मप्र में बंदियों को अब दूध, दही और सलाद भी मिलेगा

  
Last Updated:  November 12, 2024 " 11:08 pm"

बंदीगृह अधिनियम में किए जा रहे व्यापक बदलाव।

भोपाल : अपराधियों को जेल इसलिए भेजा जाता है ताकि वे अपने गुनाह की सजा भुगते और उसका प्रायश्चित करें लेकिन जेलों में सुधार के नाम पर बंदियों को हलवा – पुरी खिलाई जा रही है। इससे अपराधियों में जेल का खौफ खत्म होने लगा है। मध्य प्रदेश में एक कदम और आगे बढ़कर जेलों में बंदियों को अब दूध, दही, छाछ और सलाद भी देने का ऐलान किया गया है। एक जनवरी 2025 से अमल में लाए जा रहे ‘मध्य प्रदेश सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह अधिनियम’ में इसका प्रावधान किया जा रहा है।

बंदियों को मिलेगा बेहतर भोजन।

वित्त विभाग इस प्रस्ताव का परीक्षण कर रहा है। शासन से अनुमति मिलने के बाद अधिनियम प्रभावी होने के साथ ही बंदियों को दी जा रही सुविधाओं में और इजाफा हो जाएगा। जेल में बंद टीबी के मरीजों को पहले की तरह अंडा भी दिया जाएगा। इसके साथ ही राष्ट्रीय त्योहार और सप्ताहांत में मिष्ठान्न देने की व्यवस्था भी जारी रहेगी।

पुराने कानून में व्यापक बदलाव।

बताया गया कि बंदियों को लेकर अंग्रेजों के जमाने का (वर्ष 1894) कानून अभी तक चलन में है। अब केंद्र और राज्य सरकार मिलकर जेलों में सुधारात्मक सेवाएं बढ़ाने के प्रयास में हैं। इसी कड़ी में पुराने कानून में व्यापक बदलाव किए जा रहे हैं।

प्रदेश में 45 हजार बंदी।

बता दें कि प्रदेश की जेलों में लगभग 45 हजार बंदी हैं।
जेल में खाना बनाने के लिए बंदियों को उनकी रुचि के अनुसार लगाया जाएगा। इस पर कोई बंदी आपत्ति नहीं कर सकेगा। अधिकारियों का कहना है कि मप्र संभवत: पहला राज्य बन सकता है, जहां जेलों में बंदियों को दूध, दही और छाछ दिया जाएगा।

जेल महानिदेशक जीपी सिंह के मुताबिक खानपान की व्यवस्था बेहतर करने के लिए नियमों में कई बदलाव किए जा रहे हैं। वित्त विभाग इसका अध्ययन कर रहा है कि खर्च कितना आएगा। सहमति मिलने पर नई व्यवस्था लागू होगी।

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