सिंचाई के क्षेत्र में मप्र देश में नंबर वन, 65 लाख हेक्टेयर सिंचित करने का लक्ष्य।
जल संसाधन मंत्री के नेतृत्व में विभाग के अधिकारियों ने की मुख्यमंत्री से मुलाकात, पुरस्कार सौंपा।
इंदौर : मध्यप्रदेश को सिंचाई के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए केंद्रीय सिंचाई और ऊर्जा ब्यूरो द्वारा सीबीआईपी अवॉर्ड प्रदान किया गया है। मध्यप्रदेश विधानसभा में मंगलवार को आयोजित कैबिनेट बैठक से पूर्व जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट के नेतृत्व में विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की और उन्हें सीबीआईपी अवॉर्ड प्रदान किया। मुख्यमंत्री ने सीबीआईपी अवॉर्ड मिलने पर सभी को बधाई दी और कहा कि मध्यप्रदेश सिंचाई के क्षेत्र में देश का सिरमौर बन गया है, यह हम सभी के लिए गर्व की बात है।
कार्यक्रम में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में राज्य दिन प्रतिदिन उन्नति की ओर अग्रसर है। मुख्यमंत्री ने सिंचाई क्षेत्र के विस्तार के लिए निरंतर निर्णय लिए और प्रदेश की अनेक सिंचाई योजनाएं मंजूर कर उन्हें क्रियान्वित भी किया। मंत्री सिलावट ने कहा कि हमारा लक्ष्य 65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचित करना है। इसके साथ ही किसानों को कृषि के लिए पर्याप्त पानी देना है और उनकी आय दोगुनी करना है। मंत्री सिलावट ने कहा कि देश और राज्य की प्रगृति में सबसे बड़ा योगदान कृषि का है। हमारी सरकार किसानों को सिचांई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी देने के लिए प्रतिबद्ध है।
45 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो रही सिंचाई।
जल संसाधन मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री चौहान के किसान हितैषी दृष्किोण और प्रयासों से विगत 15 वर्षों से राज्य के सिंचित क्षेत्र को सात लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 45 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाया गया है। विगत तीन वर्षों में मध्यप्रदेश पाइल प्रणाली के माध्यम से अधिकतम क्षेत्र में सिंचाई करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। सिंचाई के क्षेत्र में नवीन तकनीकों का प्रयोग कर दबाव युक्त पाइप आधारित सिंचाई के माध्यम से किसानों को एक हेक्टेयर से 5 हेक्टेयर तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जा रहा है।
मध्यप्रदेश देश का सबसे उत्कृष्ट राज्य।
भारत सरकार के केंद्रीय सिंचाई एवं ऊर्जा ब्यूरो ने सिंचाई क्षेत्र में हुए कार्यों के लिए मप्र को देश का सबसे उत्कृष्ट राज्य चुना है। ब्यूरो ने सीबीआईपी अवार्ड के लिए मध्यप्रदेश की मोहनपुरा एवं कुंडालिया परियोजना के सफल क्रियान्वयन के आधार पर नामांकन दाखिल किया था। मध्यप्रदेश ने जल संसाधन के दक्षतम उपयोग में प्रथम स्थान अर्जित किया है।