इंदौर: जो सपने आजादी की लड़ाई में देखे गए थे, आजादी के अमृत काल मे उन्हें पूर्ण करने का वक़्त आ गया है। भारत आजादी का अर्थ बेहतर समझता है। लम्बी गुलामी के बाद भी हमारे मूल्यों में कोई फर्क नहीं आया और हमारे सांस्कृतिक मूल्य इस बात का सबूत है।
आजादी वो है जिसमें इंसान में प्रेमभाव हो। तेरा-मेरा गुलामी का भाव है। वसुधैव कुटुम्बकम भारत की देन है। भारत की सांस्कृतिक धारा कभी भी अवरुद्ध नहीं हुई। दुनिया में भारत अकेली संस्कृति है जिसका प्रवाह नही टूटा। मिश्र, यूनान को अपनी प्राचीन संस्कृति का अध्ययन करना पड़ता है।
ये विचार केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने व्यक्त किए। वे स्टेट प्रेस क्लब,मप्र द्वारा लुणावत वेयर हाउस परिसर में आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद को संबोधित कर रहे थे। परिसंवाद का विषय था ‘आजादी के 75 वर्ष-अब आगे
क्या!’
भारतीय सभ्यता का आधार आत्मा है
राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद खान ने कहा कि दुनिया की संस्कृतियां भाषा,रंग और धर्म से परिभाषित होती थी। वहां धार्मिक आस्था के प्रभाव से संस्कृतियां प्रभवित होने लगी तो दूसरी आस्था के लोग बाहर होने लगे। भारत की सभ्यता में इन किसी भी आधार को स्वीकार नहीं किया गया। हम अलग- अलग देवों की आराधना करते हैं। हमारे यहां विभिन्न रस्मों रिवाज, भाषा, आस्थाएं हैं। विविधता के बीच एकता ढूंढ लेना ही ज्ञान है। हमने विविधता को अपनी संमृद्धि का आधार बनाया। हमारे ऋषियों ने आत्मा को संस्कृति का आधार बनाया इसीलिए हमारी सांस्कृतिक एकता और पहचान बनी रही। इंसानियत का दैवीकरण और देवों का मानवीकरण भारत की देन है। हमने गलतियां नहीं की होती तो यूनाइटेड नेशन्स के मानवीय मूल्य आज हमारे होते।
संस्कृति से भटकाव गुलामी की वजह बनीं
हम मां सरस्वती के उपासक थे पर हमने अपने ही लोगों के लिए ज्ञान के दरवाजे बंद कर दिए। उपनिषद में तप का महत्व है। ज्ञान हासिल कर हम उसे दूसरों तक नहीं पहुंचाते तो हम तप के प्रति वफादार नहीं है। जो हमारे पास है वो जरूरतमंद से शेयर करना हमारी जिम्मेदारी है। जिन कारणों से हमें गुलामी झेलनी पड़ी उसका मूल कारण संस्कृति से भटकना था। संस्कार देने का काम परिवार का है। हम पूरी दुनिया को एकता के सूत्र को पिरो सकते हैं क्योंकि हमने आत्मा को आधार बनाया है। सच्चाई एक है। अनुभति अलग- अलग हैं। हम अपनी जिम्मेदारी को निभाते रहें तो हमारी आजादी को अक्षुण्ण रख सकेंगे।
इसके पूर्व विषय प्रवर्तन विचारक सुभाष खंडेलवाल ने किया। उन्होंने आजादी के बाद से आज तक की घटनाओं का सिलसिलेवार वर्णन करते हुए कहा कि 75 बरस में हम आगे तो बढ़े हैं पर अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। शिक्षा, रोजगार, महिलाओं को समानता का अधिकार, दलितों पर अत्याचार जैसे कई मुद्दे हैं जिनपर विचार किया जाना है।
प्रारम्भ में राज्यपाल श्री खान ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्वागत भाषण स्टेट प्रेस क्लब,मप्र के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल ने दिया। संचालन मुख्य महासचिव नवनीत शुक्ला ने किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह सोनाली यादव व कमल कस्तूरी ने भेंट किए।
आभार 6पीएम के चेयरमैन संजय लुणावत ने माना। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन एवं मीडियाकर्मी मौजूद थे।
इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाली प्रतिभाओं का राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।
इन प्रतिभाओं का किया गया सम्मान।
आमीर अली इंजीनियर, डॉ.विनीता कोठारी, सतीश जोशी, पूनम वोरा, जिनेश्वर जैन, आरती माहेश्वरी, आसिफ शाह, भारती मांडोले, कविता पांडे, राजीव झालानी, पवित्रा कसेरा, अभिषेक मिश्रा, डॉ. निशा जोशी, सुनील अग्रवाल, कीर्ति सिंह, पिंटू कसेरा, रसिका गावड़े, देवाशीष निलोसे, मरीना शेख, प्रवीण खारीवाल, तरुण राठौर आरिफ शेख, हिमांशु राठौर।