विजन के मामले में प्रदेश के पूर्ववर्ती सीएम से बेहतर हैं कमलनाथ..!

  
Last Updated:  October 20, 2019 " 01:19 pm"

(कीर्ति राणा)
इंदौर : कांग्रेस सरकार की मैग्नीफिसेंट एमपी समिट में अरबपतियों का आगमन प्रदेश हित में कितना रहा यह तो कुछ महीनों बाद पता चलेगा लेकिन इन धन कुबेरों के बीच में कमलनाथ की सहजता-शालीनता ने सब का दिल जीत लिया। दो दिन हर सत्र में कमलनाथ की कार्यशैली को नजदीक से देखने वाले उद्योगपतियों को कमलनाथ की सीईओ वाली भूमिका ने अधिक प्रभावित किया। वे दो दिन इंदौर में रहे लेकिन आगमन से लेकर उदघाटन सत्र वाले दूसरे दिन भी वे अपनी उसी परंपरागत वेशभूषा कुरता-पाजामा में नजर आए। मप्र के औद्योगिक इतिहास के इस प्रतिष्ठा महोत्सव में कमलनाथ सीएम की अपेक्षा किसी बड़े औद्योगिक घराने के सीईओ की तरह पेश आते रहे। विजन के मामले में कमलनाथ पूर्व सीएम शिवराज सिंह सहित (अर्जुन सिंह को छोड़कर) मप्र के अन्य पूर्व सीएम से हजार गुना बेहतर लगे। जिस तरह औद्योगिक घरानों की एजीएम तय वक्त पर शुरु होकर बाकी सत्र के समय, अतिथि वक्ता निर्धारित रहते हैं। वैसा ही अनुशासन इन दो दिनों में भी नजर आया। यही कारण रहा कि सरकारी आयोजन होते हुए भी यह असरकारी साबित हुआ तो इसलिए कि सहयोगी मंत्रियों से लेकर अधिकारियों तक पर उनका खौफ देखा जा सकता था। मंच पर सिर्फ वही गए जिन्हें अपनी बात कहना थी, बाकी सीएम सहित सभी मंच के सामने कुर्सियों पर बैठे रहे। ठीक 11 बजे शुरुआत हुई। मुख्यमंत्री कमलनाथ से लेकर मुख्य सचिव एसआर मोहंती निर्धारित दस मिनट में अपनी बात कह कर मंच से उतर गए।पिछले सालों में हुई सात इंवेस्टर समिट की तरह न स्वागत करने वालों के नाम की फेहरिस्त और न ही मंच पर गुलदस्ते भेंट करते वक्त फोटोसेशन की हड़बड़ी नजर आई।
विश्व की औद्योगिक हस्तियों को निमंत्रित करने के लिए सीएम के साथ शीर्ष अधिकारियों के दल को भी विश्व के अनेक देशों की यात्रा पर जाने का यह प्रदेश गवाह रहा है।इस आयोजन में तो उल्टा हुआ, जिन्हें आमंत्रित किया वे सारे उद्योगपति अपने खर्च पर होटलों में रुके। मप्र में निवेश के लिए कौन उद्यमी, किस तरह मददगार हो सकता है इन सब को कमलनाथ तब से व्यक्तिगत रूप से जानते है जब वे इंदिरा गांधी से लेकर मनमोहन सिंह के वक्त तक विभिन्न मंत्रालयों का दायित्व संभालते रहे। जिस तरह सीएम रहते नरेंद्र मोदी गुजरात मॉडल के कारण पहचाने गए थे वैसे ही कमलनाथ उद्योग जगत में छिंदवाड़ा मॉडल के रूप में दशकों से पहचाने जाते रहे हैं।उद्योग-व्यापार को लेकर उनका अपना विजन रहा है, इसलिए यह भी पता है कि किस उद्योग से प्रदेश को कितना लाभ मिलेगा। इंडिया सीमेंट फैक्ट्री लगाने वालों से जब वे चर्चा कर रहे थे तो बता रहे थे कि सीमेंट कारखाने में भले ही पांच-सात सौ लोगों को रोजगार मिले लेकिन माल ढुलाई के लिए 500 ट्रक खरीदेंगे तो टैक्स मप्र को मिलेगा, यही नहीं एक ट्रक पर कम से कम चार लोगों को रोजगार मिलेगा।
सहयोगी मंत्रियों पर उनके खौफ का आलम यह था कि कैमरा देखते ही पोज और बाइट देने की मुद्रा में आ जाने वाले मंत्री भी उदघाटन समारोह से लेकर अन्य सेशन में जहां थे, जैसे थे मुद्रा में बैठे रहे।इन मंत्रियों के साथ हर जगह नजर आने वाले कार्यकर्ताओं का दूर दूर तक पता नहीं था। एक मंत्री ने सिंधिया के साथ तो दूसरे ने कमलनाथ के फोटो वाले होर्डिग्ज समारोह स्थल और सुपर कॉरिडोर पर टांग दिए थे। इसकी भनक लगते ही नगर निगम अमले को निर्देश मिल गए कि ऐसे सारे होर्डिंग्ज तत्काल हटाए जाएं। इस आयोजन में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता भी खुद सीएम से अनुमति मिलने के बाद ही शामिल हुए। विभिन्न हॉल में चलने वाले सेशन के लिए भी वक्ता उद्योगपति और शामिल होने वालों के नामों की सूची गेट पर तैनात अधिकारियों के पास थी। सूची के आधार पर ही प्रवेश दिया गया।
एक दिन पहले हुई पीथमपुर औद्योगिक संगठन के साथ बैठक में भी उन्हीं लोगों को प्रवेश मिला जिनके नाम सूची में थे। ऐसी तमाम बैठकों में मीडिया पर्सन आदि को भी सख्ती से रोक दिया गया। बैठकों में यह स्थिति भी बनी कि सीएम के साथ बैठक में शामिल होने के फोटो उद्योगपतियों ने अपने मोबाइल से लिए।

