लोकोत्सव का चौथा दिन : गुजरात, केरल और राजस्थान के लोक नृत्यों ने जीता दर्शकों का दिल

  
Last Updated:  December 28, 2022 " 10:49 pm"

शिल्प बाजार में मिल रहा है हर तरह का शिल्प, हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग बेडशीट, चंदेरी महेश्वरी साड़ियां, गलीचा ड्राई फ्लॉवर की हो रही अच्छी खरीददारी।

फूड जोन में लोगों को भा रहे अमृतसरी कुलचे।

इंदौर : लोक संस्कृति मंच द्वारा मालवा उत्सव के तहत आयोजित लोकोत्सव के चौथे दिन शिल्प बाजार में बड़ी संख्या में कला प्रेमी पहुंचे। यहां फरीदाबाद से टेराकोटा का विशाल संग्रह जिसमें कछुआ फ्लॉवर पॉट, बुद्धा आदि शामिल हैं, उपलब्ध कराया गया है। गुजरात से शिल्पकार हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की बेडशीट, जूट के बैग लेकर आए हैं। पीतल शिल्प, लौह शिल्प, पोचमपल्ली साड़ियां, महेश्वरी साड़ियां, गलीचा, ड्राई फ्लॉवर, बांस शिल्प, केन फर्नीचर सहित कई आइटम यहां मौजूद हैं। यूपी भदोही से लाए कालीन हैं तो बनारसी साड़ी लेकर शर्मिला जी आई हैं। चीनी मिट्टी से बने बर्तन लेकर मुजम्मिल खुर्जा उत्तर प्रदेश से आए हैं। कुश की चटाई लेकर कोलकाता के शिल्पकार भी मेले में आए हैं। खादी की कुर्तियां लखनऊ से लाई गई हैं तो आगरा से खूबसूरत हाथों से बनी ज्वेलरी भी लोगों को पसंद आ रही है।

वीर रस से परिपूर्ण गुजराती लोकनृत्य ने जमाया रंग।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गुजरात से आए कलाकारों द्वारा सफेद धोती- कुर्ता, ब्लैक जैकेट पहनकर दोनों हाथों में तलवार लेकर वीरता का प्रदर्शन करते हुए किया गया नृत्य दर्शकों को रोमांचित कर गया। इसमें उन्होंने ढोल ,कुंडी एवं थाली जैसे वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया।
खूबसूरत परिधानों से सजी महिला कलाकारों द्वारा चकरी बनाकर पेश किया गया राजस्थानी नृत्य भी लोगों को पसंद आया। ध्रुपद डांस एकेडमी ने केरल पुरम नृत्य संरचना के माध्यम से केरल के लोक नृत्य प्रस्तुत किया।इसमें केरल नटनम, तिरुवाथिरा, ऑटम तुल्ल़ल,और कुतु नृत्य को संजोया गया था। त्रिषुर के प्रसिद्ध शिव क्षेत्र के वार्षिक महोत्सव में होने वाले संगीत को इसमें जोड़ा गया। खूबसूरत परिधानों में सजी कलाकारों द्वारा आशीष पिल्लई के निर्देशन में किया गया यह नृत्य भी अनूठी छटा लिए हुए था।

अमृतसर के कुलचे भी फूड जोन में उपलब्ध।

लोक संस्कृति मंच के कार्यालय प्रभारी पवन शर्मा ने बताया कि फूड जोन में मालवीय व्यंजन, राजस्थानी व्यंजन ,दाल बाटी चूरमा के साथ में स्वर्ण मंदिर के सामने मिलने वाले अमृतसरी कुलचे का लुत्फ भी लालबाग पर उठाया जा सकता है। महाराष्ट्र का वड़ा पाव, दक्षिण भारत का डोसा एवं गुजरात के व्यंजन भी यहां उपलब्ध हैं।

लोक कलाकारों की व्यवस्था का संयोजन कर रहे रितेश पिपलिया एवं निवेश शर्मा ने बताया कि लोक कलाकार एवं शिल्पकार एक बड़ा मंच मिलने पर काफी खुश नजर आ रहे हैं उनकी खुशी लोक नृत्य में झलक रही है।

लोक संस्कृति मंच के सचिव दीपक लंवगड़े ने बताया कि गुरुवार 29 दिसंबर को शिल्प मेला दोपहर 12 बजे से और सांस्कृतिक संध्या सायंकाल 7:30 बजे से प्रारंभ होगी। इस दौरान वर्धा कला संस्थान द्वारा निर्मल वनवासी भक्ति धारा भरतनाट्यम , रास गरबा, गुदुमबाजा ,गणगौर नृत्य आदि पेश किए जाएंगे।

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