इंदौर : महिला एवं बाल विकास विभाग मप्र की समेकित बाल संरक्षण योजना के तहत बाल सुधार गृह के बच्चों की 18 वर्ष के बाद देखरेख करने के लिए लॉन्चिंग पेड़ स्कीम फ़ॉर ऑफ्टर केयर के तहत केटेलीस्ट फ़ॉर सोशल एक्शन नामक एनजीओ के साथ मिलकर एक विशेष योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत इन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने व बिज़नेस के गुर सिखाने के लिए प्रदेश के 5 शहरों में कैफ़े शुरू किए जा रहे हैं। जिनके संचालन की पूरी जिम्मेदारी 18 वर्ष के बाद बाल गृह से निकलने वाले बच्चे ही संभालेंगे।
इस योजना की शुरुआत सोमवार को इंदौर के मधुमिलन चौराहा स्थित वोमेन्स वर्किंग होस्टल परिसर में स्थापित कैफ़े ‘फ्लाइट@एमपी18’ का उद्घाटन पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर व सांसद शंकर लालवानी ने किया। जॉइंट डायरेक्टर इंदौर डॉ. संध्या व्यास, जॉइंट डायरेक्टर डायरेक्टोरेट डब्ल्यूसीडी डॉ. विशाल नाडकर्णी, डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर सीएल पासी, सहायक संचालक शुभांगी मजुमदार और केटेलीस्ट फ़ॉर सोशल एक्शन के स्टेट हेड दीपेश चौकसे भी इस दौरान मौजूद रहे।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में है कदम।
मंत्री उषा ठाकुर और सांसद शंकर लालवानी ने इस मौके पर कहा कि बाल सुधार गृह के बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने में यह योजना कारगर सिद्ध होगी। पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।
सभी के सहयोग से मिलेगी मंजिल।
जॉइंट डायरेक्टर इंदौर डॉ. संध्या व्यास ने कहा कि 18 वर्ष की उम्र के बाद भी कई बच्चों की पढ़ाई शेष रहती है।उन्हें आर्थिक सहायता की जरूरत होती है। इस कैफ़े के जरिये हम लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि 18 वर्ष के बाद भी इन्हें सहारे की जरूरत है। इसमें समाज को भी सहयोग देना चाहिए। भविष्य में यह कैफ़े इंस्टीट्यूट का रूप ले सकता है। यहां से बच्चे होटल मैनेजमेंट की बारीकियां सीखकर अपना कैरियर आगे बढ़ा सकते हैं।
बिजनेस और मैनेजमेंट के गुर सिखाएंगे।
जॉइंट डायरेक्टर, डायरेक्टोरेट डब्ल्यूसीडी भोपाल डॉ. विशाल नाडकर्णी ने बताया कि इंदौर के बाद भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर व सागर में भी इसतरह के कैफ़े खोले जाएंगे। इन शहरों के आसपास मौजूद बालगृह के बच्चों को इनसे जोड़ा जाएगा। इस पहल के जरिए इन बच्चों को 21 वर्ष की उम्र तक सहयोग कर सकेंगे। इसका उद्देश्य इन बच्चों को बिज़नेस व मैनेजमेंट के गुर सिखाकर आत्मनिर्भर बनाना है। ये कैफ़े इन बच्चों में सामुदायिक भावना को भी बढ़ाएगा। इससे ये आनेवाले बच्चों को भी आगे बढ़ा सकेंगे।
सहायक संचालक शुभांगी मजूमदार ने बताया कि लॉकडौन के दौरान हमें महसूस हुआ कि इन बच्चों को रोजमर्रा के खर्चों के लिए रोजगार का स्रोत जरूरी है। इसी विचार से इस कैफ़े की शुरुआत हुई। पहले चरण में 6 बच्चों को ट्रेनिंग दी गई।
केटेलीस्ट फ़ॉर सोशल एक्शन के स्टेट हेड दीपेश चौकसे ने बताया कि इस योजना के पहले चरण में हरमीत कौर, प्रिंस कौशल,कल्पना त्रिवेदी, दिनेश खटीक, रिया वर्मा और रोशनी माली को कुकिंग व होटल मैनेजमेंट की निःशुल्क ट्रेनिंग दी गई व इस कैफ़े के लिए तैयार किया। इस योजना में कई लोगों का सहयोग रहा है। रविन्द्र कोठारी ने इसका केनोपी तैयार किया। गौरव सावलिया ने इंटीरियर में मदद की। कौशल दवे ने इन बच्चों को मुफ्त ट्रेनिंग दी।एमजीएम एलीट हेल्थ साइंसेज के डायरेक्टर डॉ. डीके तनेजा ने कहा कि इन बच्चों की पहल में इंस्टीट्यूट का पूरा सहयोग रहेगा। हमारे स्टूडेंट अपने ब्रेक के दौरान इसी कैफ़े में आकर यहां के लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाएंगे।