केन बेतवा परियोजना के संबंध में संशोधित एमओयू भी दिया।
प्रदेश के ग्वालियर, चंबल और बुंदेलखंड क्षेत्र में नये उद्योग लगेगें और रोजगार के अवसर पैदा होंगे- जल संसाधन मंत्री सिलावट।
इंदौर : केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत एक दिवसीय प्रवास पर इंदौर आए। इंदौर एयरपोर्ट पर जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट और विधायक रमेश मेंदोला ने उनकी अगवानी कर स्वागत किया।
बाद में प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने सौजन्य भेट कर केंद्रीय मंत्री शेखावत को प्रदेश में चल रही विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं मुख्यतः केन बेतवा राष्ट्रीय परियोजना, ई.आर.सी.पी. परियोजना के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने केन्द्र सरकार से इन योजनाओं के समयावधि में पूर्ण होने के संबंध में भी चर्चा की।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री शेखावत ने प्रदेश में चल रही समस्त सिंचाई परियोजनाओं के सफल किन्यान्वयन के लिये आवश्यक सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। जल संसाधन मंत्री सिलावट ने केंद्रीय मंत्री को अन्य परियोजना का संशोधित एमओयू भी दिया। केन बेतवा परियोजना से संबंधित क्षेत्र की अन्य नदियों के संबंध में कार्य योजना भी प्रस्तुत की।
जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि केन-बेतवा परियोजना के द्वितीय चरण और उससे संबंधित परियोजना के लिए संशोधित कार्ययोजना बनाई जाकर प्रस्तुत की गई है। इससे ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में सिंचाई के लिये अतिरिक्त पानी उपलब्ध होगा और उद्योग धंधे लगने से रोजगार के हजारों अवसर पैदा होंगे।
उन्होंने केन्द्रीय मंत्री शेखावत को बताया कि संशोधित डीपीआर की मंजूरी से चंबल और ग्वालियर संभाग में रोजगार के साथ औद्योगिक विकास को भी बल मिलेगा। सिंचाई के लिए दबाबयुक्त परियोजना लाने से अतिरिक्त रूप से हजारों हैक्टेयर भूमि के लिये पानी भी उपलब्ध होगा। केन्द्रीय मंत्री ने इस कार्ययोजना पर विचार करने की बात कहीं और इसे जल्दी ही मंजूरी दिलाने का विश्वास दिलाया। इस अवसर पर इंदौर के विधायक रमेश मेन्दौला ने भी पुष्पगुच्छ भेंट कर केन्द्रीय मंत्री शेखावत का स्वागत किया।
जल संसाधन मंत्री सिलावट ने कहा कि मध्यप्रदेश द्वारा पार्वती उपकछार के वॉटर बजट में 182 घन मीटर पानी का उपयोग कुम्भराज कॉम्पलेक्स में किए जाने से एक बांध के स्थान पर कुम्भराज कॉम्पलेक्स अंतर्गत दो बांध (कुम्भराज- 1 एवं कुम्भराज-2) को संशोधित एमओयू में रखा जाना प्रस्तावित है, दोनों राज्यों के मध्य पूर्व में जल बटवारे के अनुबंध को प्रभावित किए बिना जल का विनिमय कालीसिंध एवं अपर चंबल उपकछार में किया जाना प्रस्तावित है। इससे चंबल घाटी क्षेत्र में विकास की नई संभावना बनेगी। केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री शेखावत के संज्ञान में लाए जाने वाले बिन्दुओं में विगत 10 वर्षों में चम्बल नहर प्रणाली में म.प्र. को पार्वती एक्वाडक्ट पर अनुबंधित 3900 क्यूसेक डिस्चार्ज के विरूद्ध औसतन लगभग 2500-2600 क्यूसेक डिस्चार्ज सिंचाई हेतु प्राप्त हो रहा है।
संशोधित पार्वती, कालीसिंध, चम्बल लिंक परियोजना की हाइड्रोलाजी केन्द्रीय जल आयोग द्वारा मध्यप्रदेश को उपलब्ध कराई गई है जिसका परीक्षण प्रक्रियाधीन है, परियोजना में प्रस्तावित मध्यप्रदेश को लाभांवित करने वाली परियोजनाओं के डीपीआर मध्यप्रदेश द्वारा तैयार कर फरवरी माह के अंत तक प्रस्तुत किया जाना भी प्रस्तावित है।
केन-बेतवा लिंक एक राष्ट्रीय परियोजना।
