कोरोना पीड़ित थाना प्रभारी के इलाज में एसपी जैन ने की अनुकरणीय पहल..!

  
Last Updated:  April 14, 2020 " 06:33 pm"

इंदौर : एसपी महेंद्र कुमार जैन की दरियादिली और अपने अधीनस्थों के प्रति उनकी मानवीय संवेदना का उदाहरण मंगलवार (14 अप्रैल) को सामने आया। पुलिस विभाग में उनकी इस सहृदयता की चर्चा हो रही है

अपनी जेब से मंगवाकर दिए हजारों रुपए के इंजेक्शन।

दरअसल, जूनी इंदौर थाना प्रभारी देवेन्द्र कुमार COVID-19 से ग्रसित हैं। वर्तमान में अरविन्दों अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। इलाज के दौरान डाक्टर्स की टीम को एक इंजेक्शन की जरूरत पड़ी जिसकी कीमत करीबन 32 हजार रूपये थी। थाना स्टॉफ 32 हजार रूपये कीमत के इंजेक्शन को लेकर चिंतित था।अतः वह परस्पर पैसे एकत्रित करने का विचार कर रहे थे, उसी दौरान पुलिस अधीक्षक पश्चिम महेश चन्द्र जैन भ्रमण करते हुए थाना परिसर पँहुचे। उन्हें इंजेक्शन खरीदने के लिए स्टॉफ द्वारा पैसे एकत्रित करने की खबर लगी। उन्होंनें तुरंत अपने ड्राइवर को एटीएम कार्ड देते हुए एटीएम से पैसे निकालकर जरूरी इंजेक्शन खरीदने को कहा। दवा बाजार में उक्त इंजेक्शन की मांग अधिक होने से उपलब्धता कम है अतः श्री जैन ने भविष्य में इसकी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुये 02 इंजेक्शन खरीदवा लिए और 01 इंजेक्शन तत्काल अरविन्दों अस्पताल में डाक्टर्स की टीम के पास भेज दिया। वह इंजेक्शन जूनी इंदौर थाना प्रभारी देवेंद्र कुमार को लगाया गया।

हर पुलिसकर्मी के स्वास्थ्य की कर रहें चिंता।

एसपी श्री जैन अस्पताल में भर्ती प्रत्येक पुलिसकर्मी से दिन में 02 बार फेान कॉल से बात कर उनका स्वास्थ्य संबंधी हालचाल जान रहे हैं। एसपी श्री जैन की मानवीय संवेदना की हर जगह प्रशंसा की जा रही है।

श्री जैन ने सभी पुलिस जवानों को भरोसा दिलाया कि किसी भी विषम परिस्तिथि में पुलिस विभाग सदैव उनके साथ खड़ा है।

आम आदमी कहां से लाएगा इतना महंगा इंजेक्शन।

जूनी इंदौर थाना प्रभारी के लिए तो एसपी महेश चंद्र जैन ने इंजेक्शन की व्यवस्था कर दी, पर सवाल ये उठता है कि जब कोरोना संक्रमण के इलाज की पूरी व्यवस्था प्रदेश सरकार ने कर रखी है तो बाहर से हजारों रुपए कीमत का इंजेक्शन क्यों मंगवाया गया। अगर ये इंजेक्शन इतना ही जरूरी है तो सरकार ने उसे उपलब्ध क्यों नहीं करवाया। अगर आम आदमी जो कोरोना का मरीज हो तो वह इतना महंगा इंजेकशन कहां से लेकर आएगा।क्या ये सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह कोरोना के इलाज की समुचित व्यवस्था करें। अगर वह ऐसा नहीं करती तो ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात होगी।

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