भोपाल : प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी श्री जे.एस. चौहान ने बताया है कि 23 मई को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में मादा चीता “ज्वाला” के एक शावक की मृत्यु हो गई थी। चीता शावक का शव परीक्षण किया गया, जिसमें प्रथम दृष्टया शावक की मृत्यु का कारण कमजोरी से होना प्रतीत होता है।
श्री चौहान ने बताया कि मॉनिटरिंग टीम द्वारा सुबह “ज्वाला” को अपने शावकों के साथ एक जगह बैठा पाया गया था। कुछ समय बाद मादा चीता अपने शावकों के साथ चल कर जाने लगी, टीम ने 3 शावकों को उसके साथ जाते हुये देखा, चौथा शावक अपने स्थान पर ही लेटा रहा। मॉनिटरिंग टीम द्वारा कुछ समय रुकने के बाद चौथे शावक का करीब से निरीक्षण किया गया।
यह शावक उठने में असमर्थ जमीन पर पड़ा पाया तथा टीम को देख कर अपना सिर उठाने का प्रयास भी किया। तत्काल पशु चिकित्सक दल को सूचना दी गई। दल के पहुँचने पर उनके द्वारा चीता शावक को आवश्यक उपचार देने का प्रयास किया गया परन्तु कुछ ही देर में शावक की मृत्यु हो गई।
प्रारंभ से ही यह शावक चारों शावकों में से सबसे छोटा, कम सक्रिय और सुस्त रहा है। सामान्यतः कमजोर चीता शावक अन्य शावकों के मुकाबले कम दूध पी पाता है, जिससे उसके सरवाइवल की उम्मीद कम होती जाती है और ऐसे शावक लम्बे समय तक जीवित नहीं रह पाते।
सामान्यत: अफ्रीकी देशों में चीता शावकों का सरवाइवल प्रतिशत बहुत कम होता है। उपलब्ध साहित्य एवं विशेषज्ञों के अनुसार खुले जंगल में सरवाइवल प्रतिशत मात्र 10 प्रतिशत होता है। प्राकृतिक स्थलों में मात्र 10 में से 1 चीता शावक वयस्क हो पाता है। इसीलिए सामान्यत जन्म लेने वाले शावकों की संख्या अन्य जंगली बिल्ली प्रजातियों की तुलना में चीता में सर्वाधिक होती है।