67 वा अखिल भारतीय गीता जयंती महोत्सव 08 दिसंबर से

  
Last Updated:  December 6, 2024 " 10:18 pm"

मंगलाचरण एवं शंख ध्वनि के बीच होगा महोत्सव का शुभारंभ।

पीड़ित मानवता की सेवा करने वाले पांच प्रमुख दानदाताओं का होगा सम्मान।

अनेक सामाजिक विषयों पर होगा विचार – मंथन।

प्रतिदिन सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर दिलाई जाएगी शपथ।

गीता जयंती का मुख्य पर्व 11दिसंबर को मनाया जाएगा।

इंदौर : मालवा अंचल के प्रमुख आस्था केन्द्र गीता भवन पर 67 वा अ.भा. गीता जयंती महोत्सव 08 से 14 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है। महोत्सव का शुभारंभ नवश्रृंगारित परिसर में रविवार, 8 दिसम्बर को दोपहर 1 बजे वैदिक मंगलाचरण एवं शंख ध्वनि के बीच दीप प्रज्ज्वलन के साथ होगा। जगदगुरु शंकराचार्य, पुरी पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के सान्निध्य एवं अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य, जगदगुरु स्वामी रामदयाल महाराज की अध्यक्षता में इस महोत्सव का शुभारंभ होगा। गीता जयंती का मुख्य महापर्व बुधवार 11 दिसम्बर को गीताजी के सामूहिक पाठ के साथ मोक्षदा एकादशी को मनाया जाएगा। संत विद्वानों के प्रवचन प्रतिदिन दोपहर 1 से सायं 5.30 बजे तक होंगे। ये जानकारी शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी और अन्य पदाधिकारियों ने दी।उन्होंने बताया कि महोत्सव में पुरी के शंकराचार्य सहित देश भर से करीब 50 संत – महात्मा शिरकत कर अपने विचार रखेंगे। इस मौके पर प्रतिदिन सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर संकल्प भी दिलाए जाएंगे।महोत्सव के दौरान सात दिवसीय श्री विष्णु महायज्ञ भी पंडित कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में संपन्न होगा। महोत्सव की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

इनका होगा सम्मान :-

गीता जयंती महोत्सव के तहत शहर के पांच प्रमुख दानदाताओं और पीड़ित मानवता के प्रति सेवाभावी बंधुओं का सम्मान शुभारंभ प्रसंग पर किया जाएगा। इनमें वरिष्ठ समाजसेवी विनोद अग्रवाल, टीकमचंद गर्ग, राजेश गर्ग, प्रेमचंद गोयल एवं अन्नपूर्णा क्षेत्र के द्रविड़ नगर में 2400 वर्गफुट का अपना मकान गीता भवन ट्रस्ट को दान करने वाली मातुश्री मानकुंवर देवी भराणी शामिल है। गीता जयंती के साथ ही सात दिवसीय श्री विष्णु महायज्ञ भी 8 से 14 दिसम्बर तक आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में प्रतिदिन सुबह 8 से 12 एवं दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक होगा। इस बार भी ट्रस्ट मंडल द्वारा गीता जयंती महोत्सव को सनातन धर्म एवं संस्कृति के लिए समर्पित रखने का निर्णय लिया गया है। इस दौरान प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु सनातन धर्म के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए संतों की साक्षी में एक-एक संकल्प लेंगे। बांग्लादेश में हो रही हिंसा के विरोध एवं सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर भी विचार-मंथन होगा।

शंकराचार्यजी सहित देश के प्रमुख संत-विद्वान आएंगे।

गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी एवं कोषाध्यक्ष मनोहर बाहेती ने बताया कि 67वें गीता जयंती महोत्सव में देश के प्रख्यात संत-विद्वानों के आगमन का क्रम शुरू हो गया है। महोत्सव में जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ न्यास अयोध्या के कोषाध्यक्ष राष्ट्र संत आचार्य स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज, जगदगुरू वल्लभाचार्य गोस्वामी वल्लभराय महाराज (सूरत), जगदगुरू रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधराचार्य महाराज (अशर्फी भवन, अयोध्या), महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती (सनातन आर्श विद्या प्रतिष्ठान), महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद महाराज (अन्नपूर्णा आश्रम इंदौर), महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप (अखंड धाम आश्रम, इंदौर), महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती (श्री श्रीविद्याधाम इंदौर), महामंडलेश्वर स्वामी विवेकानंद महाराज (हरिद्वार), आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद (वृंदावन), जीवन प्रबंधन गुरू पं. विजयशंकर मेहता (उज्जैन) जैसे ओजस्वी और विवेकशील वक्ता भी महोत्सव में आएंगे। प्रख्यात मानस मर्मज्ञ युग तुलसी रामकिंकर महाराज की सुशिष्या मानस मंदाकिनी ने भी गीता जयंती महोत्सव में आने की स्वीकृति प्रदान की है।

