इंदौर : मप्र ऑप्टोमेट्रिस्ट फेडरेशन एवम आइकेयर ग्रुप के पदाधिकारियों ने शहर में अप्रशिक्षित लोगों द्वारा आंखों की जांच कर चश्मे बनाने के फलते- फूलते कारोबार पर गहरी चिंता जताई है।
बुधवार को प्रेस वार्ता के जरिये ऑप्टोमेट्रिस्ट फेडरेशन के विजय नागले, मनीष भटनागर, कमल गोस्वामी, पीयूष द्विवेदी और राजेश मेश्राम ने कहा कि अप्रशिक्षित लोग अपनी दुकानें चलाकर लोगों की आंखों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। पदाधिकारियों का कहना था की इंदौर में लगभग 8 सौ दुकानें ऐसी है जहां अप्रशिक्षित व्यक्ति लोगों की आंखों की जांच कर गलत नम्बरों के चश्में बनाकर दे रहे हैं। इससे आंखों में संक्रमण व अन्य बीमारियां हो रही हैं। आंखों की रोशनी पर भी इसका असर पड़ता है।
स्वास्थ्य विभाग नहीं कर रहा कार्रवाई।
ऑप्टोमेट्रिस्ट फेडरेशन के पदाधिकारियों के मुताबिक उन्होंने इस बात की शिकायत स्वास्थ्य विभाग से करने के साथ अप्रशिक्षित लोगों की सूची भी विभाग को उपलब्ध कराई थी पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
मेडिकल कॉलेज संचालित करते हैं डिग्री, डिप्लोमा कोर्स।
ऑप्टोमेट्रिस्ट फेडरेशन के पदाधिकारियों के अनुसार ऑप्टोमेट्रिस्ट के पाठ्यक्रम मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज संचालित करते हैं। इसमें दो साल का डिप्लोमा कोर्स व एक साल की इंटर्नशिप होती है। डिग्री कोर्स 4 साल का, मास्टर डिग्री 2 साल की और बाद में पीएचडी भी की जा सकती है। ऑप्टोमेट्रिस्ट का पंजीयन मप्र सहचिकित्सकीय परिषद द्वारा किया जाता है। इस पंजीयन के बगैर ऑप्टोमेट्रिस्ट द्वारा लोगों की आंखों की जांच करना अपराध है। इसमें सजा का प्रावधान भी है। पर इंदौर सहित पूरे प्रदेश में कहीं भी इसका पालन नहीं किया जा रहा है।
ऑप्टोमेट्रिस्ट फेडरेशन के पदाधिकारियों ने सरकार से मांग की है कि डिग्री या डिप्लोमा किये बिना लोगों की आंखों की जांच कर नजर के चश्मे बनाने वाले ऑप्टिशियन्स पर कार्रवाई की जाए क्योंकि यह लोगों की आंखों से जुड़ा मामला है।