केन-बेतवा लिंक परियोजना को वर्ष 2009 में नदी जोड़ो परियोजना अंतर्गत एक राष्ट्रीय परियोजना घेषित किया गया है। कार्य प्रारंभ के बाद 8 वर्षों में पूर्ण की जानी वाली इस परियोजना के लिये 44 हजार 605 करोड़ की राशि प्रदान की गई है। केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना प्रथम चरण के अंतर्गत परियोजना कोको एक राष्ट्रीय परियोजना के रूप में केन्द्र सरकार द्वारा 90 प्रतिशत (केन्द्र) तथा राज्य सरकार द्वारा 10 प्रतिशत (राज्यों) के अनुपात में व्यय का निर्धारण किया गया है। इस परियोजना से बुन्देलखण्ड क्षेत्र अंतर्गत मध्यप्रदेश केन बेसिन में कुल 6.06 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई तथा उत्तर प्रदेश के 2.51 लाख हेक्टेयर में कुल 8.56 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी । इसी के साथ 62 लाख (मध्यप्रदेश 41 लाख एवं उत्तर प्रदेश 21 लाख) आबादी को पेयजल की सुविधा प्राप्त होगी। परियोजना से केन नदी कछार में मध्य प्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी एवं दमोह जिले लाभांवित होंगे। केन से बेतवा नदी को जोड़ने हेतु दौधन बांध एवं लिंक केनाल का निर्माण किया जायेगा साथ ही दो टनल एवं दो पावर हाउस भी इसमें शामिल हैं।
केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना द्वितीय चरण में बेतवा नदी बेसिन अंतर्गत निर्माणाधीन कोठा-बैराज, बीना कॉम्प्लेक्स एवं लोअर ओर परियोजनाओं के लिये केन्द्र सरकार द्वारा 60 प्रतिशत अंशदान, 30 प्रतिशत केन्द्रीय ऋण तथा 10 प्रतिशत राज्यांश राशि के अनुपात में व्यय का निर्धारण किया गया है। निर्माणाधीन कोठा बैराज, बीना कॉम्पलेक्स एवं लोअर ओर परियोजनाओं से मध्य प्रदेश के 2,06,000 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति द्वारा सिंचाई करने हेतु वर्ष 2025-26 तक पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है। परियोजनाओं से बेतवा नदी कछार में सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी एवं दतिया जिले लाभांवित होंगे। परियोजनाओं से 25 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है, जिस हेतु निविदा आमंत्रण की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना के अंतर्गत दौधन बांध इसके अनुशांगिक कार्य, दो टनल, पावर हाउस के निर्माण हेतु प्राधिकरण द्वारा निविदा जारी की जा चुकी है, जिसे 25 जनवरी 2024 को खोला जाना सुनिश्चित किया गया है। मध्य प्रदेश में कुल 6.06 लाख हे. वार्षिक सिंचाई हेतु छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ एवं दमोह जिले में कमाण्ड क्षेत्र के सर्वेक्षण हेतु निविदा आमंत्रण की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। केन-बेतवा लिंक नहर निर्माण हेतु भू अर्जन की कार्रवाई प्रारंभ की जा रही है।
पन्ना जिले में कृषि भूमि सिंचाई के लिये अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
जल संसाधन मंत्री सिलावट ने बताया कि केन-बेतवा लिंक परियोजना में पन्ना जिले की निजी भूमि, वन भूमि एवं पीटीआर प्रभावित हुए है। जिले में जन आक्रोश की स्थिति निर्मित न हो इसके लिये पन्ना जिले को सिंचाई सुविधा का अतिरिक्त लाभ प्रदाय किया जाना आवश्यक है। इस हेतु विभाग की प्रस्तावित पतने सिंचाई परियोजना लागत 3062 करोड़ रूपये, सिंचाई क्षेत्र 1 लाख 20 हजार हैक्टेयर को केन-बेतवा परियोजना में शामिल किया जाना प्रस्तावित है। पतने सिंचाई परियोजना के निर्माण होने पर पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र में प्रस्तावित टनल निर्माण की आवश्यकता नहीं होगी। पन्ना जिले का 70 हजार हेक्टर कमाण्ड क्षेत्र पतने सिंचाई परियोजना में शामिल है। दौधन बांध में म.प्र. के राज्यांश के शेष जल से छतरपुर जिले के बड़ा मलेहरा तहसील के अतिरिक्त सिंचाई क्षेत्र को विकसित किया जा सकेगा।