इंदौर : ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई के आह्वान पर प्रदेश में 10 से 12 अगस्त तक ‘सांकेतिक ट्रांसपोर्टेशन लॉकडाउन’ किया जा रहा है। इस दौरान माल परिवहन से जुड़े ट्रक, ट्रॉले व टैंकर सहित अन्य सभी प्रकार के वाहनों के चक्के जाम रहेंगे।
ये जानकारी ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस और उसकी मध्यप्रदेश इकाई के पदाधिकारियों ने इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के जरिए दी। ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के उपाध्यक्ष विजय कालरा, मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष राकेश तिवारी और इंदौर ट्रक ऑपरेटर्स एसो. के अध्यक्ष सीएल मुकाती ने बताया कि मध्यप्रदेश में डीजल पर वैट और अन्य प्रकार के टैक्स सबसे ज्यादा हैं। इसीलिए 40 रुपए लीटर का डीजल प्रदेश में 81 रुपए से ज्यादा भाव में बिक रहा है। इसी के साथ प्रदेश की सीमाओं पर आरटीओ, डीटीओ और एमवीआई द्वारा चेक पोस्ट के जरिये जमकर भ्रष्टाचार और ट्रांसपोर्टरों का उत्पीड़न किया जा रहा है। गैरकानूनी ढंग से चलाए जा रहे इन चेक पोस्ट पर अंकुश लगाने में प्रदेश सरकार पूरीतरह विफल रही है।
4 सूत्रीय मांगों को लेकर है ट्रांसपोर्ट लॉकडाउन।
मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के पदाधिकारियों के अनुसार प्रमुख रूप से 4 सूत्रीय मांगों को लेकर 10 अगस्त से प्रदेशव्यापी तीन दिनी लॉकडाउन किया जा रहा है। ये मांगे हैं:-
1, भ्रष्टाचार व जबरन वसूली पर रोक लगाई जाए, सीमाओं पर चेक पोस्ट बन्द किए जाएं।
2, डीजल पर वैट की दर जो अभी 23 फीसदी है, में कमीं की जाए।
3, रोड व गुड्स टैक्स में दो तिमाही की छूट दी जाए। कर देरी से जमा करने पर जुर्माना माफ किया जाए।
4, ट्रक चालकों का सरकार कोविड का बीमा करवाएं।
मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के पदाधिकारियों के मुताबिक पहले ही लॉकडाउन ने मोटर ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की कमर तोड़ दी है, बावजूद इसके जबरन वसूली, महंगा डीजल और लॉकडाउन अवधि का भी टैक्स वसूल किए जाने से प्रदेश में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय संचालित करने बेहद मुश्किल होता जा रहा है। उनका कहना था कि तीन दिनी ट्रांसपोर्ट लॉकडाउन के दौरान अन्य राज्यों के ट्रांसपोर्ट वाहन भी प्रदेश से होकर नहीं गुजरेंगे। 11 अगस्त को मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के सदस्य प्रदेश की सीमा चौकियों पर काले झंडे, बैनरों के साथ प्रदर्शन करेंगे।
मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के पदाधिकारियों के मुताबिक तीन दिनी ट्रांसपोर्ट लॉकडाउन के बाद भी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल जैसा कदम उठाने पर भी बाध्य हो सकते हैं।