कीर्ति राणा इंदौर : इंदौर के युवा वैज्ञानिक ओम त्रिवेदी भारत के ऐसे पहले स्नातक छात्र हैं, जिन्हें वर्जीनिया में नेशनल साइंस कैंप में विशेष वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया है। इस कैंप में अमेरिका के 100 और लैटिन अमेरिकी देशों के 26 बच्चे शामिल हो रहे हैं।ओम इन छात्रों को अपने करियर और शोध कार्य के बारे में 7 जुलाई को वर्चुअल संबोधित करने के साथ ही अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे नवीन शोध कार्य के बारे में भी बताएंगे।
🔺नील आर्मस्ट्रांग ने इसी मंच पर दिया था वक्तव्य।
वर्जीनिया स्थित नेशनल साइंस कैंप वही मंच है, जहां चांद पर सबसे पहले कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग ने 1964 में अपना वक्तव्य दिया था। उन्होंने पहली बार चांद पर जाने वाले अपोलो मिशन के बारे में बताया था। इस आयोजन में दुनिया भर के विभिन्न विषय विशेषज्ञ और विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले विशिष्ट प्राध्यापकों को भी आमंत्रित किया जाता है। शहर के लिए यह गर्व की बात इसलिए है कि 21 वर्षीय ओम सुनील त्रिवेदी इस साल इस आयोजन के सबसे युवा वक्ता होंगे।
आध्यात्मिक प्रकृति के ओम त्रिवेदी इससे पहले जिंबाब्वे में आयोजित अफ्रीका के सबसे बड़े विज्ञान महोत्सव अफ्रीका साइंस बस्कर और माइक्रोसॉफ्ट द्वारा प्रायोजित लोजिसिया साइंस में भी आमंत्रित वक्ता के रूप में युवाओं को विज्ञान के प्रति प्रेरित कर चुके हैं। सामान्यतः एमफिल या पीएचडी के समय ही विद्यार्थी औपचारिक रूप से शोध प्रबंध लिखने की शुरुआत करते हैं, जबकि अग्रवाल पब्लिक स्कूल के छात्र रहे ओम ने मात्र 17 वर्ष की आयु में ही शोध कार्य प्रारंभ किया था। 18 वर्ष की आयु में उन्होंने इंपीरियल कॉलेज लंदन में आयोजित लंदन इंटरनेशनल यूथ साइंस फोरम में अपने शोध कार्य के आधार पर भारत का प्रतिनिधत्व किया था।अभी वे इंटरनेशनल स्पेस एंड कॉस्मोलॉजी अहमदाबाद से जुड़े हुए हैं। अभी तक 10 से अधिक शोध पत्र लिख चुके हैं जिनमें से 6 विश्व के प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं एवं प्रकाशन की प्रक्रिया में है।
गौरतलब है की ओम ने 3 शोध पत्र पेरिस के सीएनआरएस की एस्ट्रोपार्टिकल एंड कॉस्मोलॉजी प्रयोगशाला के निर्देशक मैक्सिम ख्लोपोव के साथ में लिखे हैं, वहीं एक शोधपत्र इटली के आईएनएफएन नापलेस नेपल्स के प्राध्यापक एवं सीइआरएन के शोधकर्ता सालवाटोरे कैपोज़िंएलो के साथ भी लिखा है। ओम ने अभी तक 6 महाद्वीपों में आयोजित 11 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में अपने शोध पत्रों पर वक्तव्य दिया है। उनका एक शोधपत्र ब्रह्मांड के शुरुआती क्षणों में हुई घटनाओं का वैज्ञानिक स्वरूप पर विवेचना करता है, वहीं दूसरी तरफ उनका शोध, ब्रह्मांड के अंत में होने वाली संभावित घटनाओं के बारे में भी बताता है। अंतरिक्ष विज्ञान और पार्टिकल फिजिक्स के बीच की कड़ी पर चर्चा करता है।उनका यह शोध पत्र रूसी मीडिया में चर्चित रहा।
जगदाले कॉलेज की प्रिंसिपल शिखा त्रिवेदी अपने बेटे ओम की इन उपलब्धियों को उसकी ही मेहनत का फल बताते हुए कहती हैं मेरा विषय तो कॉमर्स हैं, पति का भी यह विषय नहीं रहा, आध्यात्मिक प्रवृति की वजह से ही बेटे का झुकाव बचपन से ही खगोल शास्त्र में रहा है।