माँ शब्द में ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समाहित है। यह सृष्टि भी तो हमारी माँ ही है, जो हमारा लालन-पालन और भरण-पोषण करती है। उदार भाव से हमारे उत्थान को प्रबलता प्रदान करती है। इसी भाव के कारण हम सदैव पूजा-अर्चना में सर्वप्रथम पृथ्वी माँ को ही प्रणाम करते है। इस समय तो ममतामयी माँ शेर पर सवारी कर भक्तों के कल्याण के लिए आई है। हमें सकारात्मक ऊर्जा एवं शक्ति प्रदान करने के लिए माँ अखंड ज्योत के द्वारा हमारे जीवन के अंधकार का भी समूल नाश कर देती है। करुणामयी, भक्तवत्सल माँ तो शुभता प्रदान करने वाली है। मन के संशय को नाश करने एवं हमारी अभिलाषाओं को साकार रूप देने माँ नौ दिन विभिन्न-विभिन्न रूपों से हमें गुण, ऊर्जा, उत्साह एवं उमंग से भर देंगी। हमें अपने आनंद का विस्तार करने के लिए माँ के सच्चे दरबार पर अडिग विश्वास करना होगा। भक्तिभाव में मग्न होकर हमें माँ की पूजा-अर्चना एवं उपासना करनी है। विघ्नों को हरने वाली माँ, नव उत्साह जननी माँ, धन-धान्य के भंडार देने वाली माँ, त्रिभुवन में निवास करने वाली माँ, मन के द्वार को आलौकित करने वाली माँ की स्तुति हम मंगल कलश की स्थापना के साथ करेंगे। भय हारिणी एवं भव तारिणी माँ के प्रत्येक स्वरुप का नमन और वंदन करेंगे।
देवी दुर्गा तो दुर्गति का भी विनाश कर देती है। हर नवरात्रि की तरह इस बार भी हम देवी के दर्शन, उनकी दया, कृपा, करुणा एवं आशीर्वाद के अभिलाषी होंगे। उत्साह, उमंग और भक्ति भाव से ओत-प्रोत होकर हमें देवी के आराधना पर्व को उत्सव का स्वरुप देना होगा। बच्चों को भी माँ के विभिन्न स्वरूपों से अवगत कराना होगा। माँ की आराधना हमें बहन-बेटी के सम्मान को सुरक्षित रखने की भी प्रेरणा देती है। माँ के प्रति अगाध श्रृद्धा हमें एक सम्मानित समाज के निर्माण की ओर अग्रसर करती है, जिसमें समस्त प्राणियों में नारी के प्रति सम्मान का भाव सदा जीवंत रहें। माँ तो धैर्य, साहस, शक्ति एवं वात्सल्य का अप्रतिम रूप है। माता हमें जीवन में नवीन दिशा प्रदान करें। माँ का आगमन हमें कष्टों एवं विपत्तियों से मुक्ति दिलाएगा। इस नश्वर देह की मुक्ति का द्वार तो माँ की आराधना से ही प्राप्त हो सकता है।
माँ की आराधना तो हमें हमारी कमियों से साक्षात्कार कराएंगी एवं हमारे अंतर्मन में प्रकाश का दीप प्रज्वलित करेंगी। माँ हमारे ह्रदय में भक्ति की ऐसी लौ को प्रज्वलित कर दो कि हम सदैव आपकी उपासना में लीन रहें। नवशक्ति, नवज्योति, नवसदबुद्धि एवं नवऊर्जा का आशीर्वाद प्रदान करों माँ।
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)