पूर्वी नदियों का पानी रोकेगा भारत- गडकरी

  
Last Updated:  February 21, 2019 " 06:48 pm"

नई दिल्ली: पुलवामा हमले के बाद मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है। मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छिनने और पाकिस्तान से आयातित माल पर ड्यूटी की दरें बढ़ाकर 200 फीसदी करने के बाद अब सरकार ने पूर्वी नदियों का पानी पाकिस्तान जाने से रोकने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट के जरिये ये बात कही। एक दिन पूर्व बागपत में भी उन्होंने सरकार के इस कदम का ऐलान किया था।
गडकरी ने कहा कि सिंधु नदी जल समझौते के तहत भारत के हिस्से की पूर्वी नदियों रावी, व्यास और सतलुज नदियों का पानी अभीतक बहकर पाकिस्तान चला जाता था लेकिन अब सरकार ने इसे रोकने का निर्णय किया है। इन नदियों के पानी को डायवर्ट कर पंजाब और जम्मू- कश्मीर की नदियों में प्रवाहित किया जाएगा।
गडकरी के मुताबिक सरकार तीनों नदियों के प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है। इससे यमुना का जलस्तर भी बढ़ेगा वहीं पाकिस्तान में सूखे के हालात पैदा हो जाएंगे।

क्या है सिंधु जल संधि..?

भारत- पाकिस्तान के बीच सितम्बर 1960 मे सिंधु जल समझौता हुआ था। भारत की ओर से तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति अयूब खान ने समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत पूर्वी नदियों रावी, व्यास और सतलुज नदियों पर भारत का वहीं पश्चिमी नदियों झेलम, चिनाब और सिंधु पर पाकिस्तान का हक़ होगा। समझौते के तहत पश्चिमी नदियों के पानी सके बिजली बनाने और सिचाई का सीमित अधिकार भी भारत को मिला हुआ है। विवाद की स्थिति में किसी तटस्थ विशेषज्ञ या कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन की मदद लेने का समझौते में प्रावधान है।

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