सारिका ने श्रोताओं पर बरसाई सूफियाना गीतों की ‘रहमतें’

  
Last Updated:  November 18, 2019 " 04:24 am"

स्टेट प्रेस क्लब द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का समापन सूफी संगीत की महफ़िल के साथ हुआ। महफ़िल को नाम दिया गया था ‘रहमतें’ यशवंत क्लब के खुले मैदान में सजाए गए मंच पर सूफियाना गीत सुनाने के लिए तशरीफ़ लाई थीं मुम्बई में स्थापित इंदौर की गायिका सारिका सिंह। सूफ़ी गायकी के माध्यम से सारिका पहली बार इंदौर के श्रोताओं से रूबरू हुईं। लोग रात 8 बजे से ही मंच के सामने अपनी जगह सुरक्षित करने लगे थे। उससमय सारिका एक गीत गा रही थी। लोगों को लगा कार्यक्रम शुरू हो गया है पर बाद में पता चला कि वो साउंड टेस्टिंग चल रही थी। बाद में वो ड्रेसअप चेंज करने के लिए चली गई और लोग कार्यक्रम शुरू होने का इंतजार करने लगे। नियत समय रात 8.30 बजे का था पर इंतजार लंबा होता गया। पौन घंटे देरी से करीब 9.15 बजे मंच पर अतिथियों और सारिका की आमद हुई। स्वागत, उदबोधन आदि का सिलसिला आधे घंटे तक चला। इस बीच खुले मैदान में ठंड ने भी असर दिखाना शुरू कर दिया था। खैर, इंतजार की घड़ियां खत्म हुई और लगभग सवा घंटे देरी से याने रात पौने दस बजे सारिका ने माइक संभाला। उन्होंने ” सत्यम शिवम सुंदरम”से कार्यक्रम का आगाज किया।
स्थानीय यशवन्त क्लब के सदस्यों,देश भर से पधारे पत्रकारों और आमंत्रितों की उपस्थिति में फिर प्रारम्भ हुआ सूफ़ियाना गीतों का सफर। सारिका ने अपने पहले ही गीत से लोगों के दिलों को छूना शुरू कर दिया। उनकी आवाज में वो कशिश है जो श्रोताओं को बांध लेती है। “मेरे मौला करम हो करम” गीत पेश करते ही लोग लम्बा इंतजार भूल गए और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सारिका को दाद दी।
इसके बाद सारिका ने ” सानू इक पल चैन न आवे”
” हीरे मोती मै ना चाहूं”
” ओ रे पिया ” और
” करुं मै तेरा सजदा”
जैसे गीत पेश कर बड़ी तादाद में उपस्थित श्रोताओं को रूहानी सुकून का अहसास कराया। शफ़क़त अमानत जी के गीत ” मोरा सैयां मोसे बोले ना” पर उन्हें श्रोताओं का विशेष प्रतिसाद मिला।
इसके बाद तो खूबसूरत गीतों का सिलसिला सा चल पड़ा।
” नैनो की मत मानियो रे नैना ठग लेंगे”
” तेरी दीवानी”
” सांवरे ( नुसरत साहब)
” ये जो सिली सिली औंदी है हवा” जैसे गीत श्रोताओं के जेहन में उतरते चले गए और वे सर्द होते मौसम के बावजूद अपनी कुर्सियों पर जमें रहे।
तीसरे और अंतिम दौर में मस्ती भरे गीतों ने श्रोताओं में गर्माहट ला दी।
“तू माने या ना माने दिलदारा”
” दमदम मस्त कलन्दर”
” छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाई के
नित ख़ैर मंगा सोनिया मै तेरी दुआ न कोई और मंगदी” जैसे गीतों पर श्रोता तालियों से साथ देते रहे।
सूफियाना गीतों का लुत्फ उठाने के लिए एयरपोर्ट डायरेक्टर आर्यमा सान्याल विशेष तौर पर आई थीं।
नीतेश- भोला का संगीत संयोजन और विनीत शुक्ला का सूत्र संचालन कार्यक्रम को सफल बनाने में मददगार रहा।
कुल मिलाकर पत्रकारिता महोत्सव के समापन का जलसा शहर की फ़िज़ा में सूफ़ियाना रंग घोलने में कामयाब रहा। प्रारम्भ में अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, कार्यक्रम संयोजक गोरधन लिम्बोदिया, समन्वयक आकाश चौकसे,अक्षय जैन,रवि चावला, अजय भट्ट,डॉ. अर्पण जैन, कमल कस्तूरी ने कलाकारों का स्वागत किया।

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