गुरु पूर्णिमा पर गुरु की महिमा का बखान करती रचना..

  
Last Updated:  July 5, 2020 " 05:29 pm"

सनातन धर्म में गुरु का स्थान ईश्वर से भी उच्च वर्णित है। गुरु ही सच्चे अर्थो में जीवन में प्रकाश का स्वरूप और तम का विनाशक है। गुरुपूर्णिमा के इस पावन पर्व पर गुरु के महत्व को उजागर करती डॉ. रीना रवि मालपानी की रचना:

*”गुरु पूर्णिमा: गुरु आराधना महोत्सव”*

“`गुरुपूर्णिमा में छिपा गुरु पूजन का विधान, उनके आशीर्वाद से शिष्य भरता सपनो को साकार करने की उड़ान।।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को करते गुरु का गुणगान, गुरु के सानिध्य में शिष्य मिटाता अपना अज्ञान।।

गुरु तो होते जीवन के सच्चे पथप्रदर्शक, गुरु के सान्निध्य बिना हम तो हैं मूक दर्शक।।

गुरु से प्राप्त होती ज्ञान की सर्वश्रेष्ठ निधि, ईश को प्राप्त करने के लिए करनी होगी गुरु की परिधि।।

गुरुपूर्णिमा के दिन जन्मे गुरुवर महर्षि वेदव्यास, उनके रचित चारो वेदों और महाभारत का करना है हमें मनन और अभ्यास।

पूर्णिमा को चयनित करने का है विशिष्ट कारण, तेज़ वर्षा और काले बादल का शशि करता निवारण।।

गुरु पूर्णिमा गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का है दिन, अज्ञान रूपी भँवर से मुश्किल है निकलना गुरु के बिन।।

इस तिथि को मंगल भाव से करें ज्ञानसागर गुरु की आराधना, अज्ञानता से मुक्त हो यही है गुरुवर से डॉ. रीना रवि मालपानी की प्रार्थना।

*डॉ.रीना रवि मालपानी*

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