इंदौर : फरवरी माह में सप्त ग्रहों का ऐसा संयोग बनने जा रहा है जिससे देश और दुनिया में बड़े बदलावों की आशंका जताई जा रही है। 9 फरवरी को चंद्रमा मकर राशि में रात 8 बजकर 31 मिनट पर प्रवेश करने जा रहा है। मकर राशि में सूर्य, गुरु, शुक्र, शनि, बुध और प्लूटो ग्रह पहले से मौजूद हैं। चंद्रमा के प्रवेश के बाद सात ग्रहों का मिलन होगा। तमाम ज्योतिषियों का मानना है कि इसका असर भारत समेत पूरी दुनिया पर पड़ेगा।
प्राकृतिक आपदा का कारण बन सकता है सप्त ग्रही योग।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि ये सप्तग्रही योग दुनियाभर पर अपना प्रभाव छोड़ेगा। तमाम देशों के बीच आपसी तनाव की स्थिति हो सकती है। प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति भी बन सकती है।
यहां तक कि विश्वयुद्ध के हालात भी बन सकते हैं। कोरोना महामारी कई प्रकार के रूप ले सकती है और कई अन्य विषाणु जनित बीमारियां सामने आ सकती हैं। इनसे बड़ी जनहानि और धनहानि हो सकती है।
भारत पर विशेष प्रभाव।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि भारत पर इस योग का खासतौर पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि भारत की वृष लग्न की कुंडली है। इस कुंडली के तीसरे भाव यानी कर्क राशि पहले से ही पांच ग्रह सूर्य, बुध, शुक्र, शनि और चंद्र बैठे हुए हैं। अब ये योग मकर राशि में बनेगा। इनका आपस में दृष्टि संबन्ध होगा और इस पर राहु की नजर होगी। ऐसे में ये योग भारत को विशेष रूप से प्रभावित करेगा।
राजनीतिक उपद्रव का बन सकते हैं कारण।
इन हालातों में भारत में जनमानस के बीच तनावपूर्ण स्थिति हो सकती है। राजनैतिक उपद्रव हो सकते हैं। दुर्घटनाओं का सिलसिला बढ़ सकता है और महंगाई बढ़ेगी। हालांकि इस दौरान भारत का वर्चस्व भी दुनियाभर में बढ़ेगा दुनिया के तमाम देशों के बीच होने वाली बैठकों में भारत विशेष भूमिका निभाएगा।
होंगे बड़े सामाजिक-राजनीतिक बदलाव।
ज्योतिषाचार्य प्रज्ञा वशिष्ठ की मानें तो जब भी पांच या अधिक ग्रह एक साथ एक ही राशि में होते हैं, तब देश दुनिया में बड़े सामाजिक और राजनीतिक बदलाव देखने को मिलते हैं। कभी-कभी बड़े युद्ध की स्थिति भी बन जाती है, जैसे फरवरी 1962 में सातों ग्रहों की युति होने पर भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ गया था। उस समय विश्व राजनीति दो खेमों में बंट गई थी जिसका असर दशकों तक देखने को मिला.
भारत में बढ़ सकती हैं आंतरिक समस्याएं।
9 फरवरी को हो रहे इस सप्तग्रही मिलन के राजनीतिक सामाजिक प्रभाव सम्पूर्ण विश्व में देखने को मिलेंगे. इस युति का नकारात्मक प्रभाव विश्व में अशांति के रूप में दिखाई पड़ सकता है। अमेरिका के वर्चस्व में कमी होगी, वहीं रूस, जापान, कोरिया और यूरोपीय देशों का प्रभुत्व बढ़ेगा। पाकिस्तान, चीन, नेपाल में शीत युद्ध की स्थिति बनेगी। भारत के लिए भी ये युति अशुभ परिणाम ला सकती है। आंतरिक समस्याएं बढ़ सकती हैं. सांप्रदायिक उपद्रव के कारण अशांति की संभावना है। पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में तनाव बारह सकते हैं. कुछ सरकारी नीतियों के कारण भी अशांति बनेगी।