इंदौर : वक्त की मांग के अनुरूप सीए के सिलेबस में भी बदलाव किए गए हैं।कई पुराने टॉपिक हटाकर तकनीक आधारित ऐसे नए टॉपिक सिलेबस में जोड़े गए हैं जो वित्तीय क्षेत्र से जुड़े हैं। इन तकनीकि बदलावों से डिजिटल अकाउंटिंग की ओर कदम बढ़ाया गया है। इंदौर के सीए भवन में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में देशभर से आए 5 सौ से अधिक प्रतिभागियों को डिजिटल अकाउंटिंग की बारीकियों से अवगत कराया गया। इसी के साथ विद्याथियों की स्कील को बढ़ाने के लिए उपयोगी टिप्स भी दिए गए।
अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुरूप बनाया कोर्स।
आईसीएआई के अध्यक्ष प्रफुल्ल छाजेड़ ने बताया कि बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए सीए के सिलेबस को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाने का भी प्रयास किया गया है। परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाई गई है।
विद्यार्थियों के क्रेश कोर्स।
आईसीएआई ने सीए की तैयारी के लिए क्रेश कोर्स भी शुरू किया है। इसमें नवोदित स्टूडेंट्स विशेषज्ञों की मदद से विषय पर पकड़ बनाई जा सकती है। इसी के साथ हेल्पलाइन नम्बर के जरिये फेकल्टी से बात करने की सुविधा भी विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई गई है। आईसीएआई की खुद की लैब है। साढ़े चार हजार नए अपग्रेड कम्प्यूटर सभी ब्रांचेस में लगाए गए हैं।
7.50 लाख हैं सीए स्टूडेंट्स।
आईसीएआई अध्यक्ष श्री छाजेड़ ने बताया सीए करनेवालों का दायरा अब बढ़ता जा रहा है । 7.50 लाख स्टूडेंट्स ने सीए बनने की दिशा में कदम बढाए हैं। अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा सीए की तादाद भारत में है। आईसीएआई की देशभर में 164 शाखाएं हैं, 5 रीजनल काउंसिल हैं और 34 इंटरनेशनल चैप्टर हैं।
8 से 24 लाख तक का मिलता है पैकेज।
श्री छाजेड़ ने बताया कि गरीब और बिना व्यावसायिक पृष्ठभूमि वाले घरों के बच्चे भी अपनी प्रतिभा और कौशल के दम पर सीए बन रहे हैं। सही मायने में यह जीरो लागत का कोर्स है। 60- 70 हजार में यह कोर्स पूरा हो जाता है। उसके बाद इंटर्नशिप के दौरान मिलने वाले स्टायफण्ड में ही कोर्स की फीस वसूल हो जाती है।श्री छाजेड़ ने बताया कि कैम्पस प्लेसमेंट के दौरान नवोदित सीए को 8 से लेकर 24 लाख सालाना तक के पैकेज मिल रहे हैं।
3 लाख लोगों को दी जीएसटी की ट्रेनिंग।
आईसीएआई अध्यक्ष प्रकाश छाजेड़ ने कहा कि उनका संगठन अपने सामाजिक दायित्व को भी निभा रहा है। उन्होंने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद उसके बारे में जानकारी देने और प्रशिक्षित करने की पहल आईसीएआई ने की। इसके तहत सीए के साथ ही करीब 3 लाख कारोबारी, उद्योगपति और प्रोफेशनल्स को जीएसटी के बारे में अवगत कराया गया। उन्हें इसका प्रशिक्षण भी दिया गया।
वित्तमंत्री को परेशानियों से कराया था अवगत।
श्री प्रफुल्ल छाजेड़ ने बताया की आईसीएआई का प्रतिनिधि मंडल केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से मिला था और उन्हें जीएसटी की विसंगतियों से अवगत कराने के साथ कई सुझाव भी दिए थे। उन्होंने अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती के बारे में कहा कि कारपोरेट टैक्स घटाने के साथ डायरेक्ट टैक्स में बदलाव किए जाने की सरकार की पहल इकोनॉमी को गति देने में सकारात्मक होंगे।
फाइनेंशियल डॉक्टर होता है सीए।
श्री छाजेड़ के मुताबिक सीए फाइनेंशियल डॉक्टर होता है। वो बेहद अहम जिम्मेदारी का वहन करता है। उसकी साइन और मुहर से ही किसी भी कम्पनी की वित्तीय स्थिति का खुलासा होता है। इसीलिए सीए का प्रोफेशनली दक्ष होना जरूरी है।
सीए को आरोपों के दायरे में लाना ठीक नहीं।
श्री छाजेड़ ने कम्पनियों में वित्तीय गड़बड़ी को लेकर सीए को भी आरोपी बनाए जाने को गलत ठहराया। उनका कहना था कि सीए का काम ऑडिट रिपोर्ट तैयार करना है। किसी भी कम्पनी के 100 फीसदी ट्रांजेक्शन्स तक उसकी पहुंच नहीं होती। सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए।