भोपाल : कोरोना के प्रकोप को थामने के लिए जिला प्रशासन द्वारा सोमवार से लागू किये जा रहे टोटल लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई और वितरण को भी प्रतिबंधित किये जाने का निर्णय किसी के गले नहीं उतर रहा है। खासकर दूध वितरण तक पर लगाई गई रोक को सभी अनुचित ठहरा रहे हैं। लोगों का कहना है कि दूध बच्चों के लिए बेहद जरूरी होता है ऐसे में उसपर बंदिश लगाना प्रशासन का मनमाना निर्णय है।कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में भी दूध, सब्जी जैसी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर रोक नहीं लगाई गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार कह चुके हैं कि
लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति जारी रहेगी। बावजूद इसके इंदौर जिला प्रशासन का दूध जैसी जरूरी वस्तु पर भी बंदिश लगाना उसकी मनमानी को दर्शाता है। जनप्रतिनिधियों ने भी इसका विरोध किया है।
कमलनाथ ने भी दूध पर रोक को बताया गलत।
पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी इंदौर में जिला प्रशासन द्वारा लॉकडाउन के अनुपालन में दूध जैसी अत्यावश्यक वस्तु की आपूर्ति पर भी प्रतिबन्ध लगाने को लेकर सवाल खड़े किए है। उन्होंने सीएम शिवराज सिंह को ट्वीट करते हुए कहा है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन का सख्ती से पालन हो, इससे किसी को इनकार नहीं है लेकिन जिसतरह इंदौर में दूध की सप्लाई को भी बंद करने का निर्णय लिया गया है वो बेहद आपत्तिजनक है। दूध- दवाई आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में आते हैं।
कमलनाथ ने अपने ट्वीट में आगे लिखा है कि देशभर में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर रोक नहीं है।इस निर्णय से उन बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों का क्या होगा जो दूध पर ही आश्रित हैं..? उन पशु पालकों के बारे में भी सोचें जो पहले से ही दोहरी मार झेल रहे हैं। कमलनाथ ने जनहित में इस निर्णय को तत्काल बदलने की मांग की है।
प्रशासन की सफाई, परसों से मिलने लगेगा दूध।
दूध की आपूर्ति पर रोक लगाकर चौतररफ़ा आलोचना झेल रहे इंदौर के जिला प्रशासन ने सफाई पेश की है। उसका कहना है कि कोरोना की सायकल तोड़ने के लिए यह निर्णय लिया गया है। जनता एक दिन सहयोग करें। परसों से दूध मिलने लगेगा।
24 घंटे में समीक्षा कर लेंगे निर्णय।
इस बीच कमिश्नर आकाश त्रिपाठी ने भी आवश्यक वस्तुओं के संदर्भ में 24 घंटे में समीक्षा कर निर्णय लेने की बात कही है। उन्होंने तीन दिन लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करने का आग्रह भी लोगों से किया है।