भारतीय पत्रकारिता महोत्सव का दूसरा दिन।
महिला मुद्दे और मीडिया विषय पर टॉक-शो
इन्दौर : जब कोई महिलाएं फैशन, कार्पोरेट, फिल्म जैसे क्षेत्र में पदार्पण या प्रगति करती हैं तो वे जल्द ही सुर्खियों में आ जाती है, जबकि वे महिलाएं लाइमलाइट में कभी नहीं आती जो खेती-किसानी करती है, दलित, कमजोर हैं या घरेलू काम करती है। ये विचार पूर्व मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी साधो के हैं, जो उन्होंने स्टेट प्रेस क्लब द्वारा रवींद्र नाट्यगृह में आयोजित भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के दूसरे दिन ‘महिला मुद्दे और मीडिया’ विषय पर आयोजित टॉक-शो में अतिथि के बतौर व्यक्त किए। डॉ. साधौ ने कहा कि हमारा समाज महिलाओं को अधिक से अधिक अवसर दें, ताकि वह ऊंची उड़ान भर सके।
महिलाओं को मीडिया में समुचित प्रतिनिधित्व नहीं।
वरिष्ठ पत्रकार आकांक्षा पारे ने कहा कि महिला या तो निर्भया है या हाथरस की बेटी। आज भी महिलाओं को वो अवसर और अधिकार नहीं मिले, जिसकी वह हकदार है। मीडिया में ऊंचे पदों पर आज भी महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है।
घर परिवार की जिम्मेदारी अकेली महिलाओं की नहीं।
वरिष्ठ पत्रकार मंजुला नेगी ने कहा कि बच्चों को पालने की जिम्मेदारी अकेले महिला की ही नहीं पुरुष की भी है, लेकिन पुरुष इससे कन्नी काटते हैं। पत्रकारिता में महिलाओं को फीचर डेस्क पर बैठा दिया जाता है, जबकि वे बेहतर क्राइम रिपोर्टर भी बन सकती हैं। महिलाओं को आगे बढ़ाने में पुरुषों को पूरा सहयोग करना चाहिए।
पितृसत्तात्मक मानसिकता बदलना जरूरी।
वरिष्ठ पत्रकार आरफा खानम ने कहा कि महिलाओं के विकास में महिलाएं रोडा नहीं हैं। पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता बदलना जरूरी है। शाहीन बाग में केवल सीएए का विरोध ही नहीं हुआ, बल्कि महिलाओं को अपने अधिकार के बारे में जानने का मौका मिला। महिलाओं को अपना दायरा बढ़ाना चाहिए।
अपने आपको सकारात्मक रखें।
पुलिस अधिकारी मनीषा पाठक सोनी ने कहा कि घर में भी लड़कियां और महिलाएं प्रताड़ित होती हैं। महिलाओं को आगे बढऩे के अधिक अवसर मिलना चाहिए। यदि कोई महिला घर गृहस्थी का कार्य करके भी अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनाती है तो भी वह महिला अधिक सम्माननीय और पूज्यनीय है। हमेशा सकारात्मक सोचे, सकारात्मक खबरें पढ़ें और सकारात्मक कार्य करें। इससे जो खुशी मिलती है वह आपको हमेशा तरोताजा बनाए रखती है।
मीडिया ने महिलाओं से जुड़े मुद्दों को जोरदार ढंग से उठाया।
वरिष्ठ पत्रकार सीमा किरण ने कहा कि यदि हम महिलाओं को पूरी स्वतंत्रता देंगे और उस पर पूर्ण विश्वास करेंगे तो वह समाज को बेहतर बनाकर दिखाएगी। ये मीडिया ही है जिसने महिलाओं के मुद्दों को पूरी ताकत के साथ उठाया। फिर चाहे वह निर्भया कांड हो या उन्नाव का। मीडिया नहीं होता तो महिलाओं के साथ जो अत्याचार हो रहे हैं वे आज समाज के सामने नहीं आ पाते।
मूलभूत समस्याएं खबरें नहीं बनती।
मोटीवेशनल स्पीकर सुरभी मानेचा चौधरी ने कहा कि आजकल की पत्र-पत्रिकाएं महिलाओं को सुन्दर बनाने के बारे में बहुत कुछ छापती हैं, लेकिन महिलाओं के क्या अधिकार होना चाहिए इसके बारे में बहुत कम लिखा जाता है। आज भी कई जगह लड़कियों के लिए शौचालय नहीं है, लेकिन ये खबरें नहीं बनती। कई महिलाओं के पास सेनेटरी पेड नहीं है, लेकिन ऐसे विषयों को ना अखबार उठाते और ना ही न्यूज चैनल।
टॉक शो में सहभागी हुई अतिथि वक्ताओं का स्वागत सोनाली यादव, मीना राणा शाह, लीना खारीवाल और पुष्पा शर्मा ने किया। इस मौके पर सोनाली यादव और मंजू यादव को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन रचना जोहरी और शीतल राय ने किया। अंत में आभार माना कमल कस्तूरी ने।
संस्था अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल ने बताया कि पत्रकारिता महोत्सव का समापन 21 फरवरी को होगा। इस दिन भी मंथन सत्र होंगे, जिसमें टॉक शो होगा। इसमें वरिष्ठ पत्रकार बलदेव भाई शर्मा (रायपुर), के.जी. सुरेश, पुष्पेन्द्र पालसिंह (दोनो भोपाल) और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन शामिल होगी। समापन सत्र वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला (दिल्ली), संजय सिन्हा (दिल्ली), श्रीवर्धन द्विवेदी (दिल्ली), राज बिहारी, अनन्त वगाईकर (दिल्ली), पराग छापेकर (मुम्बई), नीरज गुप्ता (मुम्बई) और भुवनेश सेंगर के आतिथ्य में होगा।