शिवराज के टाइम अधिकारी नंबर जुटाने में लगे रहे।

पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी शिवराज सिंह चौहान के वक्त 2007, 10, 12, 14 और 2016 में हुई इंवेस्टर समिट में शामिल रहे हैं। कोठारी का कहना है शिवराज का मंत्र तो अच्छा था लेकिन जालिम तंत्र ने सब गड़बड़ कर दिया। अधिकारियों ने शिवराज सिंह की इस कमीं को समझ लिया था कि उनका इंट्रेस्ट नंबर में है। इसलिए खूब एमओयू कराए, 12 लाख 47 हजार करोड़ के कुल एमओयू हुए लेकिन इंवेस्ट हुआ सिर्फ 50 हजार करोड़ का। शिवराज तो खुद एग्रीकल्चर से जुड़े थे लेकिन खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना की दिशा में जी हुजूर तंत्र ने काम होने नहीं दिया। कमलनाथ जी से इसलिए अपेक्षा है कि वे खुद उद्योगपति हैं।

यह सम्मेलन छोटे उद्योग वालों के लिए तो नहीं था।

एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री एमपी के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया मैग्नीफिसेंट एमपी का हिस्सा बने जरूर लेकिन उनका साफ कहना है यह सम्मेलन छोटे उद्यमियों के लिए तो नहीं था। हमने तो कमलनाथ जी से कहा भी कि छोटे उद्यमियों के साथ अलग से चर्चा करना चाहिए। मप्र में छोटे उद्योगों की संख्या 1800 से अधिक है। सरकार को करीब 60 फीसदी राजस्व हमसे मिलता है। जीडीपी बढ़ाने से लेकर रोजगार उपलब्ध कराने तक में हमारा योगदान अधिक है लेकिन नई सरकार ने हमारी समस्याओं पर इतनी गंभीरता से विचार नहीं किया है। चूंकि कमलनाथ खुद उद्योगपति हैं इसलिए वे परेशानी भी जानते हैं। उनका मुख्यमंत्री पद पर होना इस नजरिए से हमारे हित में ही है। इन दो दिन में महसूस किया कि वे काफी प्रेक्टिकल भी हैं।उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि लघु-मध्यम उद्योगों की बातें भी सुनेंगे।

इनका अनुभव ज्यादा है, बेहतर परिणाम की उम्मीद।

इंदौर उत्थान समिति के अध्यक्ष अजीतसिंह नारंग का कहना है कमलनाथ जी उद्योगपति होने के साथ केंद्र में विभिन्न विभागों में मंत्री रहे हैं उनका अनुभव अधिक है।उम्मीद कर सकते हैं कि परिणाम पहले से बेहतर आएंगे। जो इशु लिए हैं उनमें लॉजिस्टिक हब, फूड प्रोसेसिंग, टूरिज्म ऐसे मुद्दे हैं जिनके अच्छे परिणाम ही सामने आएंगे।

{ये लेखक के निजी विचार हैं। आप इससे सहमत या असहमत हो सकते हैं। }

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