सबके सामने बच्चों को डांटना शिक्षकों को पड़ सकता है महंगा…!

  
Last Updated:  February 2, 2020 " 02:16 pm"

भोपाल: स्कूल में टीचर अब किसी भी स्टूडेंट्स के लिए गधा, मूर्ख, फिसड्डी और नालायक जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। इसे प्रताड़ना माना जाएगा। बाल आयोग ने भोपाल के 271 स्कूलों के बच्चों से उन्हें होने वाले तनाव के संबंध में चर्चा की तो खुलासा हुआ कि टीचर द्वारा किया जाने वाला तुलनात्मक व्यवहार और परीक्षा के समय सबसे ज्यादा तनाव होता है।
बच्चों को तनाव से बचाने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और मप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने काउंसलर्स की मदद से स्ट्रेस मैनेजमेंट प्रोग्राम तैयार किया है। इसमें प्रिंसिपल, टीचर और ब्लाक अधिकारियों को प्रशिक्षण देकर मास्टर ट्रेनर बनाया जाएगा। यह प्रशिक्षण कार्यशाला रीजनल इंस्टीट्यूट में तीन फरवरी को आयोजित की जा रही है। मास्टर ट्रेनर को तैयार करने के बाद आयोग प्रदेश के सभी स्कूलों की मॉनीटरिंग संकुल प्राचार्यों की मदद से करेगा।

बुरा लगता है, जब टीचर सबके सामने डांटती हैं।

बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने बताया कि टीचर के लिए जो बातें छोटी या सामान्य होती हैं वे बच्चों के लिए बड़ी होती हैं। जब बच्चों से पूछो कि उन्हें सबसे ज्यादा बुरा कब लगता है तो उनका उत्तर होता है कि जब टीचर सबके सामने डांटतीं हैं। खासतौर पर माता-पिता के सामने गधा, मूर्ख फिसड्डी या नालायक कहते हैं। दूसरे बच्चों से तुलना करते हैं। कई बच्चों ने तो यहां तक कहा कि उनका मन आत्महत्या तक करने का करता है। उन्होंने बताया कि अगर कोई शिक्षक, छात्रो से इस तरह की भाषा का उपयोग करता है तो जांच के बाद उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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