रंगमंच के ‘प्रयोग’ वादी कलाकार थे सतीश मेहता
🔺स्मृति शेष/कीर्ति राणा 🔺 इंदौर: सत्तर का दशक निरंतर होने वाले नाटकों के लिए याद रखा जाता है। तब बाबा डिके अपनी संस्था नाट्य भारती के माध्यम से महीने में एक-दो नाटक तो करते ही थे।उसी दौरान एक और नाट्य संस्था ‘प्रयोग’ का जन्म हुआ था।होल्कर कॉलेज में भौतिकी शास्त्र के प्रोफेसर सतीश मेहता ने प्रयोग के माध्यम से शहर में रंगकर्म और उसमें भी नए प्रयोग की अलख जगाने का काम किया।पिछले चार-पांच साल से वे बीमार थे, रोग और पढ़े