6075 स्क्वेयर फीट में निर्मित है यह रंगोली।
मधुबनी, गौंड, वरली, राजस्थानी लोक कलाओं को रंगोली में किया है प्रदर्शित।
वर्ल्ड रिकॉर्ड्स कम्युनिटी ने दिया विश्व की सबसे बड़ी लोक कला आधारित रंगोली का प्रमाण पत्र।
महापौर पत्नी श्रीमती जूही भार्गव ने फीता काटकर किया रंगोली का औपचारिक शुभारंभ।
इंदौर: शहर की युवा रंगोली कलाकार वर्षा सिरसिया ने गांधी हॉल परिसर में लोक कलाओं पर आधारित विशाल रंगोली का निर्माण किया है। मंगलवार को महापौर पुष्यमित्र भार्गव की धर्मपत्नी जूही भार्गव ने फीता काटकर इस रंगोली का औपचारिक शुभारंभ किया। स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, सामाजिक कार्यकर्ता शालिनी शर्मा और अन्य विशिष्टजन इस दौरान मौजूद रहे। वर्षा ने यह भव्य रंगोली आगामी जनवरी माह में होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन को समर्पित की है।
रंगोली का अवलोकन कर वर्षा की मेहनत को सराहा।
श्रीमती जूही भार्गव ने इस विशालकाय रंगोली का अवलोकन भी किया। उन्होंने इतनी बड़ी और खूबसूरत रंगोली को आकार देने पर वर्षा को बधाई दी। उनका कहना था कि वर्षा का अपने हुनर के प्रति यह जुनून और समर्पण सराहनीय है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी वर्षा से फोन पर चर्चा कर उन्हें इतनी बड़ी और मनोहारी रंगोली बनाने के लिए बधाई दी।
इस मौके पर रंगोली आर्टिस्ट वर्षा और स्टेट प्रेस क्लब की ओर से प्रवीण खारीवाल, सोनाली यादव ने श्रीमती जूही भार्गव का स्वागत किया। स्टेट प्रेस क्लब की स्मारिका भी श्रीमती भार्गव को भेंट की गई।
लोक कलाओं पर आधारित सबसे बड़ी रंगोली का बनाया विश्व रिकॉर्ड।
वर्षा सिरसिया ने लोक कलाओं पर आधारित इस रंगोली को 81 बाय 75 अर्थात कुल 6075 स्क्वेयर फीट में आकार दिया है। इसमें कुल 1760 किलोग्राम रंगोली और रंगों का इस्तेमाल किया गया है। ये पहली बार है जब लोक कलाओं पर इतनी बड़ी रंगोली को किसी कलाकार ने अंजाम दिया है। वर्षा की इस उपलब्धि को मान्यता देते हुए संस्था वर्ल्ड रिकॉर्ड्स कम्युनिटी ने लोक कलाओं पर विशालतम रंगोली के विश्व रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र उन्हें प्रदान किया। संस्था के पदाधिकारियों के साथ स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, कमल कस्तूरी और अन्य विशिष्टजनों ने वर्षा को यह प्रमाण पत्र सौंपा। वर्षा की माताजी और अन्य परिजन भी इस अवसर पर मौजूद रहे।
कई लोक कलाओं को बनाया रंगोली का माध्यम।
वर्षा ने 6075 स्क्वेयर फीट की इस विशालकाय रंगोली में मधुबनी, गौंड, वरली और राजस्थानी लोक कलाओं को प्रदर्शित किया गया है। इसके साथ संस्कार भारती को समर्पित एक हिस्सा भी है। भव्यता लिए हुए ये रंगोली देखने में अदभुत और अलौकिक नजर आती है।
पहली बार रंगोली में दिखा इस तरह का नवाचार।
वर्षा की माने तो लोक कलाओं पर आधारित इतनी विशाल रंगोली इसके पहले किसी ने नहीं बनाई है। इस थीम पर रंगोली बनाने का विचार उनके मन में लंबे समय से था। अब जाकर वे इसे आकार दे पाई हैं।
चार दिन की अथक मेहनत से बन पाई रंगोली।
सबसे अहम बात ये है कि वर्षा ने इस विशालकाय रंगोली को अकेले ही बनाया है। गांधी हॉल परिसर स्थित निर्माणाधीन मल्टीलेवल पार्किंग की छत पर निर्मित इस रंगोली को बनाने में वर्षा को चार दिन और तीन रात का समय लगा। रंगोली के प्रति उनका समर्पण कुछ ऐसा था कि खाना, पीना, सोना सबकुछ भूलकर वे जुटी रही, जब तक की रंगोली पूरी तरह मुकम्मल नहीं हो गई।
बड़ी संख्या में रंगोली देखने पहुंचे दर्शक।
वर्षा की विशालतम रंगोली को निहारने और उसकी खूबसूरती का आनंद लेने बड़ी संख्या में कला प्रेमी गांधी हॉल परिसर पहुंचे।इनमें बड़ी तादाद युवाओं की भी थी।
पहले भी बना चुकी हैं कारगिल के शहीदों को समर्पित रंगोली।
वर्षा यूं तो कई बार बड़ी और खूबसूरत रंगोलियों का निर्माण कर चुकी हैं। बीते वर्षों में क्रिश्चियन कॉलेज और गांधी हॉल में भी उन्होंने कारगिल के शहीदों को समर्पित रंगोली का निर्माण किया था।
23 दिसंबर तक दर्शक देख सकेंगे रंगोली।
लोक कलाओं पर आधारित इस विशालकाय रंगोली को मिल रहे दर्शकों के प्रतिसाद को देखते हुए रंगोली के प्रदर्शन का समय बढ़ा दिया गया है। कला प्रेमी और आम दर्शक अब 23 दिसंबर तक इस रंगोली के दीदार कर सकेंगे।