शिल्प बाजार में मिल रहा है कई तरह का शिल्प।
वेदव्यास द्वारा रचित रामाष्टकम की दी गई प्रस्तुति।
थापटी, गदली, प्राचीन गरबा एवं ढाल तलवार, कत्थक ने खूब जमाया रंग।
इंदौर : लोक संस्कृति मंच द्वारा इंदौर गौरव दिवस के अंतर्गत आयोजित मालवा उत्सव के चौथे दिन शनिवार को शिल्प बाजार में बड़ी संख्या में कलाप्रेमी पहुंचे। शिल्प बाजार में फरीदाबाद से अतुल सागर टेराकोटा का विशाल संग्रह जिसमें कछुआ फ्लावर पॉट बुद्धा आदि शामिल है, लेकर आए हैं। वही गुजरात से संगीता जी हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की बेडशीट जूट के बैग लेकर आई हैं। पीतल शिल्प, लौह शिल्प, पोचमपल्ली साड़ियां, महेश्वरी साड़ियां, गलीचा, ड्राई फ्लावर, बांस शिल्प, केन फर्नीचर सहित अनेक आइटम यहां मौजूद हैं। यूपी भदोही से कालीन लेकर अफजल आए हैं, तो बनारसी साड़ी लेकर शर्मिला जी आई हैं। चीनी मिट्टी से बने बर्तन लेकर मुजम्मिल खुर्जा उत्तर प्रदेश से आए हैं, तो कुश की चटाई लेकर कोलकाता से सनातन इस मेले में आए हैं। खादी की कुर्तियां लेकर लखनऊ से आए आमिर और आगरा से खूबसूरत हाथों से बनी ज्वेलरी लेकर आए जाकिर मालवा उत्सव में मिल रहे प्रतिसाद से खुश हैं।
लोक कलाकारों की व्यवस्था देख रहे रितेश पिपलिया, विशाल गिदवानी एवं निवेश शर्मा ने बताया कि कलाकारों को बड़े दिनों बाद मंच मिलने से वह काफी खुश नजर आ रहे हैं। उनकी यह खुशी उनके नृत्यों में भी झलकती हुई दिख रही है।
मन मोह गया मनिहारी।
लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि शनिवार को सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सफेद रंग की चनिया चोली पहने गुजरात के कलाकारों ने मनिहारी रास प्रस्तुत करके सबका मन मोह लिया। स्थानीय कलाकार संतोष देसाई एवं समूह द्वारा प्रस्तुत रामाष्टकम, जो वेदव्यास द्वारा रचित है प्रस्तुत किया गया, जिसमें भगवा रंग के परिधान में लाल चुन्नी पहनकर 12 लड़कियों द्वारा शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया गया जो शंख ध्वनि और मंगल भवन अमंगल हारी के घोष से प्रारंभ हुआ। बैगा जनजाति का नृत्य पीला झोगा, सफेद धोती पहन कर किया गया बड़ा ही खूबसूरत बन पड़ा था। ध्रुपद डांस एकेडमी के आशीष पिल्लई एवं शिष्यों द्वारा “बरसे बदरिया सावन की “बोल पर कृष्ण का इंतजार करती मीरा के मन की व्यथा को बादलों के माध्यम से कत्थक के रूप में प्रस्तुत किया गया, वहीं ज्योत्सना सोहनी एवं शिष्यों द्वारा पिंक ब्लू परिधान में देवी अहिल्या के इंदौर प्रथम आगमन के प्रसंग को डांस के माध्यम से स्वागतम स्वागतम द्वारा कत्थक में दर्शाया साथ ही नर्मदाष्टकम भी प्रस्तुत किया। कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले से आए कलाकारों द्वारा ढोल कुनीथा नृत्य जिसमें 12 से 15 कलाकारों ने बड़े-बड़े ढोल को जोर जोर से बजा कर उछल उछल कर नृत्य किया और पिरामिड बनाकर सबको अचंभित किया। उन्होंने टाइगर बंडी पहनने के साथ पीला साफा सर पर बांध रखा था। शोभा रोडवाल व शिष्य द्वारा शुद्ध कत्थक में शिव तांडव प्रस्तुत किया गया। मरून गोल्डन रंग के परिधान में खूबसूरती से ततकार, तिहाई ,तराना पेश किया गया वही पल्लवी शर्मा एवं शिशु द्वारा शिव पार्वती संघ आराधना प्रस्तुत की गई। गुरु घासीदास के जन्मदिवस पर सतनामी समाज द्वारा किया जाने वाला नृत्य पंथी भी प्रस्तुत किया गया। राजपूतों का शोर्य दिखाता गुजरात के कलाकारों द्वारा ढाल तलवार विजय उत्सव की याद दिला गया। कोरकू जनजाति द्वारा थापटी एवं गदली नृत्य प्रस्तुत किया गया।
लोक संस्कृति मंच के सचिव दीपक लंवगड़े ने बताया कि रविवार 29 मई को शिल्प मेला दोपहर 4 बजे से, सांस्कृतिक संध्या सायंकाल 7:30 बजे से प्रारंभ होगी जिसमें ढोल पाठक, लावणी, कोली, ढोल कुनीथा, रास गरबा, गुदुमबाजा ,गणगौर, सिंधी छेज नृत्य प्रस्तुत होंगे।