इंदौर (कीर्ति राणा) प्रेस क्लब का वह गोल्डन पीरियड था जब अध्यक्ष नईदुनिया और सचिव दैनिक भास्कर से निर्वाचित हुआ । ये उन वर्षो की बात है जब मैं भास्कर और वो नईदुनिया के सिटी चीफ हुआ करते थे। अकसर खबरों के संघर्ष/प्रतिस्पर्धा में दोनों में १९-२१ जैसी स्थिति रहती थी। प्रेस क्लब के चुनाव में वो अध्यक्ष और मैं (महा) सचिव निर्वाचित हुआ।
दोनों अखबारों का इन दोनों पदों पर कब्जा रहा और यह संतुलन प्रेस क्लब की गरिमा के लिए मणि-कांचन संयोग जैसा रहा।यही वजह है कि जब आज भी शहर के प्रबुद्धजन हमारे कार्यकाल को प्रेस क्लब का गोल्डन पीरियड कहते हैं तो मन को अच्छा लगता है कि पूर्ववर्तियों ने मातृ संस्था को जो गरिमा दी उसे हमने कम नहीं होने दिया।
जलधारी जी गायक और कवि भी थे। तुकबंदी आधारित धड़ाधड़ नौ संकलन निकाल डाले। भारत-पाक संबंध विषय आधारित दसवें संकलन के लिए मुझे भी कविता लिखने के लिए कहते रहेऔर अंतत: मुझे भी आर्डर पर माल तैयार करना पड़ा।जलधारी जी का जाना हिंदी पत्रकारिता के लिए भी दुखद है।
उनकी शादी के रिसेप्शन से जुड़ा एक प्रसंग याद आता है। तब मैं बांबे (मुंबई) में साप्ताहिक ‘करंट’ में काम कर रहा था। छुट्टियों पर इंदौर आया हुआ था। मुझे जानकारी लगी कि जलधारी की शादी का रिसेप्शन प्रेस क्लब में है तो (बिना बुलाए) पहुंच गया था। जलधारी को यह बात कही भी, उन्हें अत्याधिक खुशी हुई थी मेरी इस आत्मीयता पर। (हालांकि मेरे परिजनों की सलाह और नाराजी भी थी कि पत्रिका नहीं आई, बुलाया नहीं तो क्या जरूरत है जाने की, लोग क्या कहेंगे)
जलधारी कवि हृदय होने से संवेदनशील थे। कुछ ऐसे हालात बने कि उन्हें नईदुनिया छोड़ना पड़ा था। तब उस संस्थान से जुड़ी यादों का जिक्र करते हुए रो पड़ते थे। ऐसा ही तब भी हुआ जब उन्होंने भास्कर ज्वाइन किया और कुछ ही महीनों बाद उनका तबादला ग्वालियर कर दिया गया। तब भी मैंने उन्हें कल्पेश याग्निक के सामने पारिवारिक परेशानियां बताते हुए रोते हुए देखा था।
उनकी बीमारी में उपचार खर्च के लिए शासन स्तर पर प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी और टीम ने जो प्रयास किए वह स्तुत्य हैं। विनम्र श्रद्धांजलि।
जलधारीजी से खबरों को लेकर प्रतिस्पर्धा होती थी- कीर्ति राणा
Last Updated: August 31, 2019 " 04:22 pm"
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