50 से अधिक संतों की मिली सहमति।

न्यासी मंडल के महेशचंद्र शास्त्री, दिनेश मित्तल, पवन सिंघानिया के अनुसार महोत्सव में कथा रसिक युवा संत पुंडरिक गोस्वामी (वृंदावन), युवा वैष्णवाचार्य द्वितीय पीठ युवराज गोस्वामी वागधीश बाबाश्री (विट्ठलनाथ मंदिर नाथद्वारा-उदयपुर), गोस्वामी दिव्येश कुमार महाराज (गोवर्धन नाथ मंदिर नाथद्वारा-इंदौर), संत हरिराम शास्त्री रामस्नेही (जोधपुरी), गोधरा (गुजरात) की भगवती स्वरूपा साध्वी परमानंदा सरस्वती,डाकोर से स्वामी देवकीनंददास, वेदांत आश्रम इंदौर स्वामी आत्मानंद सरस्वती, रामकृष्ण मिशन इंदौर के सचिव निर्विकारानंद, उज्जैन के स्वामी वीतरागानंद, हरिद्वार के स्वामी सर्वेश चैतन्य महाराज, नेमिषारण्य के स्वामी पुरुषोत्तमानंद सरस्वती, हरिद्वार गंगेश्वर धाम के स्वामी दिव्यानंद, हरिद्वार के ही महंत स्वामी प्रकाश मुनि एवं गोपाल मुनि तथा स्वामी श्रवण मुनि, उज्जैन के संत रामकृष्णाचार्य एवं स्वामी असंगानंद, हरिद्वार के श्रवण मुनि, अजमेर की साध्वी अनादि सरस्वती, पानीपत की साध्वी ब्रह्मज्योति सरस्वती, आगरा के संत हरियोगी, उज्जैन के परमानंद महाराज, वृंदावन के बालशुक पुंडरिक कृष्ण महाराज, गोंडा के पं. प्रहलाद मिश्र, भदौही के पं. पीयूष महाराज रामायणी एवं पं. सुरेश शरण, ऋषिकेश के पं. शंकर चैतन्य, वाराणसी के पं. रामेश्वर त्रिपाठी रामायणी एवं भीकनगांव के पं. पीयूष महाराज सहित 50 से अधिक संत एवं विद्वान इस महोत्सव में प्रतिदिन दोपहर 1 से 5.30 बजे तक सत्संग सत्र में अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। शुभारंभ समारोह का संचालन संस्कृतिकर्मी संजय पटेल करेंगे। सत्संग में नियमित सत्रों का संचालन डाकोर के देवकीनंदन दास एवं गोंडा के पं. प्रहलाद मिश्र करेंगे।

प्रतिदिन दिलाएंगे सामाजिक सरोकार के संकल्प।

न्यासी मंडल के हरीश माहेश्वरी एवं संजीव कोहली ने बताया कि गीता जयंती महोत्सव में आने वाले संत, विद्वानों से आग्रह किया गया है कि वे इस बार भी सनातन धर्म एवं संस्कृति पर आधारित ज्वलंत मुद्दों और बांग्लादेश में हिन्दू सनातनी बंधुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध पर भी धर्मालुजनों का मार्गदर्शन करें। प्रतिदिन सत्र के समापन अवसर पर श्रद्धालुओं को संकल्प भी दिलाएंगे कि वे सनातन धर्म के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए स्वयं भी आचरण करेंगे तथा अपने बच्चों और आसपास के लोगों को भी प्रेरित करेंगे। बाहर से आने वाले संतों एवं भक्तों के लिए भंडारे की व्यवस्था इस बार भी शनि उपासक मंडल के प्रदीप अग्रवाल के सहयोग से की जाएगी। महोत्सव के लिए गीता भवन परिसर में भक्तों की सुविधा के समुचित प्रबंध किए गए हैं।

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