चिकित्सकों ने पेश किए एक से बढ़कर एक गीत।
इंदौर : मरीजों की बीमारी का उपचार कर उन्हें निरोगी बनाने वाले डॉक्टर भी आम इंसान होते हैं। अपने पेशे के अलावा भी उनकी रुचि कई विधाओं में होती है। ऐसे कई डॉक्टर्स हैं जो गीत -संगीत का शौक रखते हैं। उन्होंने अपना ‘स्पंदन’ नाम से एक कल्चरल ग्रुप भी बना रखा है, जिसके बैनर तले वे प्रतिवर्ष डॉक्टर्स डे के मौके पर सुरीले गीतों की महफिल सजाते हैं। इसी कड़ी में इस बार भी गीतों भरी महफिल स्थानीय लाभ मंडपम में सजाई गई। डॉक्टर्स डे की पूर्व संध्या पर आयोजित इस कार्यक्रम का शीर्षक रखा गया शादी. कॉम।
फनी शीर्षक के साथ प्रस्तुत किए गए इस कार्यक्रम में मानवीय संवेदनाओं जैसे प्यार, इश्क, रोमांस, मस्ती,मदहोशी, गम, रुसवाई आदि से परिपूर्ण एकल व युगल फिल्मी गीत सुरीले अंदाज में पेश किए गए। आज मदहोश हुआ जाए रे, पांच रुपैया बारा आना, लेकर हम दीवाना दिल, नाचें मन मोरा, चाहिए थोड़ा प्यार, सामने ये कौन आया, पिया बावरी, बड़े मियां दीवाने ऐसे न बनो, ये माना मेरी जां सहित कई गीत इतने सधे हुए अंदाज में प्रस्तुत किए गए की बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोता झूम उठे। सुरमई गीतों को स्वर देने वाले कलाकार थे, डॉ. अतुल भट्ट, डॉ. हेमंत मंडोवरा, डॉ.अमित वर्मा, डॉ.प्रमोद नीमा, डॉ.मनोज भटनागर, डॉ. पिनाक भटनागर, डॉ. संजय लौंढ़े, डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, डॉ. मून जैन, डॉ.रुचि शाह, डॉ.निकिता भटनागर, और डॉ. अनन्या श्रीवास्तव।कार्यक्रम का रोचक संचालन डॉ. संजय लौंढ़े ने किया। संगीत संयोजन कपिल राठौर और अभिजीत गौड़ का था। करीब तीन घंटे से अधिक समय तक खूबसूरत गीतों का ये सिलसिला चलता रहा।