इंदौर : मराठी सोशल ग्रुप ट्रस्ट द्वारा पोद्दार प्लाजा में आयोजित ‘जत्रा’ इंदौर के बाशिंदों को एक बार फिर मराठी लजीज व्यंजन, संस्कृति और मनोरंजन की ऐसी सौगात दे गई जो उन्हें लंबे समय तक याद रहेगी। जत्रा का यह 20 वा वर्ष था। हर साल दिवाली के पहले जत्रा का आयोजन होता है लेकिन इस बार लगातार बारिश ने आयोजकों को मजबूर किया की वे तारीख आगे बढ़ा दें। इसी के चलते जत्रा 7 से 10 नवम्बर तक आयोजित की गई। पहले दो दिन भी आसमान में काले बादल डेरा डाले हुए थे। इससे ये चिंता सता रही थी कि बारिश फिर से किये कराए पर पानी न फेर दे, पर बादलों ने मेहरबानी की और बिना बरसे ही लौट गए। 9 नवम्बर को भी शहर में छाए सन्नाटे को देखते हुए आयोजक चिंतित थे कि लोग जत्रा में आएंगे की नहीं, पर उनकी आशंका निर्मूल साबित हुई। शाम ढलते ही शहर के लोग परिवार सहित जत्रा में पहुंच गए और स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ खरीददारी व मुम्बई से आए कलाकारों के मनोहारी लावणी नृत्य का आनंद लिया। रविवार को अंतिम दिन तो मानों पूरे शहर का रुख ही जत्रा की ओर रहा। शाम से उमड़ी भीड़ का आलम रात 11 बजे बाद भी चलता रहा। इस बार जरूरत की हर चीज़ के स्टॉल यहां लगाए गए थे। हर स्टॉल पर डिस्काउंट का लाभ भी दिया जा रहा था। इसके चलते लोगों जमकर खरीददारी की। व्यंजन स्टॉल्स पर तो लोग जैसे टूट पड़े थे। अपने पसंदीदा व्यंजनों का परिवार सहित लुत्फ उठाने का ये मौका वे किसी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते थे। व्यंजनों का आस्वाद लेने के बाद लावणी नृत्य देखने का भी लोगों ने पूरा आनंद लिया।
प्लास्टिक मुक्त जत्रा..
जत्रा में प्लास्टिक का उपयोग कहीं नहीं किया गया। फ़ूड स्टॉल्स पर कागज के कप, प्लेट्स, गिलास का उपयोग लोगों को व्यंजन परोसने में किया गया। साफ- सफाई का खास ध्यान रखा गया था। फ़ूड जोन से निकलने वाला कचरा निर्धारित जगह एकत्रित कर उसका हाथो हाथ निपटान किया जा रहा था। प्लास्टिक की पानी की बोतलों को रीसायकल करने के लिए नगर निगम के सहयोग से एक मशीन भी लगाई गई थी।
कुल मिलाकर जत्रा का आयोजन तमान बाधाओं और आशंकाओं के बावजूद बेहद सफल रहा। जो भी जत्रा का हिस्सा बना, सुकून और संतुष्टि का भाव लेकर लौटा, इस उम्मीद के साथ अगले साल फिर जत्रा में स्वाद, संस्कृति और शॉपिंग का वही लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा जो इस बार मिला है।