खर्राटे गहरी नींद की निशानी नहीं, स्लीप एपनिया के हैं लक्षण

  
Last Updated:  October 6, 2024 " 12:48 am"

इंदौर में नींद से जुड़ी समस्याओं पर हो रही दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस।पहले दिन हुई, खर्राटों, स्लीप एप्निया, अनिंद्रा पर खास चर्चा।
वयस्कों में 8 तो बच्चों में 10 घंटे की नींद है बेहद जरूरी।

इंदौर : तेज रफ्तार जिंदगी में नींद की समस्याएं भी आम हो गई हैं। काम, काम के दबाव, बढ़ती महत्वाकांक्षाएं, बेढंगी जीवन शैली और इन सबसे ऊपर सोशल मीडिया एवं गैजेट्स के अधिक उपयोग ने हमारी नींद की आदत को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसी समस्या के बढ़ते प्रभाव के कारण नींद और इस पर स्टडी का दायरा बढ़ रहा है। स्लीप मेडिसिन अब एक विषय के रूप में अपनी पहचान बनाता जा रहा है। इसी के चलते नींद, नींद से जुड़े विकारों, इसके निदान और उपचार में होने वाली नई तकनीकों के बारे में चर्चा करने के लिए मध्यभारत में पहली बार साउथ ईस्ट एशियन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन (SEAASM) ने इंदौर में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। कॉन्फ्रेंस के पहले दिन 05 अक्टूबर को विशेषज्ञों द्वारा नींद संबंधी विभिन्न विकारों जैसे अनिद्रा, नींद न आना, खर्राटे, और नींद में चलना आदि के कारणों, निदान और उपचार पर चर्चा की गई। कॉन्फ्रेंस में देश- विदेश के नींद से संबंधित रोगों का उपचार करने वाले छाती रोग विशेषज्ञ, दंत रोग विशेषज्ञ, नाक कान गला रोग विशेषज्ञ, न्यूरोलॉजिस्ट, साइकोलॉजिस्ट, शिशु रोग विशेषज्ञ और इस विषय में रुचि रखने वालों ने भाग लिया। उन्होंने अपने अनुभव भी साझा किए। कॉन्फ्रेंस का औपचारिक शुभारंभ महापौर पुष्यमित्र भार्गव की उपस्थिति में हुआ। इस मौके पर वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर अपूर्व पौराणिक, शिक्षाविद स्वप्निल कोठारी ने भी अपने विचार रखे।

आयोजन के पहले दिन दुनियाभर के जाने – माने नींद विशेषज्ञों ने ईईजी स्कोरिंग अब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया, पीएसजी स्टडी, नॉन – इनवेसिव वेंटिलेशन (एनआईवी), क्रोनिक वेंटिलेटरी फेलियर इन एनआईवी, स्लीप मेडिसन में टेलीमॉनिटरिंग, नार्कोलेप्सी, एस-एयर डेटा जैसे विषयों पर अपने व्याख्यान और प्रेजेंटेशन से नींद, नींद से जुड़ी समस्याओं के निदान एवं उपचार के अत्याधुनिक उपायों के बारे में चर्चा की।

नींद के विभिन्न चरणों पर बात करते हुए साउथ ईस्ट एशियन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन (SEAASM) के अध्यक्ष डॉ. राजेश स्वर्णकार ने बताया, “वर्तमान में नींद से जुड़ी समस्याएं बहुत ही सामान्य हो गई हैं, इन विकारों पर जितनी बात की जाए उतना बेहतर है। कई लोग सोते तो हैं लेकिन नींद पूरी नहीं हो पाती, इसे समझने के लिए सबसे पहले नींद को समझना बहुत जरूरी है। नींद के मुख्यतः चार चरण होते हैं-

स्टेज 1 : नींद की शुरुआती स्टेज।
जब आप सोना शुरू करते हैं तो आप पहली स्टेज में होते हैं और यह आम तौर पर केवल कुछ ही मिनटों तक रहता है। इस दौरान दिल की धड़कन और सांस धीमी हो जाती है। मांसपेशियां शिथिल होने लगती हैं और शरीर आप अल्फा और थीटा मस्तिष्क तरंगों का उत्पादन करते हैं।

स्टेज 2 : शुरुआत के बाद लगभग 25 मिनट की नींद।
यह नींद की दूसरी स्टेज है। ये हल्की नींद की अवधि होती है यानी कि नींद की शुरुआत के तुरंत बाद। इससे पहले कि आप गहरी नींद में प्रवेश करें ये नींद और यह लगभग 25 मिनट तक रहता है। इस दौरान दिल की धड़कन और धीमी हो जाती है। आंख का कोई मूवमेंट नहीं होता और शरीर का तापमान गिरने लगता है। इस दौरान मस्तिष्क की तरंगें ऊपर और नीचे फैलती हैं, जिससे “स्लीप स्पिंडल” का निर्माण होता है।

स्टेज 3: गहरी नींद की शुरुआत।
इसे डेल्टा नींद के रूप में जाना जाता है। जहां आप गहरी नींद में होते हैं। इस दौरान दिल की धड़कन और श्वास सबसे धीमी गति से होती है। शरीर पूरी तरह से आराम में होता है। डेल्टा मस्तिष्क तरंगें मौजूद हो जाती हैं।

