परमात्मा के साथ प्रेम भाव के अलावा कुछ भी स्थायी नहीं- सन्तश्री राजिंदर सिंह

  
Last Updated:  October 22, 2019 " 06:36 pm"

इंदौर : सावन कृपाल रूहानी मिशन के अध्यक्ष संतश्री राजिंदर सिंह ने मंगलवार को अपने दिव्य सत्संग और प्रवचनों के जरिये देश- विदेश से आए हजारों श्रद्धालुओं को लाभान्वित किया। रूहानी मिशन की इंदौर शाखा ने कैट रोड स्थित राजिंदर आश्रम में इस सत्संग- प्रवचन का आयोजन किया था। श्रद्धालुओं के बैठने के लिए विशाल पांडाल का निर्माण आश्रम परिसर में किया गया था। संतश्री राजिंदर सिंह का इंदौर वासियों की ओर से बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने स्वागत करते हुए उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया।

मानवता, प्रेम, शांति और मानव सेवा जैसे मूल्यों को बढ़ावा देने वाले संत श्री राजिंदर सिंह ने पांडाल में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए कहा कि…दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है। मानवीय रिश्तों में निहित प्रेम भाव हमेशा एक जैसा नहीं होता। समय के साथ बदलता रहता है। केवल इंसान का परमपिता परमात्मा के साथ प्रेम भाव ही स्थायी होता है। संतश्री ने कहा कि 84 लाख योनियों में मानव जन्म श्रेष्ठ माना जाता है। यही जन्म हमारी आत्मा का परमात्मा से मिलन करवा सकता है।
संतश्री राजिन्दरजी ने अपने दिव्य प्रवचन देते हुए आगे कहा कि हमारी आत्मा dark night of the soul से गुजर रही है। सच्चा संत ही हमें नामदान देकर इस अंधेरे से बाहर ला सकता है। जिससे आत्मा का परमात्मा से मिलन का मार्ग प्रशस्त हो सके।

हजारों श्रद्धालुओं को दिया नामदान।

सत्संग- प्रवचन के बाद संतश्री राजिंदर सिंह ने उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को नामदान याने आध्यात्मिक दीक्षा देकर उन्हें प्रभु की ज्योति व श्रुति का निज अनुभव कराया।

ध्यान- अभ्यास की विधि सिखाई।

संतश्री राजिंदर सिंह ने ध्यान- अभ्यास की सरल विधि भी सिखाई। इस विधि को ‘सूरत शब्द योग’ और ‘आंतरिक ज्योति व श्रुति का मार्गदर्शन’ भी कहा जाता है।
रूहानी मिशन की इंदौर शाखा की ओर से प्रारम्भ में संतश्री राजिंदर सिंह का गुलदस्ते देकर स्वागत किया गया। बाद में माता रीटा ने गुरु अर्जुन देव का एक शबद पेश किया।

आश्रम का किया शुभारम्भ।

संत श्री ने इसके पूर्व 21 अक्टूबर को कैट रोड पर स्थापित राजिंदर आश्रम का विधिवत उदघाटन किया।

आपको बता दें कि सावन कृपाल रूहानी मिशन के पूरे विश्व में 3 हजार केंद्र संचालित किए जा रहे हैं जिनसे लाखों श्रद्धालु जुड़े हुए हैं। विश्व की 55 भाषाओं में मिशन का साहित्य प्रकाशित हो चुका है।

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