फादर वर्गीस की थी अंतिम इच्छा की उनकी मृत्यु के बाद दफनाने की जगह किया जाए दाह संस्कार।
इंदौर: मंगलवार को शहर में एक ऐसी अनूठी घटना घटी जिसने दो समुदायों के बीच भाईचारा और सद्भाव को बढ़ावा देने का काम किया।अनूठी इस मायने में की एक ईसाई पादरी के अवसान पर उनकी अंतिम इच्छा के अनुरूप दफनाने की बजाय रामबाग मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया गया।
फादर वर्गीस आलेंगडन का निधन मंगलवार को हो गया। देश की एकता – अखंडता और समाज में सद्भाव, प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने में ताउम्र लगे रहे फादर वर्गीस ने इच्छा जताई थी कि मृत्यु के बाद उनके पार्थिव शरीर को दफनाने की बजाए उसका दाह संस्कार किया जाए। इसके चलते रेड चर्च में प्रार्थना और अंतिम दर्शन के बाद फादर वर्गीस की पार्थिव देह रामबाग मुक्तिधाम ले जाई गई और उनकी अंतिम इच्छा के अनुरूप दाह संस्कार किया गया।
फादर वर्गीस का जन्म केरल में हुआ था। अस्सी के दशक में वे मप्र के सागर में आकर वहां चर्च का कामकाज संभालने लगे। बाद में वे इंदौर आ गए। फादर वर्गीस युवाओं के लिए खासतौर पर काम करते थे। उन्होंने दो समुदायों में आपसी सद्भाव को बरकरार रखने के साथ उसे मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।