अराजक तत्वों के हाथ में चला गया है किसान आंदोलन

  
Last Updated:  January 26, 2021 " 08:35 pm"

🔸प्रदीप जोशी।🔸

आज दिल्ली में लाल किले पर किसानों ने झंडा कितनी आसानी से लहरा दिया । जबरदस्त पुलिस प्रशासन होने के बावजूद कोई खास विरोध नहीं किया गया । किसानों को उनकी मनमानी करने दी गई यहां तक कि ट्रैक्टरों से पुलिस वालों को कुचलने के कुत्सित प्रयास भी किए गए। शासन प्रशासन द्वारा इस किसान आंदोलन के कथित नेताओं से वार्ताओं के कई दौर हो चुके हैं परंतु नतीजा सिफर क्योंकि किसानों के मध्य जो अराजक तत्व, अलगाववादी एवं आतंकवादी घुस आए हैं वे चाहते ही नहीं हैं की बैठक किसी नतीजे पर पहुंचे। आप सभी पिछले एक माह से इस आंदोलन को देख रहे हैं, सुन रहे हैं, समझ रहे हैं। क्या यह देश के गरीब किसानों का आंदोलन कहा जा सकता है ? ट्रैक्टर, बड़ी-बड़ी लग्जरियस कारें, शानदार मनचाहा भोजन, शाही इंतजाम सब कुछ पांच सितारा जैसा । आखिर इस आंदोलन की आड़ में कौन है जो अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए अड़ा हुआ है। देश में उन्माद फैलाने वाले यह लोग कौन हैं ?

सरकार ने दिया संयम का परिचय।

आज सरकार ने जिस धैर्य, संयम एवं आत्मविश्वास का परिचय दिया, वह भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा । उकसाने वाले तमाम हथकंडो के बावजूद पुलिस प्रशासन ने जो धैर्य बनाए रखा, उससे भारतीय पुलिस के प्रति आज सीना गर्व से चौड़ा हो गया। भारतीय गणतंत्र के प्रति नत मस्तक होने का मन हो रहा है।

सरकार चाहती तो आंदोलनकारियों को चार कदम भी न हिलने देती…

आज उस साजिश की पोल खुद ब खुद खुल गयी कि किसी भी आंदोलन को कैसे खींचा जाता है और उसे शाहीन बाग जैसी घृणित आंदोलन की शक्ल दी जाती है।
इस अनावश्यक आंदोलन में तलवारें लहराई गयी, ईंट पत्थर फेंके गए, देश विरोधी नारे लगाए गए। हमारे प्रजातंत्र का जी खोलकर मखौल उड़ाया गया । परंतु शासकीय तंत्र ने बहुत ही आत्मविश्वास एवं संयम के साथ प्रजातंत्र का दामन पकड़े रखा और अपनी तरफ से ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जिसे गलत कहा जा सके ।
सरकार ने उदंडता को भी सर माथे लगाया। जिन्हें दंड दिया जाना चाहिए उन्हें माफ कर दिया, परंतु ऐसा कब तक चलेगा..? अराजक, असामाजिक व अलगाववादी तत्वों को कब तक माफ किया जाना चाहिये ? एक प्रजातांत्रिक देश में इस सवाल का जवाब अवाम को ही देना चाहिए।
एक चुनी हुई सरकार को बार-बार काम करने से रोकना, उसके मार्ग में अवरोध उत्पन्न करना क्या कहा जाएगा ? विरोध करने के लिए विरोध करना कदापि उचित नहीं है। निश्चित रूप से यह प्रजातंत्र तो है ही नहीं। समय आ गया है कि हम प्रजातंत्र के मायने
अच्छी तरह से समझे और समझाने का प्रयास करें । इस हेतु सरकार को भी कानून सम्मत एवं अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग निसंकोच करना चाहिए।

(लेखक प्रदीप जोशी इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *