उपभोक्ताओं को ठगी से बचाने के लिए बने नियामक कानून।
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने की केंद्र व प्रदेश सरकारों से मांग।
इंदौर : उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली संस्था अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत वस्तुओं की पैकिंग पर मुद्रित एमआरपी को लेकर लोगों को जागरूक करने का अभियान चला रही है। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की इंदौर महानगर शाखा के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार
दुवगे ने बताया कि उपभोक्ता सामग्री पर अंकित एमआरपी याने अधिकतम खुदरा मूल्य उसकी लागत और चुकाए गए टैक्स से बहुत ज्यादा होता है। इस बात की जानकारी उपभोक्ताओं को नहीं होती। इसके चलते वे ठगे जाने पर मजबूर होते हैं।
दवाइयों की एमआरपी लागत से बहुत अधिक।
ग्राहक पंचायत के पदाधिकारियों के अनुसार खासकर दवाइयों की छपी हुई कीमत उसकी वास्तविक लागत से कई गुना ज्यादा होती है। इसका अंतर जेनेरिक और ब्रांडेड दवाइयों की कीमतों में अंतर से समझा जा सकता है। उपभोक्ताओं को इससे बहुत नुकसान हो रहा है।
एमआरपी के साथ एफएसपी भी मुद्रित करें।
ग्राहक पंचायत ने केंद्र व प्रदेश सरकारों को पत्र भेजकर इस मामले में नियामक कानून बनाने की मांग की है। पंचायत की ये भी मांग है कि कानून बनने तक दवाइयों, वस्तुओं की पैकिंग पर एमआरपी के साथ एफएसपी भी अंकित की जाए। एफएसपी अर्थात फर्स्ट सेलिंग प्राइज वह कीमत है जिस पर निर्माता ने पहली बार बिल बनाया है और पहला मूल टैक्स चुकाया है। इससे उपभोक्ता को वस्तु की सही कीमत पता चल सकेगी और वह एमआरपी को लेकर विक्रेता के साथ मोल भाव कर सकेगा।
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के मुताबिक वे अपनी ओर से ग्राहकों की लड़ाई लड़ने का प्रयास करते हैं पर उपभोक्ताओं को भी इस मामले में जागरूक होकर अपने अधिकारों के प्रति सजग रहना होगा।