नदी के दोनो किनारों को अतिक्रमण मुक्त किया जाए।
नाला टेपिंग पर पुनर्विचार करें।
मॉनिटरिंग कमेटी में स्थानीय लोगों को भी शामिल किया जाए।
इंदौर : कान्ह और सरस्वती नदी को मूल स्वरूप में लाने की मांग को लेकर अभ्यास मंडल ने रविवार को पुनः धरना आंदोलन किया।इस बार यह आंदोलन हरसिद्धि मंदिर के सामने सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक किया गया। मीडिया प्रभारी प्रवीण जोशी ने बताया कि संस्था अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता और शिवाजी मोहिते की अगुआई में आयोजित इस धरना आंदोलन में नागरिकों ने भी बढ़ चढ़कर भागीदारी जताई। प्रणव पैठणकर ने बताया कि 5 पीढ़ी से हमारा परिवार कान्ह- सरस्वती नदी के समीप रह रहा है। पहले ये नदी कल कल बहती थी, आज ये नाला बन गई है।
संस्था सचिव नेताजी मोहिते ने कहा कि हम केंद्र सरकार की उस बात का समर्थन करते हैं, जिसमे कान्ह और सरस्वती नदी को नमामि गंगे में शामिल किया गया और इसमें करोड़ों रुपए की राशि स्वीकृत हुई,लेकिन इस राशि का कैसे उपयोग होगा, कौन इसकी मॉनिटरिंग करेगा यह अस्पष्ट है। अशोक जायसवाल ने सासंद शंकर लालवानी को अभ्यास मंडल की ओर से 511 करोड़ स्वीकृति के लिए धन्यवाद दिया और आग्रह किया कि सांसद की अध्यक्षता में एक निगरानी कमेटी बनाई जाए। उसमें प्रदेश,जिला और स्थानीय नागरिकों को भी शामिल किया जाए जिससे कार्य पूरा हो और इंदौर की जनता का सपना पूरा हो।
नूर मोहम्मद कुरैशी ने कहा कि दोनो नदियों की मूल चौड़ाई बाधित हुई है,जो गलत है ।दोनो किनारे अतिक्रमण से मुक्त किए जाएं और उनका सीमांकन भी किया जाए। दोनों नदियों के उदगम स्थलों को हरियाली से आच्छादित किया जाए।सीवरेज का पानी नदी में मिलने से रोका जाए।
सुरेश उपाध्याय ने कहा कि दोनो नदियों पर नाला टेपिंग करने से प्राकृतिक प्रवाह बाधित हुआ,इसलिए इस पर पुन: विचार करने की जरूरत है। गौतम कोठारी ने कहा कि नदी में जगह जगह सीवरेज का पानी आ रहा है जिससे प्रदूषण और बढ़ा है, अत: इस पर पूरी तरह रोक होना चाहिए। मालासिह ठाकुर ने कहा कि प्रशासन नदी पर ऐसा कोई भी निर्माण नही करे जिससे प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो। अभिनव धनोतकर ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने सपनों के शहर इंदौर में कान्ह – सरस्वती कल कल बहने की बात कही है पर यह न होना समझ से परे है। अशोक कोठारी ने कहा कि हम यही चाहते हैं कि नदी में कल कल पानी बहे। डॉ.ओ पी जोशी ने कहा कि नदियों के किनारे पर स्थित ऐतिहासिक घाटों को अतिक्रमण से मुक्त किया जाए तथा सहायक जलधाराओं को शुद्ध जल के प्रवाह योग्य बनाएं। सबके पास एक एक तख्ती थी,जिस पर लिखा था कान्ह सरस्वती नदी को पुनर्जीवित किया जाए।
धरना आंदोलन में अजीतसिंह नारंग, मुकुंद कुलकर्णी ,किशोर कोडवानी, साकेत बड़ोनिया, दीप्ति गौर,निखिल खानवलकर,,फादर पायस,राजेंद्र जैन, पुरूषोत्तम वाघमारे, विक्रांत होलकर,कुणाल भंवर,आदित्य प्रताप सिंह,सुरेश हरयाणवी,अनिल मोड़क,शफी शैख, पी सी शर्मा,पराग जटाले , ,शरद सोमपुरकर,सुरेश मिश्रा, ग्रीष्मा त्रिवेदी,किशनलाल सोमानी, किशोर गंधे,मिर्जा हबीब,शीतल बहल ,यश जायसवाल,कैलाश भावसार,अशोक मित्तल,अक्षय चितले , बसंत सोनी, सावन यादव, आशीष शर्मा,जयंत जटाले, एन के उपाध्याय, स्वप्निल व्यास ने भाग लिया। अन्त में डॉ. पल्लवी आढ़ाव ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।l