स्टेज 4: यह वो नींद है जिसमें हम सपने देखते हैं।
ये सबसे गहरी नींद होती है इस दौरान जब आप सो जाते हैं तेजी से आंखों का मूवमेंट होता है इस दौरान श्वास और हृदय गति बढ़ जाती है, मस्तिष्क गतिविधि स्पष्ट रूप से बढ़ जाती है। हम बहुत गहरी नींद में होते हैं और सपने देखते हैं और अपनी यादों को सहेजने लगते हैं।

नींद के विकारों से जूझने वाले लोग अक्सर दूसरी स्टेज तक ही पहुँच पाते हैं, और गहरी नींद से वंचित हो जाते हैं, नींद की कमी से हृदय, मस्तिष्क, पाचन, श्वास से संबंधित कई रोग व्यक्ति को प्रभावित करते हैं।

ऑस्ट्रेलिया से आए नींद एवं श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. हिमांशु गर्ग के अनुसार, “स्वस्थ रहने के लिए जितना जरूरी एक अच्छा खान-पान और लाइफस्टाइल है, उतना ही जरूरी आपकी नींद भी है। आपके पास जितना भी काम हो या वक्त की कमी हो तब भी आपको अपनी नींद पूरी करने के लिए पर्याप्त समय निकालना ही चाहिए। नींद से जुड़े कई मिथक हमारे बीच मौजूद है, जैसे कि जो व्यक्ति खर्राटे ले रहा है वो चैन की नींद सो रहा है लेकिन ऐसा नहीं है, यह खर्राटे नींद से जुड़े विकारों के पहले कुछ लक्षण हो सकते हैं। खर्राटे न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और सामाजिक रूप से भी असहज महसूस करा सकते हैं। यह खर्राटे आगे चलकर स्लीप एप्निया, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और स्ट्रोक्स के कारण बन सकते हैं।“

नींद से जुड़ी समस्याओं पर बात करते हुए SEAASM की सेक्रेटरी डॉ. शिवानी स्वामी ने बताया, “पिछले एक दशक में नींद की समस्याओं ने हमें तेजी से प्रभावित किया है, इसके बारे में सबसे चिंताजनक विषय यह है कि हम इसे एक सामान्य स्थिति समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह हमारे लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकती है। नींद से जुड़े विकारों पर उपचार एवं निदान के लिए बीते वर्षों में मेडिकल साइंस में उन्नति हुई हैं। इनके बारे में जानकारी साझा करने के लिए इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया,जहां विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए हैं।

दूसरे दिन के आयोजन के बारे में बात करते हुए कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइसिंग सेक्रेटरी डॉ. रवि डोसी ने बताया , “दूसरे दिन के आयोजन की शुरुआत एक वाक-ए-थॉन से होगी, इसका उद्देश्य समाज में नींद से जुड़ी समस्याओं के प्रति जागरूकता फैलाना है। कॉन्फ्रेंस का दूसरा दिन डॉक्टर्स के साथ साथ आम लोगों के लिए भी बहुत खास होगा। दूसरे दिन हमने जन सामान्य के लिए एक वर्कशॉप का आयोजन किया है जहां वे नींद से जुड़ी अपनी समस्याओं एवं जिज्ञासाओं के बारे में विशेषज्ञों से नि:शुल्क सलाह ले सकेगें।

बेहतर नींद के लिए सुझाव।
नींद सुधारने के लिए सोने का एक नियमित समय बनाए रखना बहुत जरूरी है। हर रोज एक ही समय पर सोने और उठने की कोशिश करें, चाहे वह वीकेंड हो या बाकी के दिन। सोने वाले कमरे को शांत, अंधेरा और ठंडा रखें। एक आरामदायक बिस्तर और तकिए का इस्तेमाल करें। दिन के दौरान प्राकृतिक प्रकाश में रहें और शाम के समय मोबाइल, कंप्यूटर की ब्लू लाइट से बचें। स्ट्रेस मैनेजमेंट भी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। योग, ध्यान या गहरी सांस लें, तनाव को कम करें। खाने-पीने का विशेष ध्यान रखें। भारी भोजन, कैफीन और शराब से बचें, खासकर सोने से पहले। नियमित व्यायाम करें, लेकिन सोने से 3-4 घंटे पहले व्यायाम न करें। दिन भर पर्याप्त पानी पिएं, लेकिन सोने से पहले बहुत अधिक पानी न पिएं, और नींद से जुड़ी समस्याओं को नजरंदाज न करें, अगर नींद की समस्याएं लगातार बनी रहती हैं तो एक डॉक्टर की सलाह लें।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस कॉन्फ्रेंस को ऐतिहासिक और अति महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, “नींद हमारे लिए बहुत जरूरी है, उससे भी जरूरी है इस पर बात करना। मैं आयोजकों को बधाई और धन्यवाद दोनों देना चाहता हूँ कि उन्होंने इतने जरूरी टॉपिक पर बात करना उचित समझा।“

पहले दिन के कार्यक्रम का समापन ‘कराओके नाइट’ के साथ हुआ जहां डॉ. प्रमोद झँवर, डॉ. पूजा जैन, डॉ. प्रशांत नेवालकर और डॉ. सलिल भार्गव द्वारा संगीतमय प्रस्तुति दी गई।

साउथ ईस्ट एशियन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन (SEAASM) द्वारा आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में डॉ. अशोक वाजपेयी, डॉ. सलिल भार्गव, प्रोफेसर डॉ. आर के झा, इंदौर चेस्ट सोसाइटी के प्रेसीडेंट डॉ. रूपेश मोदी, डॉ. नरेंद्र पाटीदार की विशेष भूमिका रही।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *