कैलाशजी के साथ खड़ा हुआ संगठन, अकेले पड़े शेखावत

  
Last Updated:  June 29, 2020 " 08:08 am"

# कीर्ति राणा #

बदनावर के पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत के तेवर से भाजपा की राजनीति में उबाल आया हुआ है। भाजपा में जब राग ठकुर सुहाती पसंद किया जा रहा हो ऐसे में ताई-भाई वाले बगावती तेवर के कारण शेखावत प्रदेश संगठन के राडार पर हैं।जहां भाजपा का आम कार्यकर्ता उनके अंदाज का मुरीद हुआ जा रहा है वही अनुशासन के डंडे की मार समझने वाले वरिष्ठ नेता मान रहे हैं कि बादल जितनी ऊंची आवाज में गरज रहे हैं उतनी ही जल्दी शांत भी हो जाएंगे।
शेखावत के वॉयरल हुए वीडियो की जानकारी प्रदेश कार्यालय को भी है लेकिन उसके लिए यह मामला पहली प्राथमिकता में नहीं है।संगठन के लिए शेखावत प्रकरण से अधिक जरूरी है मंत्रिमंडल के प्रस्तावित विस्तार में सिंधिया कोटे को प्रमुखता के साथ ही भाजपा के विधायकों को भी एडजस्ट करना। चूंकि इस बार नए चेहरे प्राथमिकता हैं ऐसे में 6 से 8 बार जीत चुके वरिष्ठ विधायकों के अहं को कैसे ठंडा किया जाए इस पर रविवार की रात दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष के यहां मप्र के सत्ता और संगठन प्रमुख मंथन कर रहे थे, जबकि शेखावत के नजदीकी हवा बना रहे थे कि भोपाल से दिल्ली तक सरगर्मी के चलते राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बैठक बुलाई है।

श्रमिक क्षेत्र में कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला ने जिस तेजी से पहचान बनाई उससे पहले भंवरसिंह शेखावत इस क्षेत्र से भाजपा के स्थापित नेता रहे हैं। यह बात अलग है कि बीते वर्षों में जमीनी नेता, संगठन क्षमता और पार्टी द्वारा हर बार नई सीट से विधानसभा चुनाव लड़ाने और जीत हांसिल करने के साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा हरियाणा, प बंगाल आदि राज्यों की जिम्मेदारी सौंपने पर आशानुकूल संगठन खड़ा करने, सरकार बनाने जैसी विलक्षण क्षमता के चलते विजयवर्गीय हाल के वर्षों में पार्टी के शक्तिशाली महासचिव और राष्ट्रीय अध्यक्ष के अति विश्वसनीय बन के उभरे हैं।शेखावत को उस्ताद कहने वाले विजयवर्गीय ने शेखावत के इन बयानों के बाद चुप्पी साध रखी है।इस चुप्पी को यह संकेत माना जा रहा है कि शेखावत के लिए आगे का समय ठीक नहीं है। विजयवर्गीय खेमा तो यह तक कहने लगा है कि शेखावत चाहे जितनी भड़ास निकालें कैलाशजी बयान देकर उन्हें बड़ा नेता नहीं बनने देंगे।उनकी चुप्पी का परिणाम कुछ दिनों में सामने आ जाएगा यह दावा भी उनके समर्थक कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के नजदीकी माने जाने वाले भंवर सिंह शेखावत सहकारिता नेता, अपेक्स बैंक अध्यक्ष के साथ ही बदनावर से भाजपा के विधायक भी रहे हैं, तब उनकी जीत में राजपूत समाज के मतदाताओं का सहयोग माना गया था।लेकिन पांच वर्षों में समीकरण इस तरह बदल गए कि उन्होंने कांग्रेस के जिस राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव को हराया था, उन्हीं दत्तीगांव के हाथों 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में पराजित हो गए। उनकी इस हार में भाजपा के बागी राजेश अग्रवाल का 30 हजार से अधिक मत ले जाना भी प्रमुख कारण था।
प्रदेश से कमलनाथ सरकार की बिदाई और भाजपा के लिए सत्ता उपलब्ध कराने में कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का अतुलनीय योगदान रहा है।इस योगदान के बदले भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सिंधिया समर्थक 22 विधायकों को टिकट देने के साथ ही अधिकांश को मंत्री बनाने के वादे को पूरा करने के लिए बदनावर से दत्तीगांव को तैयारी करने के संकेत दिए, मालवा क्षेत्र की उपचुनाव वाली पांच सीटों की जिम्मेदारी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी, उन्होंने 6 साल के लिए निष्कासित राजेश अग्रवाल को भाजपा में लेने की घोषणा की उस दिन से ही भंवर सिंह भन्नाए हुए हैं।
वॉयरल हुए वीडियो में भंवर सिंह सुमित्रा ताई-भाई विजयवर्गीय के गठबंधन को पार्टी के लिए घातक, भाजपा की सत्ता न बन पाने के साथ यह भी कहते पाए गए हैं कि विजयवर्गीय को किसी ने जिम्मेदारी नहीं दी है।वे अनावश्यक रूप से दखलंदाजी कर रहे हैं।ताई-भाई पर बरसने वाले शेखावत बयान में यह सावधानी भी बरत रहे हैं कि मैं पचास साल से पार्टी के साथ हूं, ऑफर मिलते रहते हैं लेकिन कांग्रेस में नहीं जाऊंगा।

