पर गैर इरादतन हत्यारा कौन, इस पर सब मौन..!
••• स्व सोनी के परिवार को चार लाख की सहायता दी मंदिर समिति ने, हत्यारे कौन, सब मौन
जल्दबाजी की जांच हुई, वॉयरल वीडियो के बाद भी आज तक नहीं दिखे घटना के दोषी।
अधिकारियों पर नकेल लगाने वाले सीएस, डीजीपी और सीएम की उजली छवि रखने वाले सीपीआर भी उदासीन।
महाकाल ने सदबुद्धि दे दी।
♦️कीर्ति राणा ♦️
हम यह नहीं कहते कि यह हमारे सतत लिखने का असर है। यह तो महाकाल की कृपा दृष्टि है कि जिला प्रशासन को सदबुद्धि दे दी।हां कलेक्टर और मंदिर समिति का हम आभार मानते हैं कि स्व सत्यनारायण सोनी के परिवार को आर्थिक सहयोग की उदारता दिखाई। मंदिर समिति ने उनकी पत्नी श्रीमती सीता बाई सोनी के खाते में चार लाख रु मंगलवार को जमा करा दिए हैं।
उज्जैन कलेक्टर नीरज सिंह से जब हमने स्व.सोनी परिवार को आर्थिक मदद के संबंध में पूछा था तब उन्होंने कहा भी था कि मंदिर प्रशासन समिति की अगली बैठक जब भी होगी इस संबंध में सकारात्मक निर्णय लेंगे। स्व. सोनी के भाई चंपालाल सोनी ने बताया कि चार लाख की सहायता राशि श्रीमती सोनी के खाते में जमा हो गई है।मंदिर प्रशासन समिति के इस निर्णय से वे सभी महाकाल भक्त भी खुश हैं जिनके मन में अग्निकांड और स्व. सोनी के निधन की कसक थी।
होली के दूसरी सुबह (25 मार्च) धुलेंडी वाले दिन गर्भगृह में पुजारियों द्वारा होली खेलने के आईदौरान फेंके गए गुलाल से जलते दीपक ने आग पकड़ ली थी जिसमें पुजारियों सहित अन्य 14 लोग झुलस गए थे। इन सभी घायलों के परिजनों को जिला प्रशासन ने एक एक लाख रु की मदद उसी वक्त की थी। सभी घायलों को अरबिंदो अस्पताल में दाखिल कराने के साथ उपचार कराया था। गंभीर घायल सत्यनारायण सोनी को एयर लिफ्ट कर नेशनल बर्न यूनिट मुंबई में उपचार के लिए दाखिल कराया था लेकिन 10 अप्रैल को उनका निधन हो गया था। शवयात्रा में कलेक्टर, एसपी सहित मंदिर समिति के सदस्य भी शामिल हुए थे। उसी दिन से आम उज्जैनवासी चाहते थे कि स्व सोनी के परिवार की सरकार को मदद करना चाहिए। इस जनभावना को हमने प्रमुखता से उठाया था।
महाकाल मंदिर गर्भगृह में हुई घटना में स्व. सोनी की अकाल मृत्यु और परिवार की मदद का चैप्टर तो एक तरह से अब बंद हो गया है लेकिन अभी भी यह यक्ष प्रश्न तो है ही कि उस घटना के दोषी आखिर हैं कौन? जिला प्रशासन ने मजिस्ट्रीयल जांच घोषित करने की तत्परता से अधिक जल्दबाजी तो मात्र तीन दिन में जांच की औपचारिकता पूरी करने में दिखा दी किंतु दोषी आज भी अज्ञात या अदृश्य ही हैं।
वीडियो फुटेज कहां गए?
महाकाल मंदिर में गर्भ गृह, नंदी गृह से लेकर मुख्य प्रवेशद्वार से लेकर चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी लगे हैं। कंट्रोल रूम में चौबीस घंटे के फुटेज सर्वर रूम में सुरक्षित रहते हैं।इतनी चौकसी के बाद भी जिला प्रशासन घटना के बाद से ही दोषी व्यक्तियों को किस के दबाव में अब तक बचाने में लगा हुआ है? वॉयरल हुए वीडियो में आमजन ने देखा है कि आरती कर रहे पुजारी पर एक अन्य पुजारी ने तसला भर कर गुलाल फेंका और सिर पर जमा गुलाल झटकने के दौरान दीपक पर गिरे गुलाल से भड़की आग घटना का कारण बनी। यह सारे वीडियो जिला-पुलिस प्रशासन ने भी देखे हैं।
उस घटना के बाद से उज्जैन सहित देश दुनिया में फैले महाकाल भक्त विचलित हैं कि जिला प्रशासन की ऐसी क्या मजबूरी है कि मुख्यमंत्री के गृहनगर में हुई जिस घटना ने सरकार के चेहरे पर कालिख लगाने जैसा काम किया है उस घटना के दोषियों को क्यों बचाया जा रहा है। स्व.सोनी के परिजनों को चार लाख रु की मदद से उनके आंसू पोंछने की मानवीयता दिखाने वाला प्रशासन स्व. सोनी ।की गैर इरादतन हत्या के आरोपियों को क्यों बचाने मे जी जान से जुटा है।उज्जैन पुलिस के लिए भी यह नाकामी शर्मनाक इसलिए भी है कि घटना वाले दिन पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के परिजन भी महाकाल से होली के साक्षी थे और इस वजह से पुलिस का अतिरिक्त अमला भी नंदी गृह में व्यवस्था चाक चौबंद बनाए रखने के लिए सजग था।माना कि मुख्यमंत्री अभी चुनावी दौरों में व्यस्त हैं लेकिन उनकी छवि साफ सुथरी रखने का दायित्व जिन मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक के साथ ही आयुक्त जनसंपर्क पर भी है वो सब कैसे घुग्घू बने बैठे हैं।महाकाल तो इन सब का भी हिसाब करेंगे ही।