इंदौर : भक्ति के बीज बचपन में डाले, पचपन में नहीं। बचपन से ही भक्ति के संस्कार मिल जाए तो बुढापा संवर जाता है। भक्ति किसी भी रूप में हो उसका प्रतिफल अवश्य मिलता है। ये विचार आचार्य राहुल कृष्ण शास्त्री ने व्यक्त किये। वे सूर्यदेव नगर स्थित अष्टविनायक मैदान में श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा सेवा समिति के बैनर तले आयोजित भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि भक्ति का अर्थ गृहस्थ जीवन से पलायन करना नहीं है। गृहस्थ जीवन में रहते ईश्वर की भक्ति करना ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। आचार्यश्री ने कहा कि प्रेम, दया करुणा, सत्य जैसे गुणों का सृजन भक्तिमार्ग से ही संभव है।
प्रारम्भ में विक्की मालवीय, जय होलकर, अभिषेक मालवीय, जिगर लश्करी, विक्की मोहर, अनिल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। महिला मंडल की ओर से रेणु जीतू पटवारी, पूजा अग्रवाल वन्दना वर्मा, भावना कोकाटे, सीमा राजगुरु, वर्षा जोशी, अनुराधा एकतारे आदि ने आचार्य पण्डित राहुल कृष्ण शास्त्री की अगवानी की। कथा 11जनवरी तक प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक चलेगी। कथा स्थल पर श्रद्धालुओं के लिए समुचित बैठक व्यवस्था की गई है।
बचपन में भक्ति के संस्कार मिले तो बुढापा संवर जाता है- आचार्य शास्त्री
Last Updated: January 7, 2020 " 01:48 pm"
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