गोली झेलते हुए राम रटूँ, तब ही कहना मैं महात्मा था।

  
Last Updated:  January 30, 2020 " 08:53 pm"

इंदौर :(संजय पटेल) दिन 30 जनवरी 1948, गाँधी के जीवन का अंतिम दिन। सर्दी की वजह से तेज़ ख़ाँसी है आज। किसी ने पेनिसिलिन की गोली चूसने की सलाह दी है। तब रामनाम की शक्ति से ही स्वस्थ होने का अपना निर्णय गाँधीजी अंतिम बार दोहराया। सिर में मालिश करने वाले सहायक से कहा “यदि मैं किसी रोग से मरूँ,चाहे एक छोटी-सी फ़ुंसी ही क्यों न हो,तो तुम पुकार-पुकार कर दुनिया से कहना यह दंभी महात्मा था। मैं जहाँ भी रहूँगा,मुझे तभी मेरी आत्मा को शांति मिलेगी, पर यदि कोई मुझे कोई गोली मारे और मैं उसे सीने पर झेलते हुए भी, मुख से आह न निकाल कर रामजी का नाम रटता रहूँ,तभी कहना कि मैं सच्चा महात्मा था।
संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने उक्त प्रसंग सेवा-सुरभि और पंचम निषाद संगीत संस्थान के साझा तत्वावधान में *राष्ट्रपिता* महात्मा गाँधी के निर्वाण दिवस पर आयोजित ‘भक्ति संगीत की भोर’ कार्यक्रम में सुनाया. उन्होंने कहा गाँधी की देह का निर्वाण तो हुआ लेकिन उनका दर्शन,चिंतन,प्रयोग और वाणी अजर-अमर हैं। डीआईजी रूचिवर्धन मिश्र के मुख्य-आतिथ्य में आयोजित इस 60 मिनिट के समयबध्द आयोजन में डीआईजी ने इन्दौर के शहीद संदीप जैन,गौतम जैन और प्रतीक पुणताम्बेकर के परिजनों को पं.नरेन्द शर्मा के गीत ‘जो समर में हो गए अमर’ से सुरभित स्मृति चिह्न भेंट किया। अतिथि स्वागत ओमप्रकाश नरेडा ने किया। श्वेत परिधान में सजे पंचम निषाद के युवा कलाकारों की भावपूर्ण प्रस्तुति इस कार्यकम का ख़ास आकर्षण रही। वरिष्ठ गायिका शोभा चौधरी के निर्देशन में मनीष मोडक, नियम कानूनगो,पंकज पाण्डे,कृष्णा चतुर्वेदी,राहुल पाटिल,शुभम झा, दीपक ठाकुर, सुमित झा और हारिल साधौ के समवेत स्वरों ने वैष्णव जन तो तेणे कहिए रे, मन मुरख जनम गँवायो,झीनी झीनी चदरिया, प्रभुजी तुम चंदन हम पानी और रघुपति राघव राजाराम की सुमधुर पेशकश दी। तबले पर मुकेश रासगाया और मिहिर गोखले तथा हारमोनियम पर मिहिर गर्ग ने साज-संगति दी।

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