इंदौर:{प्रवीण खारीवाल}इंदौर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस संगठन, विधायक,विधायक प्रत्याशी और मंत्रियों ने रणनीतिपूर्वक चुनाव प्रबन्धन की कमान संघवी परिवार की बजाय अपने हाथों में रखी।नेताओं ने अपने लिहाज़ से प्रचार अभियान चलाया। नतीजा यह रहा इस बार इंदौरवासियों को हर बार की तरह कांग्रेस-संघवी परिवार का माहौल ही नज़र नहीं आया। बहरहाल,इस पोस्ट में बात करेंगे संभावित नतीज़ों की। जो लोग मुझे करीब से जानते हैं उन्हें पता है पिछले कई चुनावों से मेरा आंकलन सच के बेहद करीब रहता है। आमजनों से घुल मिलकर वोटों का गणित निकालना कोई आसान काम नहीं होता। इस मामले में आपकी साख भी दांव पर लगी होती है।खैर…करीब 25 दिन पूर्व ABP मराठी के एक टॉक शो में मैंने दावा किया था मध्यप्रदेश में कांग्रेस अधिकतम 05 सीटें लाएंगी।ज़ाहिर है इस दावे में इंदौर सीट शरीक नहीं थी। दरअसल, विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस नेता-कार्यकर्ता आराम और संतोष की मुद्रा में आ गए हैं। उन्हें केंद्र की बजाय राज्य सरकार से अधिक सरोकार है। विधानसभा चुनाव वाली एकता भी इस बार लोकसभा चुनाव में नहीं दिखी। प्रदेश के कथित बड़े नेता भी इस बार अपने ही चक्रव्यूह में उलझे नज़र आये।मुख्यमंत्री-पीसीसी चीफ़ कमलनाथ भी मंत्रियों-विधायकों को कड़ी मेहनत की चेतावनी से आगे कुछ करते नज़र नहीं आये। नतीज़ा यह रहा कांग्रेस आरामदेह अवस्था में आ गई। बीजेपी और आरएसएस ने इस हालात का जमकर फायदा उठाया। नमो लहर ने भी खूब साथ दिया और मतदाताओं ने इस बार चुनाव मैदान में कांग्रेस को नहीं पाकर दिल की आवाज़ पर मतदान किया।
सवा दो लाख से अधिक की बीजेपी को मिल सकती है लीड।
मेरे आंकलन के मुताबिक इंदौर संसदीय क्षेत्र की आठों विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की हालत खस्ता है। इंदौर-1 में 25,000 इंदौर-2 में 60,000 इंदौर-3 में 12,000 इंदौर-4 में 45,000 इंदौर-5 में 15,000 राऊ में 15,000 देपालपुर में 25,000 और सांवेर में 30,000 की यानी करीब सवा दो लाख मतों की जबर्दस्त लीड बीजेपी को मिलने जा रही है।
*नोट:*
मेरा यह भी आंकलन है हालातों की जद में जकड़े मुख्यमंत्री अपनी सख़्त चेतावनी के बावजूद किसी भी मंत्री-विधायक का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।
(प्रवीण ख़रीवालजी वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक होने के साथ स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी हैं।)