भोपाल : राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरीय निकाय चुनाव कराने की तैयारी पूरी कर ली है, लेकिन बंगाल विधानसभा चुनाव के चलते प्रदेश सरकार इसे 3-4 माह तक टाल सकती है। पश्चिम बंगाल सहित 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव में सीएम शिवराज और ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किए गए हैं। इसके अलावा अन्य बड़े नेताओं को भी बंगाल के चुनाव में जिम्मेदारियां सौंपी गई है। इसके चलते बीजेपी संगठन और सरकार नगरीय निकाय चुनाव को टालने के मूड में है।
उधर पूर्व सीएम कमलनाथ भी पश्चिम बंगाल के चुनाव में कांग्रेस के स्टार प्रचारक होंगे। इसके अलावा कांग्रेस के कई नेता भी चुनाव के दौरान बंगाल में कैंप करेंगे। ऐसे में कांग्रेस भी चाहती है कि नगरीय निकाय के चुनाव अभी न हों।
8 चरणों में होंगे बंगाल में विधानसभा चुनाव।
पश्चिम बंगाल में चुनाव 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच 8 चरणों में होने हैं। ऐसे में दोनों दलों के नेता बजट सत्र समाप्त होने के बाद बंगाल में कैंप करेंगे। एक तरफ बंगाल के चुनाव खत्म होंगे, तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। जो 30 अप्रैल से 18 मई तक होंगी। राज्य निर्वाचन आयोग पहले ही साफ कर चुका है कि परीक्षाओं के दाैरान चुनाव नहीं कराए जाएंगे।
यही वजह है, राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह ने राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी, तब कहा गया था कि पंचायत चुनाव अप्रैल में करा लिए जाएं, लेकिन नगरीय निकाय चुनाव को मई के बाद कराए जाएं। इसके लिए 10वीं और 12वीं कक्षाओं की परीक्षाओं को आधार बताया गया था। इस पर आयुक्त ने कहा था कि आयोग नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में से कोई एक चुनाव अप्रैल में कराए जाएंगे। यदि सरकार पंचायतों से संबंधित शेष कार्रवाई को अगले 15 दिन में पूरी कर दे, तो अप्रैल में पंचायत चुनाव कराए जाएंगे।
कोरोना संक्रमण और बोर्ड परीक्षाएं बनेंगी चुनाव टालने का आधार..?
सूत्रों का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव के लिए स्कूलों में मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। इसी तरह चुनाव में शिक्षकों की डयूटी भी लगाई जाएगी। ऐेसे में निकाय चुनाव अप्रैल-मई में होने की संभावना नहीं है। इसके अलावा प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को भी चुनाव टालने का आधार बनाया जा सकता है। पिछले कुछ दिनों से भोपाल-इंदौर सहित अन्य बड़े शहरों में कोरोना के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। निकाय चुनाव से फिर शहरों में रैलियां होंगी, आम सभाओं में भीड़ जुटेगी। इससे कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ सकता है।
इधर, राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव के बजाय पंचायत चुनाव का कार्यक्रम जारी किया सकता है। हालांकि अभी पंचायतों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। पंचायत चुनाव गैर दलीय आधार पर होते हैं। ऐसे में सरकार को राहत रहेगी। हाई कोर्ट के आदेश के तहत निकाय चुनाव करवाना भी जरूरी है, इसलिए सरकार पंचायतों के चुनाव पहले करवा सकती है, ताकि कोर्ट के निर्देशों का पालन भी हो जाए और निकाय चुनाव के लिए पर्याप्त समय भी मिल जाए।