कैलाशजी को दी है जिम्मेदारी ।

इस बीच प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा की मालवा की सीटों की जवाबदारी कैलाश जी को दी गई है। वीडी शर्मा ने भंवरसिंह शेखावत की नाराजी वाले बयान-वीडियो आदि को लेकर भोपाल में मीडिया से चर्चा में कहा है कैलाश जी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और हमारे वरिष्ठ नेता हैं।देश के अंदर और प्रदेश में जहां संगठन के काम के लिए महत्वपूर्ण होता है वे भूमिका निभाते हैं।प्रदेश की 24 सीटों के उपचुनाव में संचालन समिति के सदस्यों और पदाधिकारियों ने आंतरिक तौर पर कुछ जिम्मेदारियां विभाजित की हैं। कैलाश जी मालवा की पांचों सीटों को फोकस कर के काम करेंगे।संगठन ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी है। किसी के द्वारा प्रश्न खड़ा करना ठीक नहीं। जहां तक राजेश अग्रवाल का सवाल है, उन्होंने पुन: पार्टी में आने की इच्छा व्यक्त की थी। यह निर्णय भाजपा संगठन के आधार पर तय हुए हैं।
भंवरसिंह शेखावत ने जिन बातों को कहने का प्रयास किया है, उन पर पहले उनको बुलाकर बात करेंगे।उसके बाद आगामी निर्णय करेंगे।
प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत से जब शेखावत मामले में चर्चा करना चाही तो उन्होंने कहा वैसे भी मैं मीडिया से बात नहीं करता, मुझे मना है।

बदनावर के निर्णय में प्रदेश नेतृत्व
की सहमति-मोघे

पिछले कुछ दिनों से भंवरसिंह गरज तो रहे हैं लेकिन पार्टी नेताओं ने उनकी नाराजी को इतनी भी गंभीरता से नहीं लिया है कि तुरंत बातचीत के लिए बुला ले। बदनावर सीट के प्रभारी पूर्व सांसद कृष्णमुरारी मोघे क्षेत्र में कार्यकर्ताओं की बैठकें ले रहे हैं। शेखावत की नाराजी के संबंध में एकाधिक बार यह कहकर पल्ला झाड़ चुके हैं कि पार्टी के बड़े नेताओं को जो उचित लगेगा, वह निर्णय लेंगे।बदनावर में जीत के लिए जो भी निर्णय लिए गए हैं उस पर प्रदेश नेतृत्व की सहमति है।

ताई बस इतना ही बोली।

पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन ने इस मामले में इतना ही कहा कि शहर के नुकसान करने का मैंने कभी सोचा नहीं। यदि अंजाने में भी मुझ से शहर का कहीं, कुछ नुकसान हुआ है तो उसके लिए मैं माफी मांग लेती हूं। बस इससे अधिक मुझे कुछ नहीं कहना।

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