मोदी-शाह के अलावा BJP की जीत के ये हैं असली ‘शिल्पकार’

  
Last Updated:  December 19, 2017 " 10:09 am"

नईदिल्ली. उत्तर प्रदेश में बंपर जीत के बाद गुजरात में भी भारतीय जनता पार्टी ने शुरुआती संघर्ष के बाद अब एकतरफा अंदाज में चुनाव जीत रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा एक और शख्स हैं जिसे इस शानदार जीत का श्रेय जाता है.

भूपेंद्र यादव जिन्हें अमित शाह का बेहद करीबी माना जाता है और व्यवहार में बहुत कुछ अपने बॉस की तरह ही नजर आते हैं. भूपेंद्र रैली में जाकर भाषणबाजी के जरिए चुनाव लड़ने के बजाए वॉर रूम में रहकर पूरी प्रक्रिया को करना पसंद करते हैं.

पर्दे के पीछे बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर कार्यरत भूपेंद्र की प्लानिंग का ही कमाल था जिसने मोदी और शाह के गृह नगर गुजरात विधानसभा चुनाव में लगातार छठी बार चुनाव में जीत दिलाई.भूपेंद्र राजस्थान के अजमेर से आते हैं और 2012 से राज्यसभा सांसद हैं. कई भाषाओं के अच्छे जानकार हैं. पेशे से वह वकील रहे और सुप्रीम कोर्ट में प्रेक्टिस कर चुके हैं.

राजस्थान और झारखंड में भी दिलाई थी जोरदार जीत

मार्च में उत्तर प्रदेश में जोरदार जीत के बाद शाह ने अपनी पूरी कसरत गुजरात चुनाव में लगा दी थी. इस चुनाव के एक महीने बाद अप्रैल में शाह ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नेता भूपेंद्र को गुजरात में पार्टी का चुनाव इनचार्ज बना दिया. इन 8 महीनों में उन्होंने राज्य में जातिगत समीकरण को लेकर खासा उतार-चढ़ाव दिखा और इससे सबक लेते हुए उन्होंने अपनी चुनावी रणनीति तय की.

यह वही भूपेंद्र यादव हैं जो इससे पहले भी कई मौकों पर पार्टी के चुनाव इनचार्ज बने और बड़ी जीत दिलाई. वह 2013 में राजस्थान, 2014 में झारखंड और 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के चुनाव इनचार्ज बने. बिहार को छोड़ दिया जाए तो उन्होंने राजस्थान और झारखंड में पार्टी को बड़ी जीत दिलाई थी.

राजस्थान में 200 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी को 163 सीट मिली जबकि झारखंड में पार्टी की अगुवाई में एनडीए को 82 में से 47 सीट हासिल हुई. पार्टी के अंदरुनी कार्यकर्ता राजस्थान में जीत के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राज की 33 जिलों में 13,000 किमी लंबी ‘सुराज संकल्प यात्रा’ के जरिए योजनाओं और कार्यान्वयन की जानकारी दी जिसका फायदा चुनाव में मिला.

पार्टी के लोग मानते हैं कि अमित शाह योजना बनवाते हैं और भूपेंद्र इसे अमल में लाते हैं. रैलियां करने का अपना महत्व है, लेकिन स्थानीय स्तर पर फोकस भी उतना ही जरूरी है. चुनाव के दौरान पार्टी व्यवस्थित तरीके से काम करती है. 182 सदस्यीय सीटों पर 50 हजार से ज्यादा पोलिंग बूथ तैयार किए गए थे. इसके अलावा पार्टी ने कुछ पोलिंग बूथों के बीच शक्ति केंद्र स्थापित किए जो अपने क्षेत्र में सक्रियता के साथ हर तरह की जानकारी लेता रहता था.

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