारा को लेकर चलने वाला अभ्यास मंडल शहर के विकास के साथ हमेशा जुड़ा रहा है। नगरीय विकास के बजाय नागरिकों का सर्वांगीण विकास अतिआवश्यक है। विकास पर्यावरण हितैषी होना चाहिए। केंद्रीय और राज्य सरकारों का आईना सड़क, बिजली, स्वच्छता, जल, यातायात, बाजार, स्मार्टसिटी इत्यादि का क्रियान्वयन होता है। पार्षदों का राजनीतिक दलों द्वारा चयन शिक्षा एवं तकनीकी आधार पर किया जाना परिषद हितैषी होगा।
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष श्री अजीतसिंह नारंग ने शहर के जल-मल विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि ये शहर अब महानगर घोषित किया गया है, जबकि यह बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। इसकी आवासीय, यातायात, जल प्रबंधन, ड्रेनेज व्यवस्था आदि विषयों पर शहरी विकास मापदंड के अनुसार आकलन नहीं किया गया। जिसके कारण यहां बहुत सी समस्याएं पैदा हो गई हैं। सबसे महंगा जल इंदौर शहर के निवासियों को मिल रहा है। फिर भी नगर निगम को घाटा है। इसे रोकने के लिए वर्तमान में जो स्थितियां हैं उसको जल प्राधिकरण बनाकर के व्यवस्थित किया जाए। साथ ही जल का अपव्यय भी रोका जाए।
सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा गौर ने कहा कि स्वच्छता के मामले में इंदौर को हमने लगातार चार बार नंबर वन तो बना दिया, लेकिन यहां कई विसंगतियां हैं। हमारे किशोर और युवा अध्ययन के बजाय हुक्का बार पर बैठकर अपना भविष्य बिगाड़ रहे हैं। जबकि यहां के नागरिक यह कहते हैं कि शहर की संस्कृति को बाहर से पढऩे आए विद्यार्थी बिगाड़ रहे हैं, जो पूरी तरह सही नहीं है। युवाओं का अपने ही बड़े-बुजुर्गों के साथ विचारों का आदान-प्रदान नहीं हो रहा है। इसके कारण शहर की आबोहवा बिगड़ रही है। शहर में कई ऐसे हैरीटेज हैं जो यहां की सांस्कृतिक धरोहर हैं, लेकिन ऐसी कोई पुस्तिका नहीं है, जिससे हम शहर की विशिष्ट पहचान को उजागर कर सकें। इस दिशा में ध्यान देने की आवश्यकता है।
होलकर स्टेट से रिश्ता रखने वाले उपेन्द्रसिंह बापना ने कहा कि शहर के विकास को लेकर यहां के जनप्रतिनिधि और जनता मिलकर कार्य कर रहे हैं। लेकिन इस शहर की बुनियादी जरूरतें आज भी पूरी नहीं हो पा रही हैं, जो चिंतनीय है। हमें इस विसंगति को दूर करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
सामाजिक कार्यकर्ता श्री नूर मोहम्मद कुरैशी ने कहा कि मास्टर प्लान के साथ झोनल प्लान को भी क्रियान्वित करने की ठोस पहल करना चाहिए। व्यवसायी ईश्वर बाहेती ने कहा कि शहर का विकास चौतरफा होना चाहिए। देखने में यह आ रहा है कि हमने शहर के एक ही सिरे पर सारे शिक्षा संस्थान खोल दिए हैं, जो सही नहीं हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता अनिल भोजे ने बैंगलोर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर स्कूल-कॉलेजों की निजी बसों के बजाय विद्यार्थी लोक परिवहन की सीमित साधनों से आवागमन करते हैं। इससे सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव नहीं रहता है।
पूर्व पार्षद सुरेश मिंडा ने कहा कि हमारे जनप्रतिनिधि ऐसे हों जो मतदाताओं की कसौटी पर खरे उतरें। विडंबना यह है कि आज जनता और जनप्रतिनिधि में समन्वय का अभाव है।
डॉ. संजय कामले ने कहा कि कान्ह और सरस्वती नदी के जो उद्गम स्थल हैं, वहां से इनकी मानिटरिंग होना चाहिए। दोनों नदियों में हम ड्रेनेज का पानी नहीं डालें।
व्यवसायी प्रमोद डफरिया ने कहा कि बढ़ते औद्योगिकरण के चलते शहर में हवा और पानी दोनों प्रदूषित हो रहे हैं । अत: हम औद्योगिक इकाइयों को शहर से दूर स्थापित करके इस समस्या से निजात पा सकते हैं।
प्रो. असद ने कहा कि शहर के बेहतर पर्यावरण और आबोहवा के लिए चाहिए कि हम स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों को इस तरह के प्रोजेक्ट और असाइनमेंट दें, ताकि जागरूकता बढ़े।
आप पार्टी के नरेश गुप्ता ने कहा कि शहर में वाहनों की बढ़ती संख्या के चलते पार्किंग की समस्या बढ़ती जा रही है। अत: नगर निगम नक्शे पास करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखे कि रहवासी भवन निर्माण में पार्किंग का स्थान छोड़े।
सिविल इंजीनियर संजय जैन ने कहा कि शहर के विकास में जनजागरूकता अभियान की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का संचालन माला ठाकुर ने किया। अंत में आभार अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता ने माना। कार्यक्रम में अभ्यास मंडल के सचिव नेताजी मोहिते, श्याम सुंदर यादव, अजय राठौर, ओम नरेडा, शफी शेख, राजेन्द्र कोपरगांवकर, प्रवीण जोशी, दीप्ति गौर, डॉ. पल्लव आढ़ाव, चंदू माखीजा, शिवाजी मोहिते, इंजी. विष्णु गुप्ता, वैशाली खरे, हरेराम वाजपेयी, शेखर किबे, विश्वनाथ कदम सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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