इंदौर : ख्यात अभिनेता अखिलेन्द्र मिश्रा अच्छे कलाकार होने के साथ कवि और साहित्यकार भी हैं। इंदौर प्रवास के दौरान इस बात का खुलासा उन्होंने खुद किया। अखिलेन्द्र ने कोरोना काल के दौरान घर पर रहते करीब 25 कविताएं लिखीं और उन्हें पुस्तक रूप में प्रकाशित किया। इस काव्यसंग्रह को उन्होंने आख़िलामृतम नाम दिया है।
सभी भाषाएं संस्कृत की बेटियां हैं।
अखिलेन्द्र ने बताया कि उनके काव्यसंग्रह का नाम आख़िलामृतम जरूर है पर उसमें निहित 23 काव्य रचनाएं हिंदी और 2 भोजपुरी में हैं। उनका कहना था संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है, इसलिए उन्होंने काव्यसंग्रह का नाम संस्कृत में रखा।
अभिनय,अभिनेता और अध्यात्म पर लिख रहे पुस्तक।
अखिलेन्द्र का कहना था कि वे ‘अभिनय, अभिनेता और अध्यात्म’ नाम से एक किताब लिख रहे हैं। इसमें वे अपने अनुभव और प्रयोगों को लिपिबद्ध करेंगे ताकि सिनेमा, थिएटर और टीवी में काम करने के इच्छुक युवाओं को उससे सही मार्गदर्शन मिल सकें।
अभिनय ही करते रहना चाहते हैं अखिलेन्द्र।
अभिनेता अखिलेन्द्र के अनुसार वे लिखने का शौक जरूर रखते हैं पर फिल्मों में कहानी अथवा गीत लिखने का उनका कोई इरादा नहीं है।वे अभिनय करते रहना चाहते हैं।
मनुष्य पर फ़िल्म बननी चाहिए।
अखिलेन्द्र ने कहा कि मनुष्य पर फ़िल्म बननी चाहिए। हमें यह जानने की जरूरत है कि हमारी सोच की प्रक्रिया क्या है। बोलना, खाना- पीना तो सभी सिखाते हैं पर सोच को कैसे विकसित किया जाए ये कोई नहीं सिखाता।