देवी अहिल्याबाई के व्यक्तित्व और कृतित्व को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा : मुख्यमंत्री यादव
लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर त्रिशताब्दी समारोह का हुआ शुभारंभ।
इंदौर : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि लोकमाता देवी अहिल्या बाई का व्यक्तित्व और जीवन चरित्र हम सबके लिए आदर्श है। वह एक तपोनिष्ठ, धर्मनिष्ठ तथा कर्मनिष्ठ शासिका रही हैं। उनसे हम सबको प्रेरणा लेना चाहिए। डॉ. यादव ने कहा कि धर्म के भाव के साथ शासन व्यवस्था चलाने का बेहतर उदाहरण देवी अहिल्याबाई ने प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शुक्रवार को इंदौर के अभय प्रशाल में आयोजित लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर त्रिशताब्दी समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। वर्ष भर चलने वाले त्रिशताब्दी समारोह के दौरान पूरे देश में जगह-जगह देवी अहिल्या बाई होल्कर के जीवन, उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर आधारित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। शुभारंभ कार्यक्रम में लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन,नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, कृष्णगोपाल, मुख्य वक्ता पद्मश्री निवेदिता भिड़े, पद्मविभूषण सोनल मानसिंह,जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री ज्ञानानंद तीर्थ, महामंडलेश्वर किरणदास बापू महाराज, महामंडलेश्वर कृष्णवंदन महाराज विशेष रूप से मौजूद थे।
शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे देवी अहिल्याबाई का जीवन चरित्र।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में कहा कि देवी अहिल्या बाई हमारी आदर्श हैं। उनका नाम पूरे देश में आस्था व सम्मान के साथ लिया जाता है। उनका मुख्य ध्येय था कि उनकी प्रजा कभी भी अभावग्रस्त और भूखी नहीं रहे। उनके सुशासन की यशोगाथा पूरे देश में प्रसिद्ध है। देवी अहिल्या बाई के जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्या बाई के पुण्य प्रताप से मालवा सहित पूरा प्रदेश खुशहाल है। वे बेहतर प्रशासक और शासक रही हैं। उनमें कार्ययोजना बनाकर अमल में लाने की अद्भुत क्षमता थी। वे ईमानदार, धर्मनिष्ठ, राजयोगी थी। उनके जीवन से हमें सीखना चाहिये। उन्होंने देवी अहिल्याबाई की राज्य व्यवस्था और सुशासन से जुड़े मोडी लिपि में उपलब्ध दस्तावेजों का हिंदी व अन्य भाषाओं में अनुवाद कर उन्हें संरक्षित करने का आग्रह मुख्यमंत्री मोहन यादव से किया, जिसे उन्होंने तुरंत स्वीकार कर लिया।
देवी अहिल्याबाई ने अपने जीवन को सार्थकता प्रदान की।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता पद्मश्री निवेदिता भिड़े ने कहा कि देवी अहिल्या बाई ने जनसेवा के जरिए अपने जीवन को सार्थक बनाया। उनका पूरा जीवन और कार्य प्रजा को सुखी रखने के लिए थे। वे अपने आप को प्रजा के प्रति उत्तरदायी मानती थी। उन्होंने हर काम ईश्वर से प्रेरित होकर किया। वे नारी शक्ति तथा सादगी की प्रतिमूर्ति, तपस्वी महिला थी। उनकी न्यायप्रियता के किस्से जग जाहिर हैं। उन्होंने जीवन में आये दु:ख और कष्टों का साहसपूर्वक सामना किया। अपने कष्ट और संकट को जनसेवा में बाधा नहीं बनने दिया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री ज्ञानानंद तीर्थ ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्या बाई ने शिव समर्पण का भाव रखते हुए अनुकरणीय एवं आदर्श कार्य किये हैं। राष्ट्र के लिए उन्होंने हमेशा धर्म को साथ रखते हुए समर्पण के साथ कार्य किया। उन्होंने देव स्थान, घाट, जलाशयों के निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया।
दिल्ली में भी बनें देवी अहिल्या का स्मारक।
कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए पद्मविभूषण सोनल मानसिंह ने कहा कि देवी अहिल्याबाई की कीर्ति पूरे देश में फैली है। देशभर में उनके स्मारक हैं पर हैरत की बात है कि राजधानी दिल्ली में उनका स्मारक नहीं है। इस और ध्यान दिया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में श्री कृष्णवंदन महाराज, प्रो. चन्द्रकला पाड़िया आदि ने भी सम्बोधित किया।
इस मौके पर चिन्मयी मुले कीलोकमाता अहिल्या बाई के जीवन पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने स्वागत भाषण दिया। संचालन माला सिंह ठाकुर ने किया। आभार मनोज फड़नीस ने माना।
इसके पूर्व कार्यक्रम के प्रथम चरण में ख्यात कलाकार गौतम काले और सहयोगी कलाकारों द्वारा देवी अहिल्याबाई के जीवन पर केंद्रित भावपूर्ण संगीतमय प्रस्तुति दी गई। इस कार्यक्रम का रोचक अंदाज में संचालन संजय पटेल ने सानिका काले के साथ किया।