इंदौर : भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री विक्रम वर्मा ने भाजपा कार्यालय पर आयोजित पत्रकार वार्ता में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर जमकर निशाना साधा।
श्री वर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा था, सभी किसानों का 2.00 लाख तक कर्ज़ माफ करेंगे, जिसमें सहकारी बैंक एवं राष्ट्रीकृत बैंकों का चालू एवं कालातीत कर्ज शामिल होगा। कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने वादा किया कि सरकार बनते ही 10 दिन में कर्ज माफ कर देंगे पर न तो कर्जा माफ हुआ और न ही मुख्यमंत्री बदले गए। म.प्र. की कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार 25 प्रतिशत किसानों की भी कर्ज़ माफी नहीं कर पायी है। किसान कर्ज माफी के भरोसे में फसल बीमा सहित अन्य सुविधाओं से भी वंचित रह गया। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में जीरो प्रतिशत ब्याज योजना का वास्तविक लाभ देने का वचन दिया था। खरीफ ऋण की डयू-डेट 31 दिसम्बर तय करने का वादा किया था, लेकिन किया कुछ नहीं। म.प्र. के किसान को कालातीत घोषित कर दण्ड ब्याज सहित कर्ज की वसूली की जा रही है। किसानों को सहकारी एवं राष्ट्रीकृत बैंकों से पुनः ऋण भी नहीं मिल पा रहा है। वित्त पौषण नहीं होने से किसानों का काम प्रभावित हो रहा है।
श्री वर्मा ने कहा कि कांग्रेस को जनता के सामने यह स्पष्ट करना चाहिये कि जब विधानसभा चुनाव में 2 लाख की कर्ज माफी का वादा किया था तो उसके लिये धन का प्रावधान क्यों नहीं किया गया। बात-बात पर केन्द्र सरकार को कोसने वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सीधे-सीधे किसानों को धोखा दिया है।
आपदा प्रबंधन और मुआवजा व राहत राशि देने में नाकाम कांग्रेस सरकार।
विक्रम वर्मा ने इस वर्ष कहा कि प्रदेश के 52 जिलों में से 32 जिलों में अतिवर्षा से आई बाढ़ में हजारों घर बह गए, मवेशी, गाय, भैंस आदि हजारों की संख्या में बहकर मर गए। किसानों के घरों में रखी सोयाबीन, गेहूँ, सरसों, लहसुन, चना आदि बीज नष्ट हो गये। किसानों के घरों की तबाही ऐसी हुई की सर छुपाने की जगह नहीं बची। मुख्यमंत्री, मंत्री प्रभावित गाँवों में समय पर नहीं पहुँचे। सरकार आपदा प्रबंधन में पूर्ण रूप से नाकाम रही। मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार के द्वारा अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त फसलों का निर्धारित मापदण्डों के अनुसार विधिवत आंकलन कर आज दिनांक तक रिपोर्ट जमा नही की गई है। अनुमानित आंकड़ों के बल पर ही मात्र शिगुफेबाजी की जा रही है। वहीं दूसरी और केन्द्र की मोदी सरकार ने किसानों को राहत देने के लिये 1000 करोड़ की राशि प्रदेश सरकार को दी है। अब प्रदेश की कांग्रेस सरकार बताये कि यह राशि कितने किसानों को वितरित की गई।
कमलनाथ सरकार के पास इस बात का क्या जवाब है कि जब हमारी सरकार ने गेहूॅ पर 200 रूपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त देने के साथ-साथ सालभर में लगभग 33 हजार करोड़ रूपया मध्यप्रदेश के किसानों को बिना केन्द्र की मदद के दिया था। तो फिर कमलनाथ सरकार किसानों की फसल की सामान्य खरीदी करने में भी धन का रोना क्यों रो रही है।
यूरिया का संकट निकम्मी कांग्रेस सरकार की उपज।
केन्द्र में कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौर में देश भर में यूरिया की कालाबाजारी जोरों पर थी, किसानों को यूरिया के संकट से जूझना पड़ता था, यूरिया मांगने वाले किसानों पर लाठी चार्ज की घटनायें आम थी। केन्द्र में नरेन्द्र मोदीजी की सरकार आने के बाद देश में यूरिया की उपलब्धता किसानों तक करने के लिये सार्थक प्रयास किये गये। कालाबाजारी और अन्य उपयोग रोकने के लिये नीम कोटेड युरिया का उत्पादन कराया गया। मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार रहते हुए किसानों को यूरिया की उपलब्धता समय से पहले सुनिश्चित करा ली जाती थी। अब मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार में फिर वही दौर लौटकर आ गया। यूरिया मांगने वाले किसानों की लंबी लाईनें दिखाई देने लगी हैं। किसान परेशान हैं। लेकिन लगातार तबादलों में व्यस्त,रेत और शराब के कारोबार में लगी कांग्रेस की सरकार किसानों के प्रति संवेदनहीन बन गई है। रबी की फसल प्रदेश में कितने हेक्टेयर में बोई गई इसका आंकलन सरकार करने में नाकाम सिद्ध हुई। बल्कि ऐसा करने का सरकार की और से विधिवत कोई कार्य भी नही हुआ जिस कारण किसानों की मांग के अनुसार खाद विशेषकर यूरिया का संकट पैदा हो गया। कांग्रेस सरकार करप्शन, कालाबाजारी और कुशासन का प्रतीक बनकर किसानों के संकट का कारण बन गई है।
धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी का प्रबंध नहीं।
खरीब की फसल विशेषकर धान के समर्थन मूल्य पर खरीदी करने का प्रबंध प्रदेश सरकार द्वारा नही किया गया है। दो-दो बार खरीदी करने की तारीखें बढ़ाई गई है। आज भी खरीदी करने के लिये आवश्यक संसाधन नही जुटाये गये हैं।मजबूरन समर्थन मूल्य से नीचे अपनी उपज बेचने पर किसान मजबूर हैं।
खेती के लिए किसानों को 12 घण्टे बिजली दे सरकार।
विक्रम वर्मा ने कमलनाथ सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि किसानों को थ्री फेस बिजली प्रतिदिन 12 घण्टे देने का कांग्रेस ने वादा किया था पर उसे भी पूरा नहीं किया।
पिछले साल गेहूं के समर्थन मूल्य में 160 रूपया प्रति क्विंटल अतिरिक्त राशि किसानों को देने का वादा भी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने किया था लेकिन किसानों के साथ धोखेबाज सरकार ने वह राशि आज दिनांक तक किसानों को नहीं दी, इससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस सरकार की कथनी और करनी में अंतर है बल्कि गुमराह करना, धोखा देना इनकी आदत बन गई है।