इंदौर: साहित्य, कला और संस्कृति के तीन दिनी उत्सव ‘इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल’ का रविवार को समापन हुआ। सयाजी में आयोजित इस फेस्टिवल में कथा, कहानी, कविता और सम सामयिक विषयों पर चर्चा सत्र का अनवरत सिलसिला चलता रहा। किसी भी रूप में साहित्यिक विधा से जुड़े देश- विदेश के रचनाकार इस उत्सव का हिस्सा बने। अंतिम दिन की खासियत लोक गायिका मालिनी अवस्थी के साथ हुआ वार्तालाप रहा। साहित्य और लोककला के अंतरसंबंधों पर मालिनी अवस्थी ने खुलकर अपनी बात रखी। इसके अलावा मी टू, साहित्य में बढ़ता खुलापन, रिवेंज और रियलिटी जैसे विषयों पर भी चर्चा सत्र हुए। रचना पाठ और ब्लॉगर्स के लिए भी एक-एक सेशन रखे गए। फेस्टिवल की आखरी पेशकश के बतौर अनवरत के कलाकारों द्वारा नाटक ‘अशोक’ का मंचन किया गया।
इसके पूर्व फेस्टिवल का दूसरा दिन भी चर्चा सत्र, कथा, कहानी और कविता पाठ से आबाद रहा।
इस लिटरेचर फेस्टिवल की खास बात ये रही कि तीनों दिन श्रोताओं की संख्या अच्छी रही।इनमे बाद हिस्सा युवाओं का भी था जो साहित्य के लिए शुभ संकेत है। समूचे उत्सव का आयोजन सांध्य दैनिक हैलो हिंदुस्तान के बैनर तले किया गया। नईदुनिया, वेबदुनिया और पत्रिका जैसे मीडिया घराने भी इस फेस्टिवल में सहयोगी बने। कुल मिलाकर इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल भी देश में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा।
अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल
Last Updated: December 23, 2018 " 12:45 pm"
Facebook Comments