इंदौर : मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं और उपन्यासों के माध्यम से उनकी जयंती को वामा साहित्य मंच ने अपनी मासिक गोष्ठी के माध्यम से मनाया। इस दौरान साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद की के साहित्य,आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद,उद्देश्य आदि बिंदुओं पर चर्चा की गई।
स्वागत उद्बोधन वामा अध्यक्ष इन्दु पाराशर ने दिया।सरस्वती वंदना सुषमा मोघे ने प्रस्तुत की। मुख्य संयोजक मधु टांक ने बताया कि भावना दामले,अनुपमा गुप्ता,आरती दुबे,अवंती श्रीवास्तव ,माधुरी निगम,अनिता जोशी,निधि जैन,,आशा मानधन्या,हंसा मेहता ,आशा मुंशी ,शांता पारेख,करुणा प्रजापति ,प्रतिभा जैन ,डॉ.ज्योति सिंह,वाणी जोशी ने अपने विचार रखे।
दोहा ऐसी विधा है जो गजल के शेर से पंजा लड़ा सकती है।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार प्रभु त्रिवेदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय साहित्य विधा में दोहा एक ऐसी विधा है, जो गजल के शेर से पंजा लड़ा सकती है।
अतिथि स्वागत संस्थापक अध्यक्ष पद्मा राजेंद्र और सचिव शोभा प्रजापत ने किया।अतिथियों को स्मृति चिन्ह आशीष कौर होरा,ज्योति जैन ने प्रदान किए। संचालन निरुपमा त्रिवेदी ने किया। आभार प्रीति रांका ने माना।
इस आयोजन में वरिष्ठ साहित्यकार शारदा मंडलोई, प्रेम कुमारी नाहटा,नीलम तोलानी,अंजना श्रीवास्तव, पुष्पा दसौंधी आदि उपस्थित थे।