मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मांडू के ऐतिहासिक और पुरातात्विक वैभव का किया अवलोकन

  
Last Updated:  April 10, 2025 " 04:56 pm"

धरमपुरी पहुंचकर माँ नर्मदा के किये दर्शन।

भगवान शिव का अभिषेक और महर्षि दधीचि की प्रतिमा का पूजन किया।

इंदौर : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को रात्रि विश्राम माण्डू में किया। गुरूवार सुबह उन्होंने माण्डू के ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक वैभव को देखा। मुख्यमंत्री ने यहां जहाज महल, हिंडोला महल का भ्रमण किया। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों द्वारा उन्हें इन ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जानकारी दी गई। मुख्यमंत्री यादव ने इसके पूर्व बीती रात माण्डू में लाइट एंड साउंड शो के ज़रिए यहां के इतिहास को देखा और जाना। इस अवसर पर केन्द्रीय राज्यमंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर, विधायक धरमपुरी कालूसिंह ठाकुर, अन्य जनप्रतिनिधि, संभागायुक्त दीपक सिंह, कलेक्टर प्रियंक मिश्रा, पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने देखा खुरासानी इमली का प्राचीन पेड़।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने माण्डू भ्रमण के दौरान यहां पीडब्ल्यूडी के खुरासानी कोठी परिसर में लगे खुरासानी इमली के प्राचीन पेड़ को देखा। कलेक्टर धार प्रियंक मिश्र ने बताया कि माण्डू में खुरासानी के वृक्ष पाए जाते हैं, जिनमें से कुछ 500 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं। खुरासानी कोठी परिसर के इस वृक्ष का तना 10.85 मीटर व्यास का है। खुरासानी इमली घना छायादार पेड़ होता है। यह पेड़ अपने भीतर सवा लाख लीटर पानी जमा करके रख सकता है। बता दें कि 14वीं शताब्दी में ये पेड़ लगाए गए थे। कई पेड़ यहां पांच-छ: सौ साल पुराने हैं। पर्यटक, स्मृति के तौर पर माण्डू की इमली खरीदकर ले जाते हैं। कई आदिवासी परिवारों को इसे बेचने से आय हो रही है। मूलतः यह वृक्ष अफ्रीका, अरब और मेडागास्कर पर पाया जाता है। ये पेड़ अति विशाल हैं, इसकी उम्र हज़ारों साल होती हैं। मराठीभाषी क्षेत्रों में इसे गोरखचिंच (चिंच याने इमली) कहकर सन्त गोरखनाथ से इसका पवित्र सम्बन्ध जोड़ा जाता है।

धरमपुरी में किया नर्मदा पूजन।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जनप्रतिनिधियों के साथ धरमपुरी भी पहुंचे। उन्होंने धरमपुरी में नर्मदा दर्शन कर पूजन किया। धरमपुरी नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ नगर है। यहाँ नर्मदा नदी की दो धाराओं के बीच बेंट नामक एक टापू स्थित है, जहां श्री बिल्वामृतेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर स्थित है। मुख्यमंत्री ने यहां भगवान शिव का अभिषेक किया। मंदिर के निकट स्थापित महर्षि दधीचि की प्रतिमा का पूजन किया। पौराणिक मान्यता अनुसार यहां दधीचि ऋषि की समाधि एवं तपस्या स्थली भी है। इसी स्थान पर इन्द्र स्वयं आये थे और दधीचि ऋषि से उन्होंने राक्षस के वध के लिये अस्थियां माँगी थी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बिल्वामृतेश्वर महादेव मंदिर बैंट के हर तरह के संरक्षण के निर्देश अधिकारियों को दिये।

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